मुंबई में इंसानियत की अनोखी मिसाल, नौजवानों की टोली रेलवे स्टेशनों पर बांटती रोज़ा-इफ़्तारी का सामान

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द लीडर हिंदी : रमजान का मुबारक महीना चल रहा है.आज 4 अप्रैल 2024 गुरुवार यानी जुमेरात को भारत में 24वां रोजा रखा गया है.रमजान के इस पाक महीने में महाराष्ट्र के मुंबई में अलग ही मिसाल पेश की जा रही है. बतादें जब ज़्यादातर मु्स्लिम रोज़ा खोलने या रोज़ा रखने के लिए लोग घरों में रहकर खाने में मसरूफ़ हो जाते हैं.वही मुंबई के नौजवानों की एक टोली रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में दौड़ती-भागती, आवाज़ लगाती दिखती है, सहरी ले लो, इफ़्तारी ले लो. फ़ीसबीलिल्लाह यानी अल्लाह के लिए. इनका ख़ुद अपना रोज़ा होता है.

लेकिन फिक्र दूसरे रोज़ेदारों की रहती है. सफ़र में कहीं किसी रोज़ेदार को रोज़ा खोलने में तकलीफ़ का सामना नहीं करना पड़े. कोई रोज़ा इस वजह से नहीं छोड़ दे कि सफ़र में जाते वक़्त ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर सहरी में खाने का इंतज़ाम नहीं हो सका. क्योकि मुंबई के नौजवानों की टोली वो हर मुस्लमानों के रोजा का एहतराम करती है जो उन्होंने रखा है.

वो हर ट्रेन में रोजी की सामग्री देते है जिससे रोजदार ट्रेन में बैठकर आराम से रोजा खोल सकें.बता दें इनका मक़सद सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह को राज़ी करना है. प्राफिट हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के उस क़ौल पर अमल है, जिसमें आपने फ़रमाया कि एक रोज़ेदार के लिए रोज़ा रखने का जितना सवाब है, उतना ही इफ़्तार कराने वाले को मिलता है. इस काम से अल्लाह उनकी बख़्शिश फ़रमा दे, इसी ख़्वाहिश को पूरा करने के लिए ये नौजवान पूरे रमज़ान माह जेद्दोजहद में लगे रहते हैं. कोई चंदा नहीं लेते, अपनी जेब से पैसा ख़र्च करते हैं.

भायकला, कुर्ला मुंब्रा घाटकोपर और गोवंडी स्टेशनों पर हाथों में खाने के पैकेट लेकर इन नौजवानों को भागते-दौड़ते देखा जा सकता है. वो हर मुसाफिर को रोजे और इफ्तारी का सामान ट्रेन में जाकर देते है. इनका मकसद अल्लाह की राह में नेकी करना होता है. क्योकि रमजान के इस पाक मुकद्दस महीने का मतलब अल्लाह की इबादत करना होता है.नमाज पढ़कर, सदका देकर, और लोगों का रोजा खुलवाकर.

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