त्रिपुरा हिंसा के खिलाफ बोलने वाले एक्टिविस्टों पर UAPA लगाने पर राहुल गांधी का सरकार पर हमला

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Rahul Gandhi Tripura Violence

द लीडर : त्रिपुरा सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाले 102 एक्टिविस्ट, छात्र और वकीलों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) लगाने को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधा है. ”राहुल गांधी ने कहा, #tripura_is_Burning ये सुधारात्मक कार्रवाई की अपील है. लेकिन भाजपा की पसंदीदा कवर-अप रणनीति ऐसे संदेशवाहकों को निशाना बना रही है. यूएपीए से सच्चाई को चुप नहीं कराया जा सकता.” (Rahul Gandhi Tripura Violence)

त्रिपुरा हिंसा को लेकर राहुल गांधी काफी मुखर हैं. और 28 अक्टूबर को जब राज्य में मुस्लिम विरोधी हिंसा भड़की थी. तब भी उन्होंने एक बयान दिया था. राहुल गांधी ने कहा-”त्रिपुरा में हमारे मुसलमान भाईयों पर क्रूरता हो रही है. हिंदू के नाम पर नफरत व हिंसा करने वाले हिंदू नहीं, ढोंगी हैं. सरकार कब तक अंधी-बहरी होने का नाटक करती रहेगी?”

त्रिपुरा में 20 अक्टूबर से सांप्रदायिक हिंसा की खबरें सामने आई थीं. कई मस्जिद, घर और दुकानें भी जलाई गईं. स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) शुरुआत से ही इस हिंसा को लेकर आवाज उठाता रहा. बाद में कई सामाजिक और धार्मिक संगठन भी मुखर हुए.


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सुप्रीमकोर्ट के एडवोकेट एहतिशाम हाशमी के नेतृत्व में वकीलों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने त्रिपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की कि राज्य की हिंसा में मुसलमानों को निशाना बनाया गया है. (Rahul Gandhi Tripura Violence)

पहले तो त्रिपुरा पुलिस हिंसा की खबरों को ही सिरे से खारिज करती रही. और ये दावा किया कि पानीसागर में मस्जिद को निशाना नहीं बनाया गया. लेकिन वकील और जमीयत उलमा-ए-हिंद दोनों की जांच में मस्जिद को निशाना बनाए जाने की तस्दीक हुई है.

अब पुलिस ने वकीलों के साथ ही 102 लोगों के खिलाफ यूएपीए का केस दर्ज किया है. इस आरोप में कि इन्होंने हिंसा की भ्रामक खबरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. इसमें अधिकांश एक्टिविस्ट मुस्लिम हैं. पत्रकार, वकील और छात्र भी हैं. (Rahul Gandhi Tripura Violence)

राज्य सरकार की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना हो रही है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी 102 लोगों के विरुद्ध यूएपीए की कार्रवाई की निंदा की है.

लेकिन हैरत की बात ये है कि अधिकांश राजनीतिक दल त्रिपुरा हिंसा पर बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. दूसरी तरफ राहुल गांधी हैं, राहुल गांधी ही हैं जो हिंसा से लेकर यूएपीए तक की कार्रवाई के खिलाफ खड़े हैं. और सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. (Rahul Gandhi Tripura Violence)

 

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