त्रिपुरा पुलिस ने सांप्रदायिक हिंसा कबूली, निष्पक्ष जांच में दंगाईयों पर नहीं आंच, वकीलों पर UAPA उलमा की गिरफ्तार से सवाल

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Tripura Communal Violence Police
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में त्रिपुरा हिंसा पर अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट सामने रखती वकीलों की टीम.

द लीडर : सुप्रीमकोर्ट के वकील अंसार इंदौरी और एडवोकेट मुकेश, उस चार सदस्सीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा हैं, जिसने त्रिपुरा सांप्रदायिक हिंसा पर, ‘Humanity under attack in Tripura’रिपोर्ट तैयार की है. इसको लेकर त्रिपुरा पुलिस ने इनके खिलाफ आपराधिक साजिश रचने समेत कई आरोपों लगाते हुए, संगीन धाराओं में केस दर्ज किया गया है. जिसमें, भारतीय दंड संहिता की धारा-153-ए, 153-बी, 469, 471, 503, 504, 120-बी और गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा 13 शामिल है. त्रिपुरा के सब-इंस्पेक्टर श्रीकांत गुवा ने इंडियन एक्सप्रेस से इसकी पुष्टि की है. (Tripura Communal Violence Police)

इतना ही नहीं, इन्हीं संगीन धाराओं में 68 और लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिन्होंने ट्वीटर या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से त्रिपुरा हिंसा का विरोध दर्ज कराया था. अगरतला पुलिस ने 68 एकाउंट्स की डिटेल ट्वीटर को भेजी है, जिन्हें सस्पेंड करने की बात कही है. इसके साथ ही इनके बारे में विस्तृत जानकारी भी मांगी है.

इसमें अधिकांश पत्रकार, एक्टिविस्ट और स्टूडेंट्स शामिल है. करीब 68 लोगों पर यूएपीए के तहत कार्रवाई किए जाने को लेकर राज्य सरकार और पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इससे अब ये मामला और तूल पकड़ रहा है.

दक्षिणी त्रिपुरा के डीआइजी केजी राव ने एक बयान में कहा है कि, राज्य में शांति है. पिछले सप्ताह भर से कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है. और पुलिस निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई कर रही है.

सुप्रीमकोर्ट के वकील एहतिशाम हाशमी के नेतृत्व में चार वकीलों की टीम ने अक्टूबर के आखिर में त्रिपुरा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके ‘Humanity under attack in Tripura’रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, जो हिंसा का सच बताती है.


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वकीलों की रिपोर्ट के अलावा कितनी ही ग्राउंड रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिनमें जमीयत उलमा-ए-हिंद, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया-एसआइओ का भी डाटा है. जिससे साफ होता है कि राज्य की हिंसा में अल्पसंख्यक मुसलमानों के धार्मिक स्थल-मस्जिद, मकान और दुकानों को निशाना बनाया गया. आगजनी और तोड़फोड़ करके खौफ का माहौल पैदा करने की कोशिश हुई. (Tripura Communal Violence Police)

इसलिए वकीलों पर यूएपीए और आपराधिक साजिश के आरोपों में कार्रवाई की चौतरफा आलोचना हो रही है. फैक्ट फाइंडिंग टीम के वकील स्वतंत्र लीगल संस्थाओं से भी जुड़े हैं. जैसे-नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्रयूमन राइट्स, लॉयर्स फॉर डेमोक्रेसी.

पीयूसीएल ने इस तथ्य पर ध्यान खींचा है कि, वकीलों की रिपोर्ट हिंसा में हिंदुत्ववादी संगठनों की भूमिका को उजागर करती है. इसके अध्यक्ष रवि किरन जैन और राष्ट्रीय महासचिव डॉ. वी सुरेश ने एक बयान में कहा है कि, फैक्ट फाइंडिंग की प्रक्रिया गांधीजी का बताया रास्ता है. हम वकीलों पर कार्रवाई की निंदा करते हैं. ऐसा महसूस होता है कि पुलिस संवैधानिक स्वतंत्रता का आपराधीकरण करने की कोशिश कर रही है.

त्रिपुरा पुलिस ने तहरीक-ए-फरोग इस्लामी के अध्यक्ष मौलाना कमर गनी उस्मानी और उनके साथ गए सदस्यों को भी पुलिस ने पानीसागर से 3 नवंबर को हिरासत में ले लिया. उन पर प्रोपोगैंडा फैलाने का आरोप है. मौलाना ने खुद को डिटेन किए जाने के दौरान एक वीडियो संदेश जारी करके इसकी सूचना दी थी. (Tripura Communal Violence Police)


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इन सब मामलों को लेकर वकील, सामाजिक संस्थाएं और स्टूडेंट्स ऑग्रेनाइजेशन त्रिपुरा पुलिस पर सवाल उठा रही हैं. ये कहते हुए कि हिंसा के आरोपियों पर एक्शन के बजाय पुलिस फैक्ट सार्वजनिक करने वालों पर एक्शन ले रही है.

त्रिपुरा के डीआइजी जीके राव ने 3 नवंबर को एक वीडियो संदेश जारी करके कहा था कि हिंसा के मामले में 11 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. उत्तरी त्रिपुरा में 4, पश्चिमी त्रिपुरा में 3, सिपाहीजाला में 3 और गोमती जिले में एक मामला दर्ज किया गया. पुलिस निष्पक्ष जांच कर रही है. कुछ शरारती तत्वों ने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है. जहां तक संपत्ति के नुकसान की बात है तो सरकार पहले ही कह चुकी है कि उसका मुआवजा दिया जाएगा. पुलिस सक्रिय है. और मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में गश्त कर रही है.

त्रिपुरा हिंसा बांग्लादेश का प्रतिशोध है. जहां 13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा पर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया था. हालांकि तथ्य ये है कि बांग्लादेश पुलिस ने 4 दिन में ही मामले को निपटा लिया. और मुख्य आरोपी समेत 450 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था. (Tripura Communal Violence Police)

बांग्लादेश हिंसा के विरोध में ही त्रिपुरा में हिंदुत्ववादी संगठन सड़कों पर आकर विरोध करने लग गए. आरोप है कि इसमें शामिल भीड़ हिंसक होकर अपने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने लगी. इसी क्रम में मस्जिद, मकान और दुकानों पर हमले हुए हैं.

त्रिपुरा के डीआइजी जीके राव के मुताबिक हिंसा में कोई भी हताहत नहीं हुआ है. लेकिन कुछ लोगों ने गलत पोस्ट करके माहौल खराब करने की कोशिश की. (Tripura Communal Violence Police)

 

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