सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की कोशिशों के बावजूद उत्तराखण्ड के चमोली जिले में तपोवन परियोजना के कामगारों को अब तक रेस्क्यू नहीं किया जा सका है. कल शाम ड्रोन को भी सुरंग के भीतर अंतिम छोर तक उड़ाने की कोशिशें भी कामयाब नहीं हो पायीं. (Uttarakhand Disaster Update)
एक्सक्लूसिव: ग्लेशियर टूटने से नहीं हुआ ऋषि गंगा हादसा, यहां दफ्न है दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य
तपोवन परियोजना की 2 सुरंगों में से एक मुख्य सुरंग अब भी पूरी तरह मलबे से पटी हुई है. मुख्य सुरंग से जुड़ी 180 मीटर लम्बी दूसरी सुरंग से इस सुरंग तक पहुँचने की कोशिश की जा रही है. दूसरी सुरंग से जुड़ी 450 मीटर लम्बी सुरंग में 30 से ज्यादा कामगारों के फंसे होने का अंदेशा जताया जा रहा है. 5 मजदूर दो किमी लम्बी मुख्य सुरंग में ही फंसे हुए हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि मुख्य सुरंग में मलबा घुसने के बाद ये कामगार अपेक्षाकृत ऊंची सहायक सुरंग में पनाह लिए होंगे.
मलबे में दफन जिंदगी के साथ खत्म हुए सपने: ग्राउंड रिपोर्ट
इस हादसे के पहले दिन ही बचाव दलों ने मुख्य सुरंग के 70 मीटर भीतर जाने में कामयाबी हासिल की थी. तब माना जा रहा था कि फंसे कामगारों को जल्द रेस्क्यू कर लिया जायेगा. लेकिन बाद के दो दिनों में बचाव दल सिर्फ 80 मीटर ही और अंदर जा पाए. सुरंग को जितना साफ किया जा रहा है उतना ही मलबा भीतर से बाहर बहकर आ रहा है. इस तरह बचाव दलों को कुल 150 मीटर भीतर जाने में ही कामयाबी मिल पा रही है.
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इस बीच विशेषज्ञों के बीच ऋषिगंगा घाटी में आये सैलाब के कारणों पर एक राय नहीं बन पायी है. ‘वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान’ के मुताबिक ग्लेशियर टूटने के बाद हुए हिमस्खलन के बाद निकले पानी से रौंगथी गधेरे में एक अस्थायी झील बन गयी. बर्फ, पानी और गाद का दबाव बढ़ने पर यह झील टूट गयी और सैलाब आया.
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