Thursday, October 17, 2024
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दिल्ली रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड की इजाजत नहीं, किसान बोले-रिंग रोड पर ही करेंगे रैली

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द लीडर : किसानों ने गणतंत्र दिवस ( 26 जनवरी ) पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान कर रखा है. इसको लेकर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और केंद्र सरकार दोनों सकते में हैं. गुरुवार को दिल्ली पुलिस के साथ किसान नेताओं (Farmers Leader) की बैठक हुई. इसमें पुलिस ने किसानों से कहा कि आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली की अनुमति देना संभव नहीं है. दूसरी तरफ किसानों ने साफ कह दिया कि हम रिंग रोड पर ही रैली करेंगे. हालांकि शुक्रवार को एक बार फिर पुलिस और किसानों के साथ बातचीत तय हुई है. (Delhi Tractor Parade Farmers)

दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 57 दिनों से किसान, केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार के साथ 10 दौर की बातचीत हो चुकी है. जिसमें बुधवार की बैठक में सरकार ने किसानों को ये प्रस्ताव दिया था कि वो चाहें तो कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए होल्ड पर रखा जा सकता है.

चूंकी अब 26 जनवरी नजदीक है. इस दिन किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा कर रखी है, जिसका अभ्यास भी जारी है. किसान नेताओं के मुताबिक हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर रैली में पहुंचेंगे.

26 जनवरी के दिन किसानों की परेड को लेकर पुलिस और सरकार दोनों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. पुलिस के साथ बैठक के बाद किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने पत्रकारों को बताया कि दिल्ली पुलिस ने आउटर रिंग रोड पर रैली निकालने की इजाजत देने में असमर्थता जताई है. हालांकि हमने साफ बोल दिया कि हम उसी रोड पर रैली निकालेंगे.


कृषि कानूनों को 2 साल तक होल्ड पर रखने को राजी मोदी सरकार, किसान बोले-आपस में बात करके देंगे जवाब


 

वहीं, स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि ट्रैक्टर रैली के बारे में हमारी दिल्ली, हरियाणा और यूपी पुलिस के अलावा गृह मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत चल रही है. आज इसका तीसरा दौर है. 26 जनवरी को किसान परेड तय कार्यक्रम के मुताबिक होगी.

वहीं, दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट सीपी ट्रैफिक-मनीष अग्रवाल ने एएनआइ से कहा कि गणतंत्र दिवस परेड को बिना किसी व्यवधान के कराना हमारा फर्ज है. हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि 23 जनवरी को विजय चौक, रफी मार्ग, जनपथ, मानसिंह रोड पर ट्रैफिक को अनुमति नहीं होगी.

उन्होंने लोगों से आह्वान है कि 23 जनवरी को वे ट्रैफिक एडवाइजरी देखकर घर से निकलें. 26 जनवरी की सुबह 4 बजे से नेताजी सुभाष मार्ग बंद कर दिया जाएगा.

ट्रंप ने अपनी सरकार में भारतीय मूल के लोगों को अहम जिम्मेदारी क्यों नहीं दी थी?

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आखिरकार बाइडेन ने अमरीकी राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली. भारत का ज्यादातर हिंदी और अंग्रेज़ी मीडिया इसकी लाइव कवरेज कर रहा था, पर अपनी आदत के मुताबिक मेरा ध्यान अंतरराष्ट्रीय मीडिया के प्रमुख टीवी चैनलों पर था. ये जानने की कोशिश थी कि वे इस घटना की कवरेज कैसे कर रहे हैं, और उनके पत्रकारों/एंकर्स की टिप्पणियां क्या हैं?

सो अंग्रेज़ी के जितने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टीवी चैनलों तक मेरी पहुंच है, उन सबको खंगाला. ABC Australia और CNN की कवरेज व टीका-टिप्पणियां ठीक लगीं. अलजज़ीरा और चैनल न्यूज़ एशिया थोड़ी देर से इस पे आया. बीबीसी घटना पे बना तो हुआ था पर उसकी कवरेज मुझे बोरिंग लगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फोटो, साभार ट्वीटर

DW जर्मनी और फ्रांस के चैनल भी सुस्ता कर इसकी कवरेज पे आए. सबसे कमाल का रूस का रशिया टुडे चैनल रहा, जो लगातार अमरीका को गरियाता रहा. साजिश ढूंढता रहा. लग रहा था कि शीत युद्ध का असर गया नहीं अब तक.


अमेरिका की बाइडन सरकार के लिए भारतीय मूल की समीरा फाजिली आर्थिक परिषद की उप-निदेशक नामित


 

मैंने लंबे समय तक भारत सरकार की मॉनिटरिंग सर्विस (तब Central Monitoring Service,आया नगर, अब इसे NTRO यानी National Technical Research Organization के नाम से जाना जाता है) में बतौर News Monitor अंग्रेज़ी भाषा के विदेशी रेडियो/टीवी ब्रॉडकास्ट को मॉनिटर किया है.

तब उस ब्रॉडकास्ट को रिकॉर्ड करके उसे transcript करना पड़ता था. फिर उस पे रिपोर्ट बनती थी, जो Editing/Compilation के बाद भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में जाती थी.

आज अपने उसी हुनर का इस्तेमाल करके मैं बारी-बारी सभी विदेशी अंग्रेज़ी ब्रॉडकास्ट को देख रहा था कि कमला हैरिस के भारत कनेक्शन पर कोई कुछ बोल रहा है या नहीं. उम्मीद थी कि कम से कम Channel News Asia तो इस पे कुछ विस्तार से बताएगा, पर जितना मैं देख पाया, उसने भी चुप्पी मारे रखी.

सिर्फ भारत के हिंदी चैनल सुबह से अमरीकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह और कमला हैरिस के Indian connection पे उछल रहे थे. कुछ ने अपनी आदत के मुताबिक बाइडेन की अनसुनी घटिया कहानियां दिखाईं और कुछ कमला का गुणगान करते रहे.


अमेरिका में बाइडन युग शुरू, भारी मन से विदा हुए ट्रंप


 

बाकी जो हिंदी टीवी चैनल कल तक डोनाल्ड ट्रम्प की शान में कसीदे पढ़ रहे थे, आज वो ये बताते नज़र आए कि नए राष्ट्रपति बाइडेन ने 20 भारतीय मूल के लोगों को अहम ज़िम्मेदारी सौंपी है और अमरीका अब भारत को इग्नोर नहीं कर सकता.

हिंदी के वे मूर्ख टीवी एंकर/प्रोड्यूसर बस ये नहीं बता पाए कि ट्रम्प ने अब तक भारत को क्यों इग्नोर कर रखा था और भारतीय मूल के लोगों को अपनी सरकार में अहम ज़िम्मेदारी क्यों नहीं दी थी?

बहरहाल विदेशी अंग्रेज़ी ब्रॉडकास्टस की स्क्रीन बाइडेन के शपथ समारोह में कैसी दिख रही थी, वो आप नीचे फोटुक में देख सकते हैं, जिसे अपने मोबाइल में मैंने कैद कर लिया था.

(लेखक-नदीम एस अख्तर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन में शिक्षक हैं. ये लेख उनकी फेसबुक वॉल पर प्रकाशित हुआ है.)

ट्रैक्टर परेड को लेकर किसानों से बात करने पहुंचे दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट कमिश्नर

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द लीडर : 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के संबंध में दिल्ली पुलिस (Delhi Police ) के संयुक्त पुलिस आयुक्त एसएस यादव सिंघु बॉर्डर के पास एक रिजॉर्ट पहुंच गए हैं. यहां आंदोलनकारी किसान नेता और पुलिस अधिकारियों के बीच बातचीत होगी.

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 57 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों कानूनों को रद किया जाए. इसको लेकर किसान संगठन और सरकार के बीच 10 दौर की बातचीत हो चुकी है. इसी बीच किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड का आह्वान कर रखा है.

ट्रैक्टर परेड का मामला सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचा. जिस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये कानून व्यवस्था से जुड़ा मामला है. पुलिस खुद फैसला करे. इसी को लेकर दिल्ली पुलिस किसानों से संवाद के लिए आगे आई है.

दूसरी तरफ सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और यूपी गेट पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है. गुरुवार को भी किसानों ने प्रदर्शन किया और कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराई.


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बुधवार को हुई बैठक में सरकार ने किसानों को एक प्रस्ताव दिया था कि वे चाहें तो कानूनों को डेढ़ से दो साल तक के लिए होल्ड पर रखवा सकते हैं. इस पर किसानों का तर्क है कि सरकार कानूनों को होल्ड पर न रखकर पूरी तरह से रद करे. क्योंकि पश्चिमी देशों में पहले ये कानून लागू हो चुके हैं, जहां फेल साबित हुए.

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द लीडर : जो-बाइडन, अमेरिका (America) के 46वें राष्ट्रपति (President) बन गए हैं. बुधवार की रात यूएस कैपिटल में आयोजित समारोह में सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने जो-बाइडन को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. भारतीय मूल की कमला हैरिस ने उप-राष्ट्रपति पद की शपथ ली है. इससे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पद से औपचारिक विदाई ली.

शपथ ग्रहण से पहले राष्ट्रपति बाइडन और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ने अमेरिका में कोविड-19 में मारे गए करीब चार लाख लोगों को श्रद्धांजलि दी. बाइडन ने एक ट्वीट में कहा कि पिछले वर्ष हमें अकल्पनीय परीक्षण से गुजरना पड़ा. लेकिन अब समय आ गया कि हम इसे एक साथ ठीक करें. समारोह में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन, बराक ओबामा समेत अन्य बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं.

बीते दिनों अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद कैपिटल हिल्स में हिंसा भड़क गई थी. इसलिए क्योंकि तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप अपनी हार मानने को तैयार नहीं थे. ट्रंप समर्थकों ने कैपिटल हिल्स स्थित संसद भवन पर हमला बोल दिया था. इसमें चार लोग मारे गए थे.


अमेरिका की बाइडन सरकार के लिए भारतीय मूल की समीरा फाजिली आर्थिक परिषद की उप-निदेशक नामित


 

इस घटनाक्रम के बाद ट्रंप ने अपनी हार स्वीकार की थी. हालांकि घटना के बाद से ही कैपिटल हिल्स इलाके में सुरक्षा-व्यवस्था के कड़े प्रबंध किए गए थे, जो बुधवार को शपथ समारोह के दिन तक और सख्त नजर आए. राजधानी में करीब 25 हजार नेशनल गार्ड तैनात किए गए हैं.

कृषि कानूनों को 2 साल तक होल्ड पर रखने को राजी मोदी सरकार, किसान बोले-आपस में बात करके देंगे जवाब

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द लीडर : केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों को मोदी सरकार ने ऑफर दिया है कि वे चाहें तो कानूनों को अगले डेढ़ से 2 साल तक होल्ड पर रखा जा सकता है. इस ऑफर पर किसान नेताओं ने कहा है कि वे इस मुद्​दे पर सभी किसान संगठनों से चर्चा करने के बाद 22 जनवरी को अपना जवाब देंगे. इसी के साथ 10वें दौर की बातचीत खत्म हो गई है. (Government Agricultural Laws Hold)

बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं के साथ सरकार की बैठक थी. इसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश उपस्थित हुए. बैठक के बाद किसान नेता हन्नाल मोल्लाह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार ने कहा कि हम कोर्ट में हलफनामा देकर कानून को अगले डेढ़ से दो साल तक होल्ड पर रख सकते हैं.

एक कमेटी बनाकर चर्चा करेंगे. कमेटी जो रिपोर्ट देगी, हम उसको लागू करेंगे. समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक इस पर मोल्लाह ने कहा कि हम 500 किसान संगठन हैं. कल सबसे चर्चा करके जवाब देंगे.


टीकरी बॉर्डर पर किसान ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की


 

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से कहा कि आज हमारी कोशिश थी कि कोई फैसला हो जाए. किसान संगठन कानून वापसी की मांग पर थे और सरकार कानूनों के प्रावधान के अनुसार चर्चा और बदलाव को तैयार थी. सुप्रीमकोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है.

सरकार एक-डेढ़ साल तक भी कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने को तैयार है. इस दौरान किसान संगठन और सरकार बात कर समाधन तलाशेंगे.

बैठक के बाद किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने बताया कि बैठक में तीनों कानूनों और एमएसपी पर बात हुई. सरकार ने कहा कि हम तीनों कानूनों का शपथपत्र बनाकर सुप्रीमकोर्ट को देंगे और एक से डेढ़ साल तक के लिए रोक लगा देंगे. एक कमेटी बनेगी जो तीनों कानूनों और एमएसपी का भविष्य तय करेगी. हमने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे.

 

बाबरी के बदले बनने वाली मस्जिद नाजायज

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कविता : मंटो की बेटियां

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मशहूर लेखक व कहानीकार सआदत हसन ‘मंटो’ की बेटियों के भारत आगमन के दौरान विख्यात लेखक सुधीर विद्यार्थी ने ‘मंटाे की बेटियां’ शीर्षक से कविता लिखी, जिसमें भारत पाक बंटवारे के दर्द काे महसूस किया जा सकता है. इसी शीर्षक से जल्द सुधीर विद्यार्थी का कविता संकलन भी प्रकाशित होने जा रहा है। ये कविता पहली बार किसी मंच पर प्रस्तुत की जा रही है.

प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं दिया नेपाल विदेशमंत्री को मिलने का समय

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  • नेपाल के विदेशमंत्री तीन दिन के दौरे पर भारत आए 
  • राजनाथ सिंह और जयशंकर से हुई मुलाकात 
  • रिश्तों में फिर से गर्माहट लाने की कवायद

    वार्ता के दाैरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और नेपाल के विदेशमंत्री पी के ग्वाली :सभार ट्विटर

भारत दौरा

नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावाली और विदेश सचिव भरत राज पौडयाल बृहस्पतिवार 14 जनवरी को भारत दौरे पर पहुँचे थे।लेकिन इस बार प्रधान मंत्री मोदी से मिले बगैर ही लौटना पड़ा। कहा जा रहा है कि मोदी का न मिलना सीमा विवाद को लेकर नेपाल को भारत की दो टूक है।

वार्ता के दाैरान विदेशमंत्री एस .जयशंकर और नेपाल के विदेशमंत्री पी के ग्वाली: सभार ट्विटर

यह नेपाल के किसी भी मंत्री का भारत से सीमा विवाद के बाद पहला दौरा था। इस तीन दिन की भारत यात्रा पर नेपाली विदेश मंत्री ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री एस.जयशंकर से भेंट की। मुलाकात में दोनों देशों की विकास, कनेक्टिविटी और व्यापार को लेकर बात-चीत हुई। भारत कोरोना वैक्सीन पर नेपाल को पूरा सहयोग देने को भी तैयार है। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने कहा “भारत-नेपाल संबंधों में अपार संभावनाएं हैं”।


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सीमा विवाद

नेपाल की ओर से सीमा विवाद को लेकर वार्ता की कोशिश हुई लेकिन भारत अपने रूख पर अडिग बना हुआ है। पिछले वर्ष ही नेपाल द्वारा जारी नए नक्शे पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। कहा था कि नेपाल का यह नक्शा इतिहास के तथ्यों पर खरा नहीं उतरता। नक्शा उस समय आया जब भारत ने अपना लिंक रोड लिपुलेख से होते हुए मानसरोवर तक शुरू किया था। उसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई जो अब तक जारी है।

और मोदी से न मिल पाना..

कयास लगाए जा रहे हैं कि यही कारण रहा कि मोदी ने नेपाली विदेशमंत्री को मिलने का समय नहीं दिया और काेरोना वैक्सीन लांच प्रोग्राम को न मिल पाने का कारण बताया। नेपाल इस दौरे के जरिए यह साबित करना चाहता है कि दोनों के बीच कुछ हुआ ही नहीं था।

बीते वर्ष 22 मई को नेेपाल के प्रधान मंत्री खडग प्रसाद शर्मा ओली ने संसद में नेपाल के नए नक्शे काे प्रस्तावित किया। जिसमें भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा,कालापानी और कालापानी को नेपाल की सीमा का हिस्सा बताया था।


किसान आंदोलन: कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं भूमिहीन दलित और खेत मजदूर


 

अमेरिका की बाइडन सरकार के लिए भारतीय मूल की समीरा फाजिली आर्थिक परिषद की उप-निदेशक नामित

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नई दिल्ली : अमेरिका की जो-बाइडन सरकार के लिए समीरा फाजिली को व्हाइट हाउस के प्रमुख पद-राष्ट्रीय आर्थिक परिषद (National Economic Council) का उप-निदेशक (Deputy Director) नामित किया गया है. ये परिषद आर्थिक नीतियां बनाने की प्रक्रिया का समन्वय करती है और अमेरिकी राष्ट्रपति (President) को आर्थिक मामलों पर सलाह भी देती है. (Indian Sameera Fazili Biden)

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फाजिली कश्मीर मूल की भारतीय-अमेरिकी हैं, जो वर्तमान में जो-बाइडन-हैरिस ट्रांजिशन पर आर्थिक एजेंसी का नेतृत्व कर रही हैं.

इससे पहले वे अटलांटा के फेडरल रिजर्व बैंक में तैनात थीं. जहां उन्होंने सामुदायि और आर्थिक विकास के लिए निदेशक के रूप में काम किया है.

एक शोध कार्यक्रम पर संवाद करतीं समीरा फाजिली. फोटो, साभार समीरा फाजिली ट्वीटर.

बाइडन प्रशासन में किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति होने वालों में कश्मीरी मूल की फाजिली ऐसी दूसरी शख्सियत हैं. इससे पहले दिसंबर में आयशा शाह को व्हाइट हाउस ऑफ डिजिटल स्ट्रैटजी में पार्टनरशिप मैनेजर के तौर पर नियुक्त किया गया था.


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रिपोर्ट के मुताबिक फाजिली को ओबामा-बाइडन प्रशासन में भी काम का अनुभव है. तब वे व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद में बतौर वरिष्ठ नीति सलाहकार और घेरूल वित्त व अंतरराष्ट्रीय मामले, दोनों में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार के काम कर चुकी हैं.

अमेरिका के प्रतिष्ठित येल स्कूल में कानून की क्लिनिकल लेक्चरर रह चुकीं फाजिल, प्रतिष्ठित येल लॉ स्कूल व हार्वर्ड से स्नातक हैं. वह बफेले से हैं और अभी शौहर व बच्चों के साथ जॉर्जिया में रहती हैं.

उन्होंने देश के पहले सामुदायिक विकास वित्तीय संस्थान बैंक में भी काम किया है. उनके इस काम से अमेरिका में आवास, लघु व्यवसाय और माइक्रोफाइनेंस को बढ़ावा मिला.