सोनभद्र के गांवों में अबूझ बीमारी का कहर : दस दिन में 14 लोगों की मौत से दहशत में ग्रामीण

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द लीडर। इन दिनों शीतलहर और प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल है। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे है। सोनभद्र जिले के म्योरपुर विकास खंड के सेंदुर (मकरा) ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य महकमे के तमाम दावों के बावजूद मौत का क्रम जारी है। पिछले 24 घंटे में यहां मासूम समेत दो की मौत हो गई। प्राइवेट लैब की जांच में मृतकों के मलेरिया ग्रसित होने की बात सामने आई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग मलेरिया से मौत से इनकार कर रहा है। वहीं जब मीडिया की टीम गांव में पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया। जिसके बाद आनन फानन में म्योरपुर सीएचसी की टीम दवाईया और जांच किट लेकर गांव में कैम्प करने पहुंच गयी। बता दें कि, यहां पिछले दस दिनों के अन्दर 14 मौतें हो गई। वहीं इन मौते के होने के बाद भी जिले का स्वास्थ्य महकमा अनजान बना हुआ था। ग्रामीणों में सबसे ज्यादा खून की समस्या देखने को मिल रही है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि, फोन करने के घंटों बाद तक एम्बुलेन्स नहीं पहुंचती है। वहीं जिले में अज्ञात बीमारी से अब तक इतनी मौतें होने के बाद भी जिला प्रशासन सोया हुआ है।


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गांव में बना अबूझ बीमारी का कहर

बता दें कि, सोनभद्र में पिछले दस दिनों से अबूझ बीमारी का कहर गांव में बना हुआ है। अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार की रात बीमारी से ग्रसित 11 माह की कविता पुत्री रामसूरत की मौत हो गई। परिजन उसे उपचार के लिए अनपरा स्थित निजी चिकित्सालय में ले गए थे, जहां उसकी मौत हो गई। उधर, इसी ग्राम पंचायत के टोला मढैया की महिला सोनिया की भी अबूझ बीमारी से मौत हो गई है। मृतकों के परिजनों की मानें तो, दोनों की जांच में मलेरिया पीएफ निकला था। सोनिया को मलेरिया की दवा खाने के बाद थोड़ी राहत मिलने की वजह से वह अहरौरा धान काटने गई थी, जहां उसकी मौत हो गई। सोनिया के पती शिव प्रसाद ने बताया कि, वो सरकारी अस्पताल गए थे पर वहां न तो कोई जांच हुई और न ही सही से दवा दी गई। जिसके बाद उन्होंने गांव में घूमने वाले झोलाछाप डॉक्टर से दवाई ली थी। लेकिन उस दवाई से कुछ फायदा नहीं हुआ और अचानक उसकी मौत हो गई।

लगातार हो रही मौतों के बाद ग्रामीण दहशत में

वहीं स्थानीय ग्रामीण अंकुश दुबे ने बताया कि, लगातार हो रही मौतों के बाद ग्रामीण दहशत में हैं। ग्रामीणों के मौतों की मुख्य वजह मच्छर के काटने से मलेरिया और टाइफाइड है, स्वास्थ्य महकमे की ओर से किया जा रहा प्रयास नाकाफी साबित हुआ है। पूर्व में उनके यहां कभी भी मच्छर रोधी दवा का छिड़काव नहीं किया गया, जिससे उन्हें मच्छरों से निजात मिल सके।


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बता दें कि, शनिवार को सीएमओ ने गांव में पहुंचकर स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया था। वहीं कल हुई दो मौतों के बाद जिलाधिकारी टीके शिबू ने दौरा कर स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश दिए। सीएमओ नेम सिंह ने नए मलेरिया और डेंगू पॉजिटिव रोगी न मिलने की बात भी कही थी। ऐसे में एक बार फिर मौतों के कारण सीएमओ के दावे गलत साबित हो गए। लोगों में सीएमओ के दावे को लेकर नाराजगी का माहौल है।

ग्रामीणों का आरोप- गांव में नहीं कोई सुविधा

ग्रामीणों का आरोप है कि, स्वास्थ्य विभाग की कभी गांव में नहीं आती है। गांव में किसी भी चीज की सुविधा नहीं है मलेरिया या अन्य दवाइयों की उपलब्धता नहीं है। सरकारी अस्पताल में कोई दवा नहीं मिलती है। जिसकी वजह से प्राइवेट डॉक्टरों के यहां जाना पड़ता है। एम्बुलेन्स या डॉक्टर बुलाने पर भी कोई नहीं आता है।


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वहीं म्योरपुर सीएचसी के डॉ लालजी राम ने कहा किस गांव में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर स्थिति नियंत्रण में लाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा दी जा रही है। मच्छररोधी दवा का छिड़काव भी कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि, गांव के पानी में फ्लोराइड, नदी और कुएं का खुला पानी पीने से लोग बीमार पड़ रहे है। हम लोग जांच कर गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे है।

दोषी के खिलाफ होगी कार्रवाई

वहीं इस सम्बंध में मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि, गांव में साफ सफाई नहीं होने, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण अज्ञात बीमारी से लोगों की मौत हुई है। इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग की कोई लापरवाही नहीं है बल्कि गांव में साफ सफाई की जिम्मेदारी पंचायत विभाग की है। वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि, गांव में किसी कारण से लोगों की मौत हुई है इसकी जांच हो रही है। जांच रिपोर्ट में जो दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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