दिल्ली की सीमाओं पर महीनों से डटे किसानों ने सभी सांसदों को पीपुल्स व्हिप जारी कर तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी गारंटी कानून पारित कराने का निर्देश दिया है। भारत के सभी किसानों की ओर से जारी यह व्हिप लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों तक जाएगा, जिसमें यह लक्ष्य पाए बगैर वॉकआउट न करने का भी निर्देश जारी दिया गया है। इसके साथ ही यह सूचना दी गई है कि मानसून सत्र के हर कार्यदिवस पर किसान 22 जुलाई से 13 अगस्त के बीच संसद मार्च करेंगे। संसद मार्च में भागीदारी को 22 राज्यों के किसान आएंगे, जिसमें से कई जत्थे सीमाओं पर पहुंच भी चुके हैं और यह सिलसिला जारी है।
किसान मोर्चा के सिंघु बॉर्डर पर बृहस्पतिवार को बब्बू मान, अमितोज मान, गुल पनाग समेत कई लोकप्रिय कलाकार किसान आंदोलन के समर्थन में पहुंचे।
संयुक्त किसान मोर्चा के संसद मार्च के आह्वान पर देशभर से उत्साह की खबरों को बताया गया। इस बात की पुष्टि हुई है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों के अलावा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान से बड़ी संख्या में किसान इस मार्च में भाग लेंगे। महिला किसानों द्वारा विशेष मार्च में उत्तर-पूर्वी राज्यों सहित पूरे भारत से महिला किसानों और नेताओं की बड़ी संख्या में भागीदारी होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा की आेर से जारी बयान में बताया गया है कि सरकार के काम से संबंधित आम जनहित के किसी भी मामले को संसद और सांसदों के समक्ष लाने के नागरिकों के लंबे समय से स्थापित संवैधानिक अधिकार के अनुसार पीपुल्स व्हिप जारी किया गया है। इस संबंध में, सांसदों को उस पर ध्यान देने और उस पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है, और इसे उन मतदाताओं के प्रत्यक्ष निर्देश के रूप में माना जाना चाहिए जिन्होंने उन्हें संसद सदस्य के रूप में चुना है और जिनके प्रति वे संवैधानिक रूप से जवाबदेह हैं।
पीपुल्स व्हिप ने संसद के दोनों सदनों में सांसदों को किसान आंदोलन की मांगों, अर्थात् कोविड के समय में केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए 3 काले कृषि कानूनों को निरस्त करने और किसानों की सभी फसलों के एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए कानून बनाने, का निर्देश दिया। और जब तक केंद्र सरकार संसद के पटल पर किसानों की मांगों को स्वीकार करने का आश्वासन नहीं देती तब तक सदन में कोई अन्य कार्य करने की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया। सांसदों को सदनों से वॉकआउट न करने का भी निर्देश दिया गया, जिससे सत्ताधारी दल मनमानी न कर सके।
यदि सांसदों को सदनों के अध्यक्ष सा सभापति द्वारा निलंबित भी किया जाता है, तो भी उन्हें सदन में जाकर केंद्र सरकार का विरोध करने का निर्देश दिया गया। पीपुल्स व्हिप यह स्पष्ट करता है कि यदि संबंधित सांसद व्हिप के निर्देशों को स्वीकार करने और उसके कार्यान्वयन में विफल रहते हैं, तो भारत के किसान हर पटल पर उनका विरोध करने के लिए बाध्य होंगे।
एसकेएम ने आज संसद विरोध मार्च की विस्तृत योजनाओं की घोषणा की। 22 जुलाई से, संसद के प्रत्येक कार्य दिवस के दिन, 200 किसान कार्यकर्ता और नेता एसकेएम द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीके से संसद भवन की ओर मार्च करेंगे। प्रदर्शनकारियों के दैनिक जत्थे में दिल्ली की सीमाओं के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों से, विभिन्न संगठनों से चुने गए किसान नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे।
जारी किए गए प्रेस बयान में यह भी कहा गया है कि 26 जुलाई और 9 अगस्त को महिला किसान नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा विशेष संसद विरोध मार्च निकाला जायेगा। महिलाएं किसानों की आजीविका और भविष्य के लिए इस लंबे और ऐतिहासिक संघर्ष में सबसे आगे रहीं हैं और इन दो दिनों के विशेष मार्च में महिलाओं की अद्वितीय और यादगार भूमिका को याद किया जाएगा।
एसकेएम ने विदेशों में स्थित “सिख फॉर जस्टिस” नामक एक संगठन द्वारा किए गए एक कथित बयान को भी संज्ञान में लिया है। इस पर कहा कि इस अलगाववादी संगठन द्वारा जारी किया गया आह्वान किसान विरोधी और किसान आंदोलन के हितों के खिलाफ है, एसकेएम इसकी कड़ी निंदा करता है। न तो एसकेएम और न ही किसान आंदोलन का ऐसे संगठनों से कोई लेना-देना है और एसकेएम उन्हें भारत के किसानों की भावी पीढ़ी के साथ-साथ 140 करोड़ भारतीयों की खाद्य सुरक्षा के लिए लंबे और कठिन, शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक संघर्ष को भटकाने और पटरी से उतारने के प्रयासों से दूर रहने का निर्देश देता है।
संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में यह भी कहा गया है कि सिरसा पुलिस द्वारा ग्राम फग्गू से किसान बलकोर सिंह, नीका सिंह, दलजीत और मनदीप को झूठे और मनगढ़ंत आरोप में गिरफ्तार करने और उन पर चौंकाने वाला राजद्रोह का आरोप लगाने की निंदा करता है। आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की स्वतंत्र भारत में अंग्रेजों के ज़माने के दमनकारी कानून के इस्तेमाल को लेकर असहमति जताने के बाद पुलिस की कार्रवाई वास्तव में निंदनीय है।
”हरियाणा की भाजपा सरकार के निर्देश के तहत, पुलिस गंभीर रूप से अवैध और असंवैधानिक कार्य कर रही है, जिसकी एसकेएम द्वारा निंदा की जाती है। सभी गिरफ्तार किसानों को एसकेएम द्वारा पूर्ण कानूनी समर्थन दिया जाएगा और उचित राहत और दोषी भाजपा सरकार को सजा के लिए मामले को सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाया जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि हरियाणा की भाजपा सरकार शांतिपूर्ण किसान आंदोलन पर हमला करने और टकराव और आतंक का माहौल बनाने पर आमादा है। एसकेएम ऐसे सभी प्रयासों का डटकर विरोध करेगा और किसानों की मांगें पूरी होने तक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जारी रखेगा।”
”हरियाणा के भाजपा नेता मनीष ग्रोवर ने अभद्र और अक्षम्य भाषा का इस्तेमाल कर महिला किसानों और प्रदर्शनकारियों का अपमान किया था। इसके जवाब में किसानों ने हरियाणा के रोहतक स्थित उनके आवास के बाहर अनिश्चितकालीन धरना दिया। पुलिस ने आवास पर बैरिकेडिंग कर दी है और मनीष ग्रोवर अपने ही घर में नजरबंद हैं। धरना तब तक जारी रहेगा जब तक कि दोषी भाजपा नेता बिना शर्त माफी नहीं मांगते।”
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