प्यार काफ़ी नहीं ज़िंदगी के लिए: पाकिस्तान के क़ायदे आज़म की प्रेम कहानी

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हरिकांत त्रिपाठी-

-जन्मदिन-


पाकिस्तान क़ायदे आज़म जिन्ना को जितना प्यार करता है, हिंदुस्तानी उतना ही उनसे नफ़रत करता है। इसका कारण रहा देश का बंटवारा। भारत के बंटवारे के कर्णधार जिन्ना को तो सभी जानते हैं पर जिन्ना नाम के इंसान के अंदर झांकने की चेष्टा बहुत कम की गई है । किसी भी इंसान में अच्छाई और बुराई का संघर्ष अंदर ही अंदर चलता रहता है, जिससे अछूते जिन्ना भी नहीं रहे। (Pakistan Quaid E Azam)

जिन्ना काठियावाड़ के इस्लाम कबूलने वाले राजपूत परिवार में पैदा हुए थे । इस्लाम कबूलने के बाद उनके पिता जिन्नाह भाई पुंजा और मां मीठीबाई कराची चले गए, जहां 25 दिसंबर 1876 को जिन्ना का जन्म हुआ। पंद्रह साल की उम्र में जिन्ना की शादी 14 साल की ऐमी बाई से कर दी गई और इसके बाद जिन्ना को पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया।

चार साल बाद जिन्ना इंग्लैंड से भारत लौटे और मुंबई में वकालत की प्रैक्टिस करने लगे। इसी दौरान उनकी पत्नी ऐमी बाई का कालरा से देहांत हो गया। तब जिन्ना महज़ बीस साल के थे और बेहद सफल युवा वकील के रूप में उभर रहे थे। उन्होंने फिर से शादी करने से इनकार कर दिया और अकेले रहने की घोषणा कर दी। (Pakistan Quaid E Azam)

उन दिनों लोकप्रिय होम रूल लीग में जिन्ना भी शामिल हो गए और ब्रिटेन से भारत की स्वतंत्रता की मांग करने लगे। होम रूल लीग में सरोजिनी नायडू भी सक्रिय थीं और वे जिन्ना के विचारों से काफ़ी प्रभावित हुईं और जिन्ना को “हिंदू मुस्लिम एकता का एंबेसडर“ कहने लगीं।

इस बीच जिन्ना काफ़ी मशहूर वकील हो गए। मुंबई के बहुत अमीर पारसी व्यवसायी सर दिनशाॅ पेटिट उनके मुवक्किल और मित्र बन गए। सर दिनशाॅ पेटिट के मुंबई के विशाल आवास पर जिन्ना अक्सर उनसे मिलने ज़ाया करते।

वर्ष 1916 में सर दिनशाॅ ने जिन्ना को अपने ‘ पेटिट समर रेज़िडेंस ‘ दार्जिलिंग में छुट्टियां बिताने का न्यौता दिया और जिन्ना ने लगभग दो महीने पेटिट के साथ दार्जिलिंग में बिताए। सर दिनशा पेटिट की एकमात्र संतान 16 वर्षीय रतन बाई पेटिट, जिसे प्यार से रति कहा जाता था, बेहद ख़ूबसूरत बालिका थी, जिसका पालन पोषण बहुत ही स्वतंत्र माहौल में हुआ था।

रति इतनी ख़ूबसूरत थी कि उसे लोग ‘फ्लावर ऑफ बंबई ‘ कहा करते थे। साथ रहने के दौरान रति और जिन्ना संपर्क में आए तो दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। तब रति मात्र 16 साल की थी और जिन्ना 40 साल के हो गए थे ।

एक दिन जिन्ना ने सर दिनशॉ पेटिट से पूछा कि आपके अंतरधार्मिक विवाह के बारे में क्या विचार हैं? जिन्ना की मंशा से अनभिज्ञ सर दिनशाॅ ने कहा कि ये तो अच्छी बात है और इससे भारत के लोगों की एकता में मज़बूती आएगी। जिन्ना ने गंभीर होकर कहा- ‘मैं आपकी बेटी रति से शादी करना चाहता हूं’। (Pakistan Quaid E Azam)

जिन्ना की इस बात पर सर दिनशॉ ग़ुस्से में फट पड़े और उन्होंने चीखते हुए कहा कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? रति आपसे 24 साल छोटी है। जिन्ना बंबई लौट आए। सर दिनशॉ इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने एक निषेधाज्ञा का सूट दायर कर आदेश ले लिया कि उनकी बेटी रति अभी 16 साल की है और 18 साल की होने तक जिन्ना उससे नहीं मिल सकते। रति को घर में एक तरह से क़ैद कर दिया गया ।

20 फ़रवरी 1918 को रति 18 साल की हो गई और जिन्ना व रति ने फिर से मिलना जुलना शुरू कर दिया। 18 अप्रैल 1918 को रति ने अपना घर छोड़ दिया और उसी समय जामिया मस्जिद में मौलाना एमएच नजफ़ी के सामने धर्म परिवर्तन करके इस्लाम क़बूल कर लिया। अगले दिन मौलाना नजफ़ी की गवाही में जिन्ना के साथ रति का 1001 रूपये मेहर तय कर निकाह हो गया। जिन्ना ने रति को उस ज़माने में 1 लाख 25 हजार रुपये के गिफ़्ट पेश किए।

वे रति को इतना प्यार करते थे कि शादी के पहले जिस क्लब में उनकी शामें बीतती थीं उसकी सदस्यता को छोड़कर सारा समय रति के साथ बिताने लगे। राजनीतिक कार्यक्रमों में भी जिन्ना जहां जाते रति उनके साथ होतीं। रति का पालन पोषण बहुत अमीरी और खुले परिवेश में हुआ था। उसे घर को महंगे सामानों से सजाना, महंगे कपड़े पहनना और लोगों से मिलना जुलना पसंद था। जिन्ना ने अपनी पत्नी रति के इन महंगे शौक़ों पर कभी कोई आपत्ति नहीं की ।

रति के कपड़े फ़्रांस से डिज़ाइन होते थे और वे पाश्चात्य पसंद के अनुसार लो नेक होते थे जिसमें क्लीवेज साफ़ दिखाई देते थे। उस समय भारतीय समाज में इस तरह के कपड़ों की स्वीकृति नहीं थी। एक बार बंबई के गवर्नर लॉर्ड विलिंग्डन की दावत में रति के कपड़े को देखकर लेडी वर्लिंग्डन ने कहा, ‘मेरी शाॅल लाओ, रति को ठंडक लग रही है’। ग़ुस्से से आगबबूला जिन्ना ने लेडी गवर्नर से कहा, ‘रति को ठंडक लगेगी तो वो आपकी शाॅल ख़ुद मांग लेगी’ और वे दावत का बायकाट करके घर चले आए। (Pakistan Quaid E Azam)

jinna and nehru during partition

उन दिनों के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में काफ़ी मतभेद चल रहा था। गांधी जी ख़िलाफ़त आन्दोलन में मुस्लिमों का साथ दे रहे थे जो पश्चिम देशों के विरुद्ध जेहाद छेड़कर ऑटोमन अंपायर स्थापित करना चाहते थे। उदार जिन्ना इसके विरुद्ध थे और उनका मानना था कि देश के मुसलमानों को केवल अपनी बेहतरी के मुद्दों पर केंद्रित रहना चाहिए।

हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को नापसंद जिन्ना के प्रयास से नागपुर में 1921 में मुस्लिम लीग और कांग्रेस का संयुक्त सत्र आयोजित किया गया। उस सत्र में जिन्ना बिलकुल अलग थलग पड़ गए और गांधी जी और जौहर बंधुओं के समर्थकों ने जिन्ना की हूटिंग और विरोध कर अपमानित किया। जिन्ना अलग-थलग हो गए और उन्होंने लोगों से मिलना जुलना छोड़ दिया। (Pakistan Quaid E Azam)

धीरे-धीरे उनका झुकाव मुस्लिम लीग की तरफ़ होने लगा। बाहर की परिस्थितियों का असर घर में भी पड़ा और जिन्ना और रति में कहासुनी और झगड़े होने लगे। रति बीमार पड़ गई और उसे अनिद्रा रहने लगी। 1927 में रति ताज होटल में चली गई और वे दोनों अलग अलग रहने लगे ।

1928 में जब रति की तबीयत बहुत ख़राब हो गई तो उसकी मां इलाज के लिए उसे फ़्रांस ले गई । वहां हॉस्पिटल में जब भर्ती हुई तो जिन्ना भी वहां पहुंच गए। दो महीने तक जिन्ना ने उसकी सेवा सुश्रुषा की, पर दोनों के संबंध पहले जैसे न हो पाए। जब रति बंबई वापस आई तो वो ताज होटल में कमरा लेकर रहने लगी। जिन्ना रोज़ काम ख़त्म करने के बाद ताज में रति से मिलने जाते रहे, जहां वे घंटों बिताते।

रति की तबीयत ख़राब ही चलती रही। कुछ लोगों का कहना है कि उसे क्षय रोग हो गया था। 28 जनवरी 1928 को असेंबली के बजट सेशन में शामिल होने जिन्ना दिल्ली चले गए। 18 फ़रवरी को रति कोमा में चली गई और 20 फ़रवरी को महज़ 29 साल की उम्र में निधन हो गया। सर दिनशॉ पेटिट ने फ़ोन पर जिन्ना को इसकी सूचना दी।

22 फ़रवरी को वे बंबई एअरपोर्ट पर पहुंचे, जहां से कर्नल सोखे और उनकी पत्नी ने अपनी कार से उन्हें क़ब्रिस्तान पहुंचाया। जब कब्र में रति का शव उतारा गया तो निकटतम संबंधी होने के नाते पहली मिट्टी डालने के लिए जिन्ना को कहा गया। कभी भी विचलित न होने वाले और अब तक अपने को शांत बनाए रखे जिन्ना सुबक-सुबक कर देर तक रोते रहे और मिट्टी डालने के बाद उठे और सीधे अपनी कार की ओर बढ़ गए। (Pakistan Quaid E Azam)

इसके बाद शेष जीवन जिन्ना ने अकेले बिताया और नई शादी नहीं की।

सुखद संबंध के साथ जीवन चलने के लिए केवल प्यार पर्याप्त नहीं है। नीचे रति के एक पत्र की पंक्तियां जो जिन्ना से अलग रहते हुए उन्हें उसने लिखा था और जो यह साबित करता है कि वो उन्हें कितना प्यार करती थी –

”Darling I love you–I love you–and had I loved you just a little less I might have remained with you–only after one has created a very beautiful blossom one does not drag it through the mire. The higher you set your ideal the lower it falls.

I have loved you my darling as it is given to few men to be loved. I only beseech you that the tragedy which commenced in love should also end with it.

Darling Goodnight and Goodbye.”

लोकमाध्यम ब्लॉग से साभार)


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