अंतरराष्ट्रीय हॉकी: भारत पहुंची पाकिस्तान की टीम

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तमाम तल्खियों के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच फिर रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। महामारी ने जो रास्ते बिल्कुल बंद कर दिए थे, उनको फिर खोला जा रहा है। यह शुरुआत पहले आस्थाओं की वजह से हुई और अब खेल को बढ़ावा देने के लिए हो रही है। भारतीय सिख अनुयायियों की पाकिस्तान यात्रा जारी है, निजामुद्दीन औलिया के उर्स में हिस्सा लेने पाकिस्तानी नागरिकों की आमद शुरू हो गई है। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में भाग लेने पाकिस्तानी की टीम भारत पहुंच गई है। (International Hockey Pakistan India)

पाकिस्तान की हॉकी टीम भारत द्वारा आयोजित होने वाले पुरुष जूनियर विश्वकप में भाग लेगी। प्रतियोगिता 24 नवंबर से 5 दिसंबर तक भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में होगी। पाकिस्तान की राष्ट्रीय हॉकी टीम 21-22 नवंबर को चिली और कनाडा के साथ अभ्यास मैच खेलेगी। पाकिस्तान का पहला मैच 24 नवंबर को जर्मनी से और 27 नवंबर को मिस्र से है।

दोनों देशों के बीच तीर्थयात्रियों की आवाजाही पहले ही शुरू हो चुकी है। हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के 718वें उर्स में हिस्सा लेने के लिए 18 से 25 नवंबर के बीच 70 से ज्यादा पाकिस्तानी तीर्थयात्री दिल्ली में आ रहे हैं। वे मार्च 2020 में वैश्विक महामारी के चलते सीमाएं बंद होने के बाद भारत आने वाले तीर्थयात्रियों का पहला समूह हैं। इसी तरह लगभग 1500 भारतीय तीर्थयात्री 17-26 नवंबर तक वाघा सीमा से पाकिस्तान का दौरा कर रहे हैं। (International Hockey Pakistan India)

दोनों यात्राएं भारत और पाकिस्तान के बीच ‘धार्मिक तीर्थयात्रा’ पर 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत कवर की गई हैं। भारतीय तीर्थयात्री गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब, गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब, गुरुद्वारा श्री देहरा साहिब, गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब, गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब और गुरुद्वारा श्री सच्चा सौदा का दौरा कर रहे हैं।

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इस सप्ताह की शुरुआत में भारत ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने की घोषणा की थी, जो महामारी के कारण 20 महीने के लिए निलंबित था। गलियारा भारत से पाकिस्तान के लिए तीर्थयात्रियों को पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब में प्रार्थना करने के लिए वीजा-मुक्त यात्रा प्रदान करता है। (International Hockey Pakistan India)

इस गुरुद्वारा को सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। इसे गुरु नानक का अंतिम विश्राम स्थल माना जाता है। 4.7 किमी लंबे कॉरिडोर को 9 नवंबर 2019 को गुरुपर्व पर बड़ी धूमधाम से खोला गया था।


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