#FarmersProtest: जंग जारी, 29 से किसानों का संसद मार्च

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एक साल की जिद्दोजहद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने को ऐलान तो कर दिया। आंदोलनकारियों में इसकी खुशी भी कम नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपने मोर्चे छोड़कर घर आने को तैयार हो गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी मांगे पूरी हो जाने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। सभी घोषित कार्यक्रमों की तैयारी भी बदस्तूर जारी है। (Farmers Parliament March)

एसकेएम 22 नवंबर को लखनऊ में किसान महापंचायत की घोषणा कर चुका है, जो अभी भी होगी और बड़ी संख्या इस कार्यक्रम में आए, इसकी तैयारी हर स्तर पर चल रही है। एसकेएम ने उत्तर भारतीय राज्यों के किसानों से 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर जारी शांतिपूर्ण विरोध के पूरे एक वर्ष पूरे पर मोर्चा स्थलों पर पहुंचने की अपील की है। मोर्चा ने साफ कहा है कि जिन टोल प्लाजा को किसी भी शुल्क संग्रह से मुक्त किया गया है, उन्हें ऐसे ही रखा जाएगा। दिल्ली से दूर विभिन्न राज्यों में 26 नवंबर को पहली वर्षगांठ पर विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ राजधानियों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड निकाली जाएंगी।

28 तारीख को 100 से अधिक संगठनों के साथ संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के बैनर तले मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल महाराष्ट्रव्यापी किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। 29 नवंबर से प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारियों का ट्रैक्टर ट्रॉलियों में संसद तक शांतिपूर्ण और अनुशासित मार्च योजनानुसार आगे बढ़ेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस बयान जारी करके कहा, सरकार मानवीय कीमत के साथ इतने लंबे संघर्ष के बाद भी तमाम लंबित मांगों को अनदेखा कर रही है। देश के किसान कई वर्षों से सभी कृषि उत्पादों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए संघर्ष कर रहे थे और देश भर में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। इसके बावजूद मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून उलटी दिशा में थे। (Farmers Parliament March)

यही वजह है कि किसानों को अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन और मृत्यु की लड़ाई में इन कानूनों के खिलाफ प्रतिरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उचित एमएसपी के लिए वैधानिक गारंटी की मांग मौजूदा आंदोलन का एक अभिन्न अंग है। इसी तरह, वर्तमान आंदोलन विद्युत संशोधन विधेयक को पूरी तरह से वापस लेने और किसानों को दिल्ली में वायु गुणवत्ता विनियमन पर क़ानून से संबंधित दंडात्मक धाराओं से बाहर रखने की भी मांग कर रहा है। ये सभी मांगें अभी भी लंबित हैं।

मोर्चा के बयान में कहा गया है, इस आंदोलन में अब तक 670 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। मोदी सरकार ने अपने अड़ियल और अहंकारी व्यवहार के कारण प्रदर्शनकारियों पर भारी मानवीय कीमत को स्वीकार करने से भी इंकार कर दिया है। इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना है। (Farmers Parliament March)

शहीदों को भी संसद सत्र में श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश आदि विभिन्न राज्यों में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन सभी मामलों को बिना शर्त वापस लेना चाहिए।

लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में किसानों की निर्मम हत्या के सूत्रधार अजय मिश्रा टेनी कानूनी कार्रवाई से बचते रहे हैं और मोदी सरकार में मंत्री के पद पर बने हुए हैं। लखनऊ में कल से चल रहे डीजीपी/आईजीपी के वार्षिक सम्मेलन जैसे सरकारी समारोहों में अजय मिश्रा शिरकत कर रहे है। लखीमपुर खीरी के डीएम ने उकसाने वाले अंदाज में 24 नवंबर को संपूर्णनगर चीनी मिल (एक सहकारी मिल जिस पर किसानों का पिछले सत्र का कम से कम 43 करोड़ का बकाया है) में पेराई सत्र के उद्घाटन समारोह में उन्हें मुख्य अतिथि बनाया है।

जिला प्रशासन निश्चित रूप से स्थानीय किसानों के परेशान मनोदशा को समझता है, यह भी जानता है कि सुप्रीम कोर्ट लखीमपुर खीरी हत्याकांड में न्याय के लिए निष्पक्षता में स्वतः रुचि ले रहा है। एसकेएम डीएम को नियोजित कार्यक्रम को तत्काल रद्द करने की सलाह देता है। एसकेएम ने एक बार फिर मांग की है कि अजय मिश्रा टेनी को गिरफ्तार कर केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए। (Farmers Parliament March)

हांसी में भी जीते किसान

हांसी में कल किसानों को जीत हासिल हुई। हरियाणा के किसानों द्वारा एसपी कार्यालय का घेराव किए जाने के बाद कल प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को मान लिया। हिसार जिला प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की मांगों – घायल प्रदर्शनकारी कुलदीप राणा के इलाज के लिए मुआवजा, एक रिश्तेदार को नौकरी, एमपी के पीएसओ पर प्राथमिकी दर्ज करने आदि – पर चर्चा के लिए धरने से एक प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया। यह सहमति बनी कि एक एसआईटी का गठन किया जाएगा, यह पता लगाने के लिए कि कुलदीप राणा कैसे घायल हुए, एक परिजन को नौकरी दी जाएगी और इलाज के खर्च के अलावा उसे पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा। इसके बाद घेराव समाप्त कर दिया गया।

कर्नाटक से एसकेएम के मोर्चा स्थलों तक एकल पदयात्रा पर निकले नागराज कल उत्तर प्रदेश के कोसी कलां से गाज़ीपुर पहुंचे, जहां किसानों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। (Farmers Parliament March)

कई मुख्यमंत्रियों ने कल भारत सरकार की घोषणा का स्वागत किया है – इसमें दिल्ली, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु आदि राज्य शामिल हैं। कुछ मुख्यमंत्रियों ने किसानों की लंबित मांगों को पूरा करने के लिए भी जोर डाला है। (Farmers Parliament March)

एसकेएम नेताओं ने बताया, कल, जब कई प्रदर्शनकारी किसान पहली बड़ी जीत का जश्न मना रहे थे, भाकियू कादियां संघ से जुड़े मुक्तसर जिले के मलौत (पंजाब में) के जसविंदर सिंह ने आंदोलन के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया। 26 नवंबर 2020 को टिकरी मोर्चा पहुंचने के बाद से वे कभी घर नहीं गए थे। शहीद जसविंदर ने पीएम की घोषणा की खुशख़बरी सुनी और आंदोलन की पहली जीत पर खुश हुए। यह आंदोलन ऐसे कई योद्धाओं से मिलकर बना है और लगातार कुर्बानी देते हुए आगे बढ़ रहा है।


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