द लीडर : गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत साल 2016 से 2019 के बीच देश के विभिन्न हिस्सों से करीब 5,922 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जबकि साल 2019 में 93 लोगों के खिलाफ राजद्रोह (Sedition) का मामला दर्ज किया गया. इसमें 96 लोगों की गिरफ्तारी (Arrested) हुई है. बुधवार को संसद (Parliament) में पूछे गए प्रश्नों के जवाब में गृह मंत्रालय की ओर से ये जानकारी दी गई है.
गृहराज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक लिखित जवाब में कहा कि राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार 76 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए, जिसमें 23 लोगों को अदालत ने बरी कर दिया है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूएपीए और राजद्रोह के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. दरअसल, वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था. उस समय राज्य के नेताओं, कार्यकर्तओं के विरुद्ध यूएपीए के अंतर्गत कार्रवाई की गई थी. हालांकि सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देकर अपनी कार्रवाई का बचाव किया था.
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वर्तमान में किसान आंदोलन चल रहा है. बीती 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा भड़क गई थी और इसमें एक किसान नवरीत की मौत हो गई थी. इस पर कुछ पत्रकारों ने ट्वीट किया कि नवरीत की मौत पुलिस कार्रवाई में हुई है.
इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पत्रकार जफर आगा, सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध राजद्रोह के अंतर्गत कार्रवाई की गई है. यूएपीए और राजद्रोह जैसी संगीन धाराओं के अंतर्गत हो रही इन कार्रवाईयों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर सवाल उठाता रहा है.
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संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलामनबी आजाद ने ये मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि पत्रकारों और देश के मंत्री रहे एक शख्स के विरुद्ध राजद्रोह की कार्रवाई करना उचित नहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की थी कि उनका दिल बड़ा है. सरकार को ऐसी कार्रवाईयों से बचना चाहिए.