क्या चुनाव में हार के डर से सरकार ने वापस लिया कृषि कानून, जानिए विपक्षी नेताओं ने क्या कहा ?

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द लीडर। भले आज प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों कों वापस लेने की घोषणा कर दी हो लेकिन राकेश टिकैत ने इस पर अपना बड़ा बयान दिया है उन्होंने कहा कि, आंदोलन तत्काल खत्म नही होगा. उन्होंने कहा कि, हम उस दिन का इंतज़ार करेंगे जब इन तीनों कृषि कानूनों कों संसद में रद्द किया जायेगा. बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की मांग मान ली है. पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान करते हुए किसानों से घर लौटने की अपील की है. इन सबके बीच किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने संकेत दिए हैं कि वे किसान आंदोलन तत्काल वापस लेने के मूड में नहीं हैं.


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राकेश टिकैत ने कहा है कि, आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. राकेश टिकैत ने साथ ही ये भी साफ किया है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ-साथ किसानों से संबंधित दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.

किसान आंदोलन के कई महीने बीत जाने के बाद आज तीनों कृषि कानून वापस करने का फैसला पीएम मोदी ने किया है. राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने इस फैसले का एलान किया. पीएम मोदी ने कहा कि, संसद के अगले सत्र में इन कानूनों को खत्म करने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि, पहले भी ये कानून किसानों की बेहतरी के लिए लाए गए थे लेकिन अफसोस है कि हम कुछ किसानों को ये बात समझाने में असफल रहे. पीएम ने आंदोलन कर रहे किसानों से वापस अपने घर लौट जाने की अपील की है. मालूम हो कि पहले केंद्र सरकार कृषि कानून को लेकर अपने फैसले से टस से मस होने को तैयार नहीं थी, लेकिन अचानक उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? इसके पीछे सोची समझी रणनीति है. चुनावी नफा नुकसान का गणित है. दरअसल, अगले साल की शुरूआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस वक्त ‘दिल्ली की सत्ता का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है’ इस मुहावरे को एक बार फिर से सच साबित करने का प्रयास किया जा रहा है.


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14 साल के बनवास के बाद मिली थी सत्ता

कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला यूपी के विधानसभा चुनाव से है. जहां 14 साल के बनवास के बाद पिछली बार बीजेपी प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी. बीजेपी किसी भी कीमत पर इस सत्ता को गंवाना नहीं चाहती है. कृषि कानून को लेकर प्रदर्शनकारी किसान साल भर से आंदोलन पर बैठे हैं. पश्चिमी यूपी में बीजेपी के नुकसान का अंदेशा था. यूपी के पूर्वांचल में भी बीजेपी की स्थिति पहले जैसी नहीं रही है. पिछले चुनाव में एनडीए के सहयोगी रहे ओम प्रकाश राजभर छिटक कर अखिलेश यादव के साथ जा चुके हैं. बीजेपी की तरफ से यूपी के किसान आंदोलन को जाट आंदोलन बताने की कोशिश की गई. बता दें कि, पश्चिमी यूपी से ही बीजेपी ने देश भर में जीत की नींव रखी थी. ये बात साल 2014 की है. मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने इसके लिए रणनीति बनाई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों ने 80 में से 73 सीटें जीत ली थीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में कामयाबी की ये कहानी दुहराई गई.

कृषि कानून वापसी पर नवजोत सिंह सिद्धू ने क्या कहा ?

नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट करके कहा कि, काले कानूनों को निरस्त करना सही दिशा में एक कदम. किसान मोर्चा के सत्याग्रह को मिली ऐतिहासिक सफलता. आपके बलिदान ने लाभ का भुगतान किया है. पंजाब में एक रोड मैप के माध्यम से खेती को पुनर्जीवित करना पंजाब सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.

पंजाब के डिप्टी सीएम ने दिया ये बयान

प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक साल से विवादों में चल रहे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है. वहीं इन कानूनों की वापसी पर सोशल मीडिया पर लोगों के रिएक्शंस आ रहे हैं. वहीं इसके अलावा राजनेता भी लगातार इस पर अपनी राय दे रहे हैं. इसी बीच पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.


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कानून वापसी में हुई देर- डिप्टी सीएम सुखजिंदर

पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर ने ट्विटर लिखा कि, कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय में बहुत देरी हुई है. फिर भी इसने छोटे और सीमांत किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतंत्र की विशाल शक्ति को दर्शाया है.

मनीष सिसोदिया बोले- माफी मांगे सरकार

इसके अलावा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “सरकार को उन तमाम किसान परिवारों से माफी मांगनी चाहिए जिन्होंने इस आंदोलन की वजह से अपनी जान गंवाई. भाजपा के यही लोग थे जिन्होंने किसानों को आतंकवादी बताया था. सरकार का किसानों के साथ एक साल तक ऐसा व्यवहार करना गलत था.”

अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया

केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. जिसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे किसानों की जीत करार दिया है. राहुल गांधी ने कहा कि, देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया. राहुल गांधी ने किसानों को जीत की मुबारक भी दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी उन कई नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले साल पेश किए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा के कुछ मिनट बाद ट्वीट किया. राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा पर पीएम मोदी पर कटाक्ष करने में कोई समय नहीं गंवाया. तीनों कृषि कानून वापस किए जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसानों को बधाई देते हुए ट्वीट कर कहा कि, देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया, अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!


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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस साल जनवरी के एक पुराने ट्वीट के साथ ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने कहा, “मेरे शब्दों को चिह्नित करें, सरकार को विरोधी कृषि कानून वापस लेना होगा. बता दें कि, कांग्रेस लगातार इन कृषि कानूनों का विरोध करती आ रही है. गुरु नानक जयंती पर हुई घोषणा से पंजाब और हरियाणा में बहुत प्रशंसा के साथ स्वागत किया गया है. बता दें कि किसान COVID-19 महामारी के बीच पेश किए गए तीन कृषि कानूनों का लगातार विरोध कर रहे थे और हर हाल में कृषि कानूनों को वापस करने की मांग कर रहे थे.

सुरजेवाला ने कहा- बीजेपी की हार ही देश की जीत

पीएम मोदी के इस फैसले को कांग्रेस ने किसानों और अपनी जीत बताया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि, पिछले एक साल से जारी किसानों का संघर्ष काम आया. सुरजेवाला ने कहा कि अब बीजेपी की हार ही देश की जीत है. रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि, किसानों ने तीनों नए काले कृषि कानूनों के खिलाफ मोदी सरकार के सामने याचिकाएं लगाई थीं, लेकिन मोदी सरकार से उन्हें सिर्फ यातनाएं मिलीं. मोदी सरकार ने किसानों पर लाठीचार्ज कराए, दिल्ली के बॉर्डर्स खुदवा दिए और किसानों के सिर फोड़ने के आदेश दिए. उन्होंने कहा कि, इतना ही नहीं आंदोलन कर रहे किसानों को आतंकी कहा गया, नक्सलवादी कहा गया, आंदोलनजीवी कहा गया.


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ममता बनर्जी ने अन्नदाता को दी बधाई

टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने पर किसानों को बधाई दी है. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी इसे किसानों की जीत बताया है. तीनों कृषि कानूनों के वापस जाने के सरकार के फैसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, “ये किसानों की जीत है. इस लड़ाई में हिस्सा लेने वाले किसानों को बधाई. हर किसानों को हार्दिक बधाई. इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है.”

हार के डर से लिए फैसला- संजय राउत

संजय राउत ने कहा “आज सरकार को तीनों कृषि क़ानून वापस लेने पड़े हैं, राजनीति की वजह से यह वापस लिए गए हैं, लेकिन मैं इसका स्वागत करता हूं. पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनाव में हार के डर की वजह से यह कानून वापस लिए हैं, सरकार के ऊपर दबाव था आखिर में किसानों की जीत हुई.”

सत्ता का अभिमान टूटा, किसान संघर्ष जीता- चंद्रशेखर

तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने कहा कि, आगामी चुनावों का डर ही सही लेकिन मोदी सरकार को झुकना पड़ा. सत्ता का अभिमान टूट गया और किसानों का संघर्ष जीत गया. संविधान की जीत हुई है. हालांकि इस जीत के लिए सैकड़ों किसानों ने अपनी शहादत दी है, उन्हें नमन.

चुनाव में हार के डर से लिया फैसला-नवाब मलिक

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने पीएम मोदी के कृषि कानून वापस लेने के फैसले पर अपना रिएक्शन दिया है. उन्होंने कहा कि आज से तीनों कृषि क़ानून इस देश में नहीं रहेंगे. एक बड़ा संदेश देश में गया है कि देश एकजुट हो तो कोई भी फैसला बदला जा सकता है. चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का वापस लिया है. किसानों की जीत देशवासियों की जीत है.


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