द लीडर : सुप्रीमकोर्ट ने देशद्रोह (Sedition) कानून को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सख्त और गंभीर टिप्पणी की है. इसके दूसरे ही पल, हरियाणा में 100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज (100 Farmers Booked under sedition charges) किए जाने का मामला सामने आया है. जिसने इस कानून के दुरुपयोग पर उठते सवालों को और प्रासंगिक बना दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के खिलाफ राजद्रोह कार्रवाई की कठोर शब्दों में निंदा की है.
गुरुवार को सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court of India) ने पूर्व सैन्य अफसर एसजी वोम्बटकेरे बनाम यूनियन ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में भारतीय दंड संहिता की धारा, 124-ए की जांच किए जाने की अपील की गई है.
ये याचिका मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice NV Ramana), जस्टिस एएस बोपन्ना और ह्रषिकेश रॉय की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई. इस पर सुनवाई के दरम्यान सर्वोच्च अदालत ने कहा, ”क्या स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी धारा 124-ए के अंतर्गत देशद्रोह के प्रावधान की आवश्यकता है?”
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सीजेआइ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से भी सवाल किया.” ये एक औपनिवेशिक कानून है. जिसका उपयोग अंग्रेजों के खिलाफ जारी आजादी की जंग को दबाने के लिए किया गया था. महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक समेत दूसरे स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों के विरुद्ध इसका इस्तेमाल हुआ. क्या आज, आजादी के 75 बरस बाद भी ऐसे कानून की जरूरत है?”
सुप्रीमकोर्ट ने इस पर केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मंजूर कर लिया है. शीर्ष अदालत ने देशद्रोह से संबंधित एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की एक अन्य याचिका को भी इसी के साथ टैग कर लिया.
अदालत ने अटॉर्नी जनरल से कुछ अन्य सवाल किए. और कहा कि, ”अगर आप धारा 124-ए के तहत चार्ज का रिकॉर्ड देखते हैं तो इसमें अपराध साबित होने की दर बेहद कम है. आइटी एक्ट की धारा-66ए का हवाला देते हुए सीजीआइ ने कहा कि ये प्रावधान समाप्त किए जाने के बाद भी हजारों मामले पंजीकृत किए जा रहे थे.”
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सीजेआइ ने कहा, ”हमारी चिंता कानून के दुरुपयोग को लेकर है. कार्यपालिका की कोई जवाबदेही नहीं है. हम इससे जुड़े दूसरे मामलों को देखेंगे. पेंडिंग केसों की जांच करेंगे. और सभी को एक ही जगह पोस्ट कर सकते हैं.”
अदालत ने इस बात पर भी हैरत जताई कि, ”केंद्र ने तमाम पुराने कानून रद कर दिए हैं. लेकिन इस इस प्रावधान पर क्यों ध्यान नहीं दिया?” अटॉर्नी जनरल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि, ”इस धारा को खत्म करने की जरूरत नहीं है. महज गाइडलाइन तय की जा सकती है. जिससे ये कानूनी मकसद हासिल कर सके.”
इस पर अदालत ने जवाब दिया कि, ”अगर कोई दल दूसरे पक्ष की आवाज सुनना नपहीं चाहता है. तो वे इस तरह के लॉ का उपयोग दूसरे लोगों को फंसा सकते हैं. ये लोगों के लिए एक गंभीर प्रश्न है.”
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कोर्ट ने याची के भराेसे पर कहा कि ”वह रिटायर्ड मेजर जनरल हैं. पूरी जिंदगी देश सेवा की है. इसलिए हम ये भी नहीं कह सकते हैं कि ये याचिका प्रेरित है.”
100 किसानों पर राजद्रोह से नाराज मोर्चा
हरियाणा के सिरसा जिले में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के अधिकारिक वाहन पर कथित हमले के मामले में 100 किसानों के खिलाफ सेडिशन-राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेडिशन के अलावा किसानों के खिलाफ हत्या के प्रयास का भी मामला पंजीकृत किया गया है.
घटना बीती 11 जुलाई को है. आरोप है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने एक वाहन पर हमला कर दिया था. जोकि हरियाणा के डिप्टी स्पीकर का है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में आरोपों को निराधार बताते हुए कार्रवाई को कोर्ट की अवमानना बताया बताया गया है. किसान नेता हरचरण सिंह, प्रहलाद सिंह समेत 100 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है. हरियाणा में किसानों पर ये कार्रवाई उस समय हुई है, जब गुरुवार को ही शीर्ष अदालत ने देशद्रोह कानून को लेकर गंभीर प्रश्न उठाए हैं.