उत्तराखंड में शराब का अति आवश्यक वस्तु का दर्जा खत्म

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द लीडर देहरादून।

उत्तराखंड में अघोषित रूप से अति आवश्यक वस्तु बनी शराब अब सामान्य वस्तु मानी जायेगी। कोरोना के नए उभार के बाद भी शराब व्यवसाय पर हो रही मेहरबानी अब नए मुख्यमंत्री ने बंद कर दी है। शनिवार को हुई वर्चुअल सर्वदलीय बैठक में उनसे पूछा गया कि क्या शराब अति आवश्यक वस्तु है जो बंदी के बाद भी बिक रही है? इस पर उन्हें सख्त रुख अपनाना ही पड़ा।

मुख्यमंत्री का आदेश है कि अब रविवार से पूरे प्रदेश में अन्य सामान्य दुकानों की तरह शराब की दुकानें भी 2 बजे बंद हो जाएंगी। जो इसका उल्लंघन करेगा उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
दरअसल पिछले कुछ दिन से सोशल मीडिया पर लगातार तस्वीरों के साथ खबर आ रही थी कि सारा बाजार बंद होने के बाद भी शराब बिक रही है। खुद पुलिस वाले कह रहे थे कि यह तो सरकारी राजस्व का मामला है। पिछले साल भी लॉक डाउन में पूर्व मुख्यमंत्री की इच्छा से सब कुछ बंद होने के बाद रात 11 बजे तक शराब बिकी। एक अधिकारी ने तो गांव तक शराब पहुंचाने का आदेश किया। मैन स्ट्रीम मीडिया शराब पर ज्यादा नहीं लिखता लेकिन इस पर चैनलों में बहस तक हुई। त्रिवेंद्र सिंह पर शुरू से शराब माफिया के लिए काम करने के आरोप लगते रहे। गंगा के तीसरे संगम देवप्रयाग में शराब फैक्ट्री खुलवाने पर भी आलोचना हुई लेकिन सरकार ने प्रदर्शनों तक की परवाह नहीं की। कांग्रेस राज भी शराब माफिया सरकार की बदनामी की वजह बना लेकिन सरकारों ने शराब व्यवसायियों का ही साथ दिया।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, यूकेडी के दिवाकर भट्ट ने भी सूबे के सूरते हाल बताते हुए कई सुझाव रखे।

कालाबाजारी पर कड़ी कार्रवाई

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित बैठक में कालाबाज़ारी की शिकायतों पर दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये।

मई से राज्यव्यापी टीकाकरण अभियान की पुख्ता तैयारियों, कैम्प एप्रोच पर टीकाकरण, नगर निकायों की भांति ही पंचायतों में भी सेनेटाइजेशन, बाहर से आने वालों की सख्त चैकिंग पर भी रणनीति बनाई गई। कोरोना नियंत्रण में ग्राम प्रधानों की भूमिका और पुलिस का प्रधानों को सहयोग देने की भी बात हुई।

दवा तय दाम पर

मुख्यमंत्री ने अस्पतालों को उपलब्ध कराई गई रेमडेसिविर की मात्रा और तय दर सार्वजनिक करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा आगे के 15 दिनों के अनुसार कोविड को लेकर प्लान हो। उसी के अनुरूप आक्सीजन, आईसीयू, जरूरी दवाएं आदि की व्यवस्था सुनिश्चित हो। आक्सीजन सप्लाई चेन मैनेजमेंट पर सर्वाधिक ध्यान देना होगे। जनजागरूकता के लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दून अस्पताल की व्यवस्था पर खास ध्यान दिया जाए। टेस्ट के लिये सेम्पल लेते ही दवाई भी उपलब्ध करा दी जाए। अस्पतालों में पुलिस व्यवस्था भी सुनिश्चित कर ली जाए।

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