Thursday, October 17, 2024
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किसानों को बदनाम करने की सरकारी साजिश बेनकाब, जारी रहेगा आंदोलन: संयुक्त किसान मोर्चा

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द लीडर : 26 जनवरी को किसान गणतंत्र परेड में जो कुछ भी हुआ. संयुक्त किसान मोर्चा ने उसके लिए सरकार को दोषी ठहराया है. ये कहते हुए कि सरकार ने किसानों को बदनाम करने की एक साजिश (Conspiracy) रची थी. जो लाल किले (Red Fort ) पर धार्मिक झंडा फराहने वाले दीप सिद्धू की करतूत से बेनकाब हो चुकी है. किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने दीप सिद्धू पर आरएसएस और भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कानून वापस न होने तक आंदोलन जारी रहेगा. (Government Conspiracy Defame Farmers Movement)

बुधवार, रात को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस कांफ्रेंस में ये बातें कहीं. डॉ. दर्शनपाल सिंह ने संचालन किया. और बलवीर सिंह राजेवाल ने मोर्चा की बैठक के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि परेड सफल रही. इसमें 2 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर आए. लाखों लोगों ने शामिल होकर इसे ऐतिहासिक बनाया. दुनिया की नजरें परेड पर थीं, फिर भी ये सरकारी साजिश का शिकार हो गई.

राजेवाल ने कहा, जिस तरह से आंदोलन को तोड़ने की कोशिशें हुईं. उसके बीच परेड 99.9 प्रतिशत शांतिपूर्वक रही. बल्कि सरकार की साजिश उजागर हो गई. क्योंकि सरकार ने पहले से ही एक पैरलर किसान संगठन बिठा रखा था. जिसे सारी सुविधाएं दी गईं.

ट्रैक्टर परेड के लिए हमने पुलिस के साथ जो पांच रूट तय किए. हमारी परेड उन्हीं रूटों पर गई. जबकि साजिश में शामिल पंजाब मजदूर संघर्ष समिति ने दिल्ली में प्रवेश कर लाल किले पर झंडा फहराने की बात कही थी. उसने ऐसा ही किया. जिसे पूरे देश ने देखा.


आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कामयाब, किसान नेता बोले-सरकार बताए दीप सिद्धू लाल किला कैसे पहुंचे


 

उन्होंने आरोप लगाया कि दीप सिद्धू जो, गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी का खास एजेंट है. उसने लाल किले पर सारा कांड किया. सवाल उठाया कि देश के सबसे प्रमुख स्थान लाल किले से सभी पुलिस वाले चौकी छोड़कर चले गए. और 4 घंटे तक उप्रदवियों को अंदर छोड़ दिया गया. उन लोगों ने राष्ट्रध्वज के बराबर में धार्मिक झंडा फहराया और आराम से चले गए. पुलिस ने कुछ नहीं किया.

इससे देश की भावनाएं आह्त हुई हैं. किसान मोर्चा का इस कृत्य से कोई वास्ता नहीं है. चूंकि हमने परेड बुलाई थी. इसलिए हम खेद प्रकट करते हैं. 30 जनवरी को किसान एक दिन की अनशान करेंगे. 1 फरवरी का संसद मार्च स्थगति किया जाता है. अगला कार्यक्रम फिर तय करेंगे.


दिल्ली में बेकाबू ट्रैक्टर परेड में भड़की हिंसा का जिम्मेदार कौन, किसान नेताओं का किनारा


 

किसान नेता योगेंद्र याद ने कहा कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत है. जो घटनाएं हुईं हम उनकी निंदा करते हैं. दीप सिद्धू और पंजाब संघर्ष समिति ने ये सारा कांड किया है. दीप की पीएम और गृहमंत्री के साथ तस्वीरें हैं. सन्नी देवल से उनके रिश्ते साफ हैं. ये सब योजनाबद्ध था.

हम देश से दीप सिद्धू के बहिष्कार की अपील करते हैं. क्योंकि लाल किले पर हम तिरंगे के अलावा कोई दूसर झंडा फहराया जाना बर्दाश्त नहीं करेंगे.


दिल्ली हिंसा पर कांग्रेस की गृहमंत्री को बर्खास्त करने की मांग और सुब्रमण्यम स्वामी के सवाल


पूरे घटनाक्रम के लिए पुलिस दोषी : टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नौजवानों को हताश होने की जरूरत नहीं है. कमेटी ने शांतिपूर्वक आंदोलन किया. इसके लिए सभी किसान बधाई के पात्र हैं. हिंसा के रूप में जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ, उसके लिए पुलिस प्रशासन दोषी है. किसान संगठन को बदनाम करने की ये साजिश थी. खासकर पंजाब को. ये आंदोलन पूरे देश का है. कानून वापस न होने तक जारी रहेगा.

दो महीने से जारी आंदोलन

केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले 2 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत भी हो चुकी, जिसमें कोई हल नहीं निकला. किसान कानून रद करने तो सरकार अपने फैसले से पीछे हटने को तैयार नहीं है.

दिल्ली हिंसा पर कांग्रेस की गृहमंत्री को बर्खास्त करने की मांग और सुब्रमण्यम स्वामी के सवाल

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नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने गृहमंत्री को बर्खास्त करने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि ‘उपद्रवियों की अगुवाई कर रहे अवांछित तत्वों पर कार्रवाई न करके किसान मोर्चा के नेताओं पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. इसने सरकार और उपद्रवियों की मिलीभगत व साजिश को बेनकाब किया है.’

कांग्रेस ने एक प्रेसनोट जारी कर कहा कि ‘कल जो हुआ वो पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से किया गया काम है. ये किसानों की योजना नहीं है, बल्कि आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है. जिसे, सीधे मोदी सरकार का समर्थन और संरक्षण हासिल है.’

वहीं, भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सिलसिलेवार ट्वीटर कर कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, एक अफवाह है. शायद झूठी हो या दुश्मनी की फर्जी आइडी से चलाई गई हो. वो ये कि पीएमओ के करीबी भाजपा के एक नेता ने लाल किले पर हुए ड्रामे में भड़काऊ व्यक्ति के तौर पर काम किया है. चेक करके जानकारी दें. उनहोंने लाल किले पर झंडा फहराने के आरोपी दीप सिद्धू से जुड़े ट्वीट को भी रि-ट्वीट किया है.


आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कामयाब, किसान नेता बोले-सरकार बताए दीप सिद्धू लाल किला कैसे पहुंचे


इस घटनाक्रम के बाद किसान आंदोलन से दो संगठनों ने खुद को अलग कर लिया है. एक हैं किसान नेता वीएम सिंह और दूसरे भारतीय किसान यूनियन के नेता भाानू प्रताप सिंह. इन्होंने आंदोलन से अलग होने की घोषणा कर दी है.

किसान नेता वीएम सिंह ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. वीएम सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत बैरिकेड तोड़कर भीड़ को लाल किले की तरफ ले गए.

किसानों के समर्थन में हरिणा के विधायक अभय चोटाला का इस्तीफा 

कांग्रेस नेता हार्दिक पेटल का ट्वीट

शांतिपूर्वक आंदोलन पर लगा दाग

पिछले 2 महीने से केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा है. मंगलवार को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली, जो इस आंदोलन की बदनामी का सबब बन गई है.

 

ट्रैक्टर परेड हिंसा में 200 किसान हिरासत में, दर्शनपाल समेत कई बड़े किसान नेताओं पर एफआइआर

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नई दिल्ली : 26 जनवरी को किसान टैक्टर यात्रा में हुई हिंसा के आरोप में दिल्ली पुलिस ने करीब 200 किसानों को हिरासत में लिया है. इसके साथ ही किसान आंदोलन के अगुवा किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह, राजिंदर सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उग्राह और राकेश टिकैत के नाम भी एफआआर में शामिल हैं. दिल्ली पुलिस की एक एफआइआर में इन नेताओं पर यात्रा के लिए दी गई एनओएसी के उल्लंघन का आरोप है. (200 Farmers Detained Tractor Parade Violence)

मंगलवार को किसानों ने दिल्ली में गणतंत्र यात्रा निकाली थी. इसमें लाखों की संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली में प्रवेश किए थे. यात्रा के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इसमें कई जगह पर तोड़फोड़ और पुलिस के झड़पें हुईं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इसमें करीब 300 लोग घायल हुए हैं, जिसमें पुलिसकर्मियों की तादाद ज्यादा बताई जा रही है. घटना में एक युवा किसान की मौत भी हो गई थी.


आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कामयाब, किसान नेता बोले-सरकार बताए दीप सिद्धू लाल किला कैसे पहुंचे


 

एक समाचार एजेंसी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है. इसमें आइपीसी की धारा 395-डकैती, 397-लूट, मारने या चोट पहुंचाने, 120-आपराधिक साजिश रचने समेत अन्य धाराएं शामिल हैं. कुछ और किसान नेताओं पर भी कार्रवाई हो सकती है.

मंगलवार को गृहमंत्रालय ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसके बाद कार्रवाई का ये सिलसिला शुरू हुआ है. दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में कई एफआइआर दर्ज की गई हैं. बुधवार को सुबह दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. हिंसा मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है.

पर्यटन मंत्री ने बुधवार को लाल किले का दौरा किया और सांस्कृतिक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट गृहमंत्राय को सौंपी जाएगी.

जिसके आधार पर कार्रवाई होगी. इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने भी लाल किले का दौरा किया है. यात्रा में शामिल एक समूह ने लाल किले पर कब्जा कर धार्मिक झंडा फहराया था. इसका मुख्य आरोपी दीप सिद्धू है, जो भाजपा सांसद सन्नी देवल का करीबी बताया जा रहा है.

वहीं, दूसरी तरफ किसान नेताओं से हिंसा को साजिश बताया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में इसकी निंदा की करते हुए दोहराया है कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे, शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रहेगा.

 

हाईकोर्ट के स्किन टू स्किन वाले फैसले पर सुप्रीमकोर्ट ने लगाई रोक

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द लीडर : सुप्रीमकोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच के ‘स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट’ वाले फैसले पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही हाईकोर्ट से पूरे मामले की जानकारी मांगी है. अटॉर्नी जनरल ने इस मामले को शीर्ष अदालत के समक्ष उठाते हुए इसे खतरनाक बताया था. जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई. (Supreme Court Stayed High Court )

बीते 19 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच ने पॉक्सो के मामले में एक फैसला सुनाया था. इसमें कहा था कि नाबालिग की ब्रेस्ट को बिना ‘स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ करे पॉस्को (Protection of chilen from sexual offences) एक्ट के तहत यौन शोषण के दायरे में नहीं आएगा.


किसान आंदोलन : सुप्रीमकोर्ट ने नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाई


 

फैसले में कहा गया था कि किसी भी छेड़खानी की घटना को यौन शोषण में रखने के लिए घटना में यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट होना चाहिए. इसी के साथ पॉस्को के एक आरोपी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था.

कोर्ट ने कहा था कि नाबालिग को ग्रोप करना यानी टटोलना, यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा. दरअसल, 12 साल की बच्ची के साथ यौन शोषण करने के 39 साल के आरोपी को 3 साल की सजा सुनाई गई थी. जिसे हाईकोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला ने संशोधित किया था.

इस फैसलने ने पूरे देश का ध्यान खींचा था. जिसको लेकर महिलाएं मुखर हुईं. ये सवाल उठाते हुए कि इस फैसले से भविष्य में ऐसे अपराधों में बढ़ोत्तरी आएगी. कई विधि विशेषज्ञ और कानून के जानकारों ने भी फैसले पर सवाल उठाए थे.

किसान बोले हम दिल्ली में परेड करके वापस लौटेंगे बॉर्डर तो हिंसा करने वाले कौन थे

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गाजीपुर बॉर्डर से किसान परेड जब दिल्ली की ओर बढ़ रही थी. इसमें शामिल किसानों से वरिष्ठ पत्रकार संदीप रौजी ने बातचीत की. किसानों ने साफ किया कि वे परेड करके वापस बॉर्डर लौटेंगे. देखिए, किसानों से बातचीत.

लाल किले पर क्या-क्या हुआ देखिए और इन किसानों की सुनिए

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दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसान परेड में हिंसा भड़क गई थी. लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया गया था. देखिए क्या-क्या हुआ और इस पर किसानों ने क्या कहा.

आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कामयाब, किसान नेता बोले-सरकार बताए दीप सिद्धू लाल किला कैसे पहुंचे

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द लीडर : किसान आंदोलन के ऐसे हश्र को लेकर जो आशंका थी. सच साबित हुई. गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर परेड में भारी बवाल के बीच सबसे शर्मनाक तस्वीर लाल किले की है. जिसके सहारे किसानों के समर्थन में उमड़ी जनभावना को उनके खिलाफ कर दिया गया. ये करतूत दीप सिद्धू की है, जो एक नेता है. और पंजाब के गुरदासपुर से सांसद-अभिनेता, सन्नी देवल का करीबी माना जाता है.

ट्रैक्टर परेड का रूट तोड़कर दिल्ली के लाल किले पर घुसे किसान, अपना झंडा फहराया, एक की मौत

किसान मजदूर संघर्ष समिति के जनरल सचिव सरवन सिंह का आरोप है कि, ‘दीप सिद्धू की फोटो पीएम के साथ आ रही है. हमें इन पर शक है. दीप सिद्धू लाल किले के पास कैसे गए और कहां से वापस आ गए. जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्हें चिन्हित किया जाएगा. ये सब किसान मजदूरों को बदनाम करने के लिए किया गया है.’

अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव हन्ना मोल्लाह का कहना है कि ‘किसानों को बदनाम करने की कोशिश लगातार चल रही थी. हमें डर था कि कोई साजिश कामयाब न हो जाए. आखिर कामयाब हो ही गई. लाल किले में बिना किसी सांठगांठ के कोई नहीं पहुंच सकता. इसके लिए किसानों को बदनाम करना ठीक नहीं.’

मंगलवार की हिंसा में करीब 80 से अधिक पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं, जबिक एक किसान की मौत हो गई और कई घायल हुए हैं. इस मामले में पुलिस ने 22 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है. बुधवार को दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के साथ पुलिस अधिकारियों की बैठक चल रही है. इस सबके बीच भाजपा नेता किसान नेताओं पर हमलावर है.

 

भाजपा नेता शहनवाज हुसैन ने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा कि ‘जो शंका थी वो सही साबित हुई. किसान संगठन बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि अनुशासन रहेगा.

हम जश्न में शामिल होने जा रहे हैं. यह जश्न था या गणतंत्र दिवस के दिन भारत पर हमला था. इन्होंने लाल किले को अपवित्र किया है. इन सबके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.’

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सवाल किया है कि ‘झंडा फहराया किसने? एक कौम को बदनाम करने की साजिश पिछले 2 महीने से चल रही है.

कुछ लोगों को चिन्हित किया गया है, उन्हें आज ही यहां से जाना होगा. जो आदमी हिंसा में पाया जाएगा, उसे स्थान छोड़ना होगा और उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.’


दिल्ली में किसानों का बवाल, सरकार पर खड़े किए जा रहे सवाल


 

वहीं, पंजाब से कांग्रेस नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने ‘पंधेर, पन्नू और दीप सिद्धू का नाम लेते हुए कहा कि ये तीन लोग हैं, जिन्हें अभी तक पंजाब वालों ने चिन्हित किया है. जिन्होंने सारा कारनामा किया. किसान आंदोलन को तबाह करने के लिए इनको बहुत बड़ी फंडिंग हुई है.’

कौन है दीप सिद्धू

भाजपा नेता अभिनेता सन्नी देवल गुरदासपुर से सांसद हैं. दीप सिद्धू ने लोकसभा चुनाव में सन्नी देवल के लिए प्रचार किया था. वो अभिनेता धर्मेंद्र के बैनर तले बनी एक फिल्म के लीगल एडवाइजर भी बताए जा रहे हैं.

आंदोलन की शुरुआत में दीप सक्रिय हुए. कई बार विवादित बयान दिए, जिस कारण किसान नेताओं ने उनसे दूरी बनाई. दीप के भाजपा के बड़े नेताओं के साथ फोटो भी सामने आए रहे हैं, जिससे आंदोलन को बदनाम करने को आरोपों को और हवा मिल रही है.

किसानों के खिलाफ कर दी हवा

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 2 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन चल रहा है. मगर 26 जनवरी की घटना के बाद इसका भविष्य क्या होगा. ये प्रश्न गहरा गया है. इसलिए क्योंकि अब तक किसानों के समर्थन में जो भावनाएं थीं, हिंसा के बाद एक धड़ा उनके खिलाफ हो गया है.

दिल्ली में बेकाबू ट्रैक्टर परेड में भड़की हिंसा का जिम्मेदार कौन, किसान नेताओं का किनारा

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द लीडर : गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान ट्रैक्टर यात्रा का जो रूप आज देखा गया. उससे पूरा देश सन्न है. अहिंसक आंदोलन के दामन पर हिंसा का एक बदनुमा दाग लग गया. इसका जिम्मेदार कौन है? ये सवाल से किसान नेता किनारे हो गए. ऐसे हालात कैसे पैदा हुए? इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप के साथ बचाव और सफाई का दौर जारी है. (Delhi Violence Tractor Parade Farmer Leaders)

मंगलवार को लाखों की संख्या में किसानों का हुजूम ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसा. तिरंगा लहराते चल रहे ट्रैक्टरों पर देशभक्ति के तराने गूंज रहे थे. गड़बड़ ये हुई कि पुलिस के साथ जो रूट तय हुए थे. यात्रा उन पर नहीं चली, बल्कि मनमाने मार्गों पर चल पड़ी. ऐसा क्यों हुआ? ये प्रश्न है. इसके बाद जो हुआ. उससे पूरा देश आह्त है.

दरअसल, पुलिस और किसान नेताओं के बीच यात्रा को लेकर रूट तय हुए थे. इन्हीं से ट्रैक्टरों को जाना था. पर कुछ उत्साही किसान इससे अलग राह पर चल पड़े. यहां तक कि उत्तेजित भीड़ बैरिकेड हटाने और तोड़ने में जुट गई. रास्तों में बसों को ट्रैक्टर से खदेड़ा गया. कई जगहों पर पुलिस और किसानों में झड़पें हुईं. संघर्ष में कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. एक किसान की मौत भी हुई है.

दिल्ली में किसानों का बवाल, सरकार पर खड़े किए जा रहे सवाल

दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर पर पिछले करीब 2 महीने से किसान आंदोलन जारी है. इसमें पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों किसान शामिल हैं. इन पर खालिस्तानी, पाकिस्तानी समर्थक होने के आरोप तक लगे. इसके बावजूद अांदोलन शांतिपूर्वक चलता रहा. और दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनों में शुमार हो गया. मगर एक ट्रैक्टर यात्रा ने इसे दागदार कर दिया. इसके अनुशासन को भी, जो दुनिया भर चर्चा का विषय बन रहा था.

ट्रैक्टर परेड का रूट तोड़कर दिल्ली के लाल किले पर घुसे किसान, अपना झंडा फहराया, एक की मौत

प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रहे किसान

दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के आह्वान के बाद किसानों के जत्थे देर रात तक दिल्ली से प्रदर्शन स्थलों के लिए लौट रहे हैं. दूसरी तरफ गृहमंत्रालय ने इस मामले पर आपात बैठक में पुलिस अधिकारियों के साथ चर्चा की है. संभव है कि पुलिस अब और कड़ाई दिखा सकती है.

क्या पूरी हो पाएगी कानून वापसी की मांग

इस हिंसा के बाद सबसे महत्वूपर्ण सवाल ये है कि क्या अब कृषि कानूनों को वापसी की मांग पूरी हो पाएगी? इसलिए क्योंकि इस घटनाक्रम ने सरकार और किसानों के बीच फासला बढ़ा दिया है. माना जा रहा है कि हिंसा के आरोप में कार्रवाईयां होंगी. जिससे ये आंदोलन ढह सकता है.

राष्ट्र के नाम संबोधन में बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कृषि सुधारों से किसानों को फायदा होगा

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नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस (Republic Day) की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind)ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि ‘कृषि सुधारों का काफी अरसे से इंतजार था. इससे किसानों का फायदा होगा. शुरुआत में जरूर कृषि कानूनों को लेकर कुछ आशंकाएं थीं, जिन्हें दूर किया जा रहा है. देश के किसान, सैनिक और वैज्ञानिक खासतौर को सराहना का पात्र बताते हुए उन्होंने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी हैं.

राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि 2020 सबक लेने वाला साल रहा है. इसमें सुंदर पर्यावरण की तस्वीर देखने को मिली. कोरोना जैसी महामारी का खतरा कम करने के लिए दुनियां क्लाइमेट चैंज पर ध्यान देगी. ऐसी उम्मीद जताई है. उन्होंने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपदा को अवसर में बदलने के आह्वान के साथ आत्मनिर्भर भारत और किसानों की आमदनी दोगनी करने के लक्ष्य का जिक्र किया.

बोले, सरहदों पर डटे सैनिकों पर पूरे देश भारत को गर्व है. कोरोना महामारी से लड़ाई को याद करते हुए कहा कि देशवासियों ने एक परिवार की तरह एकजुट होकर सेवा और बलिदान देकर देश की हिफाजत की है. इसी का नतीजा है कि विविधता से भरे देश में कोरोना पर काबू पाने में हमने काफी हद तक कामयाब हुए हैं. राष्ट्रपति ने देशवासियों से महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर के आदर्शों पर अमल करने का आह्वान किया है.


ट्रैक्टर परेड के लिए निकले किसान, डीजल न मिलने पर भड़के टिकैत , राहुल गांधी ने साधा निशाना


 

वहीं, कृषि सुधार को लेकर राष्ट्रपति का ये बयान ऐसे समय आया है जब देशभर के लाखों किसान तीन नए कृषि कानूनों से असंतुष्ट हैं. वे पिछले करीब 60 दिनों से इसके खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. 26 जनवरी को किसानों ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड का आयोजन भी रखा है. जिसमें भाग लेने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से किसानों के जत्थे ट्रैक्टर लेकर दिल्ली रवाना हुए हैं. कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई, जो बेनतीजा रही है.

सरहद पर चुनौतियों से मुकाबला करना सीखा

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि गत वर्ष भारत के सामने कई चुनौतियां आईं, जिनका डटकर सामना किया. देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी दुस्साहस का जवाब देने में देश सक्षम हैं. राष्ट्रपति ने देश की हिफाजत के लिए शहीद हुए 20 सैनिकों को याद किया. पिछले साल गलवान घाटी में चीन के साथ झड़प में ये सैनिक शहीद हुए थे. उन्होंने, देश में बनी कोरोना वैक्सीन का उल्लेख करते हुए सभी लोगों से टीका लगवाने का आह्वान किया है.

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देशभक्ति के गीतों पर तिरंगा लेकर झूमते किसान

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गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकालने का ऐलान किया है. इसको लेकर दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के बीच गजब का उत्साह है. देशभक्ति के गीतों पर किसान झूमे रहे हैं. देखिए, बॉर्डर का नजारा.