वसीम अख्तर
दोपहर बाद का वक्त था. रामपुर नवाब घराने की बहू पूर्व सांसद बेगम नूरबानो कांग्रेस के संचालन केंद्र नूरमहल में ऐसी जगह तलाश रही थीं, जहां पीपल का एक और पेड़ लगा सकें. तभी उनके मोबाइल की घंटी बजने लगी. कॉल रिसीव करने पर फोन करने वाले ने बताया कि जितिन प्रसाद ने पार्टी छोड़ दी है, भारतीय जनता पार्टी में चले गए हैं. जितिन की बात कर रहे हो, बेगम साहिबा ने यह सवाल तीन बार दोहराया. इसलिए क्योंकि उन्हें यकीन नहीं हो रहा था, जितिन ऐसा कर सकते हैं. द लीडर हिंदी से इस बड़े राजनीतिक फेरबदल पर बेगम नूरबानो ने लंबी बातचीत की. एक नहीं, कई बार कहा कि यह अच्छा नहीं हुआ.
कैसे अपना सकेंगे दूसरी पार्टी की सोच
बेगम नूरबानो ने जितिन के कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर कहा कि जब पुश्तैनी रिश्ते होते हैं तो नफा-नुकसान नहीं देखा जा सकता. इन रिश्तों को निभाया जाता है, तोड़ा नहीं जाता. नूरमहल हो या फिर बाबा साहब का घराना हमारे पास अल्लाह का दिया सब कुछ है. दौलत की कमी नहीं है. मजे से रह रहे हैं. खा रहे हैं. वक्त के साथ असर कम जरूर हुआ लेकिन खत्म नहीं हुआ.
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जहां भी जाकर खड़े हो जाएं, लोग बात सुनते हैं. सही बात कहने का हौसला पुश्तैनी है. इस सोच के लोग, जिनके आइडियल गांधी और नेहरू हैं. उनके विचारों पर जिंदगी गुजारते रहे हैं, वे लोग कैसे कांग्रेस छोड़ सकते हैं. दूसरी पार्टी में जाकर अपनी सोच किस तरह बदल पाएंगे. सोचकर ही हैरान हूं.
दो बार मिनिस्टर और बड़ी जिम्मेदारियां
कांग्रेस की पूर्व सांसद ने कहा कि मुझे नहीं पता कि जितिन के कांग्रेस छोड़ने की वजह क्या रही? अंदरूनी क्या बात है. मुझे तो इतना पता है, वह राहुल गांधी और प्रयंका गांधी के करीबी थे. हम लोगों को इंतजार करना पड़ता था लेकिन जितिन और ज्योतिरादित्य सिंधिया की गाड़ी सीधे अंदर जाती थी.
जब कांग्रेस की सरकार रही तो जितिन को दो बार मिनिस्टर बनाया. इसके अलावा पार्टी में भी अहम पोस्ट दीं. इसके बाद भी पार्टी छोड़कर चले जाना, सच बताऊं मुझे तो बड़ा धक्का लगा है. मैं यह सुनकर ही शॉक हो गई. मुझे तो अगर पहले पता लगता तो मैं जितिन को समझाकर रोक लेती. पार्टी के सत्ता में लौटने का हम भी इंतजार कर रहे हैं. सत्ता के लिए पार्टी नहीं बदलनी चाहिए.
बाबा साहब के नूरमहल से करीबी रिश्ते
जिस तरह रामपुर में नूरमहल (बेगम नूरबानो का आवास) कांग्रेस का बहुत पुराना घर है, वैसे ही शाहजहांपुर में कुंवर जितेंद्र प्रसाद उर्फ बाबा साहब का घराना तीन पुश्तों से कांग्रेस केंद्र रहा है. खासबात यह कि बाबा साहब के नवाबजादा जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां, जो कि रामपुर से सात बार सांसद रहे, उनसे बहुत करीबी रिश्ते थे.
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जब 20 साल पहले मिक्की मियां की सड़क हादसे में मौत हो गई तो बाबा साहब का जुड़ाव उनकी बेवा नूरबानो से भी वैसा ही रहा. बेगम साहिबा बताती हैं कि जब वह दुल्हन बनकर रामपुर आईं तो उनके ससुर नवाब रजा अली खां ने उन्हें छह बड़े घरानों में जाकर सलाम करने के लिए कहा था.