इस रेल कारखाने के पास कब्र में दफन 156 साल पुराना मोहब्बत और बहादुरी का किस्सा

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     सोमनाथ आर्य-

“एलिज़ा गो फ्रॉम हेयर ,आई विल फेस द टाईगर”, ये आख़िरी शब्द थे थाॅमस राॅबर्ट के। अपनी पत्नी की जान बचाने वह खूंखार बाघ से लड़ा और अपनी पत्नी की जान बचाने में कामयाब रहा। बहुत ही बहादुरी से लड़ा वो , अपनी जान तो गवां दी लेकिन खूंखार बाघ को भी जिंदा नहीं छोड़ा। अपनी पत्नी एलिजा के लिए उनका यह प्रेम अमर हो गया।

बिहार के जमालपुर में 19वीं सदी की दो कब्र खास हैं। इस कब्र के बारे में भारत के लोग काफी कम और ब्रिटिशर्स अधिक जानकारी रखते हैं। इस कब्र से अंग्रेजों का भावनात्मक लगाव है। जगह है जमालपुर गोल्फ मैदान। जमालपुर काली पहाड़ी के ठीक सामने। जमालपुर और आसपास के बाशिंदें को भी इस कब्र की कोई खास जानकारी नहीं है, लेकिन आज भी ब्रिटेन से आने वाले पर्यटकों के लिए खास महत्व रखता है।

दोनों कब्र 156 साल पुरानी हैं। इस कब्र पर संगमरमर की एक प्लेट लगी है। यह प्लेट ही दोनों कब्र के रहस्य से पर्दा उठा देती है। जिस पर एक सच्ची किंतु बहादुरी से परिपूर्ण दुखद घटना की कहानी लिखी हुई है। इस कब्र पर कभी -कभी नम आंखों से फूल चढ़ाने एक अंग्रेज लड़की फ्रेया 4 हजार 649 मील दूर लंदन से आती है।

फ्रेया ब्रिटिश एयरफोर्स में पायलट है। जमालपुर आकर वह घंटों कब्र के सामने बैठकर अपनी आंखें मूंद लेती है और याद करती है अपने परदादा थाॅमस राॅबर्ट जो जमालपुर कारखाना के लोकोमोटिव इरेक्टिंग वर्कशाॅप में फोरमैन थे। जिसकी मौत इसी शहर में हुई थी।

बचपन से ही वह अपने घर में माॅम-डैड से अपने परदादा की बहादुरी के किस्से सुन रखे थे। जो उसकी परदादी एलिजा की जान को बचाने के लिए खूंखार बाघ से लड़े और उस बाघ को मार डाला था । लेकिन, इस जंग में उन्हें भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया। थाॅमस राॅबर्ट के पास ही उस बाघ की भी कब्र है। दोनों की मौत के बाद जमालपुर रेलवे कारखाना के अंग्रेज अधिकारियों ने दोनों की कब्र आसपास ही बना दी।

13 जून 2019 को थाॅमस राॅबर्ट की परपोती फ्रेया अपने परदादा की कब्र पर आई थी। ठीक अपने परदादा की मौत की 155वीं पुण्यतिथि के दिन। लोगों के उनके आने का कारण पता नहीं था, लेकिन पिछले तीन साल से वह हर साल आ रही हैं। जमालपुर के वैपटिस्ट यूनियन चर्च भी जाती हैं। उनके परदादा राॅबर्ट और परदादी एलिजा की पसंदीदा प्रेयर पैलेस।

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किस्सा मुख्तसर

रॉबर्ट और एलिजा की शादी के मात्र 6 साल ही हुए थे। उस वक़्त उनके दो बच्चे थे। उस दौरान अंग्रेजों ने घने जंगलों की कटाई कर जमालपुर कारखाने को स्थापित किया था। 156 साल पहले जमालपुर के आसपास घना जंगल हुआ करता था। पास ही काली पहाड़ी थी। अराउंड द वर्ल्ड इन 80 डेज पुस्तक मेें जमालपुर के आसपास घने जंगल के होने और उसमें शेर, भालू, चीते और अन्य जंगली जानवरों की अधिक संख्या में होने की बात कही गई है।

वह दिन सोमवार था, तारीख थी 13 जून 1864। अंग्रेज फोरमैन थाॅमस राॅबर्ट अपनी पत्नी एलिजा के साथ मार्निंग वाॅक पर निकले। अचानक एक पेड़ की ओट में घात लगाए बैठा बाघ गुर्राते हुए थाॅमस राॅबर्ट और उसकी पत्नी एलिजा के सामने आ गया। राॅबर्ट ने अपनी बंदूक कंधे पर उतारनी चाही लेकिन अचानक बाघ ने एलिजा पर छलांग लगा दी। इतने में राॅबर्ट सामने आ गए, उनकी बंदूक गिर गई और अपनी पत्नी को बचाने के लिए वे खूंखार बाघ से भिड़ गए। बस इतना कह सके- एलीजा प्लीज यू गो आई फेस टाईगर। लेकिन , एलीजा नहीं भागी।

खूंखार बाघ से लड़ते-लड़ते रॉबर्ट लहुलुहान हो गए, एलीजा हेल्प-हेल्प चिल्लाकर मदद मांगती रहीं। तब तक राॅबट ने अपनी गिरी हुई बंदूक उठा ली और बाघ को वहीं ढेर कर दिया। कहते हैं कि राॅबर्ट ने अपनी पत्नी की बाहों में ही दम तोड़ा था।

उनकी यह मोहब्बत की दास्तां किताब के पन्नों में दर्ज तो नहीं लेकिन उनकी कब्र पर संगमरमर की प्लेट पर खुदे अक्षर इस बात की गवाही आज भी दे रही है। थाॅमस राॅबर्ट के पास ही उस बाघ की भी कब्र है। दोनों की मौत के बाद जमालपुर रेलवे कारखाना के अंग्रेज अधिकारियों ने दोनों की कब्र आसपास ही बना दी।

(लेखक खोजी पत्रकार हैं और ‘बीऑन्ड कंपैरिजन- मलूटी’ पुस्तक के लेखक हैं)


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