द लीडर : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर एक शानदार पहल की है. उनकी सरकार ने बीएससी कृषि विज्ञान की 19 साल की छात्रा सृष्टि गोस्वामी को एक दिन का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है. आज यानी रविवार को ही सृष्टि मुख्यमंत्री बनेंगी. ये अभिनेता अनिल कपूर की फिल्म नायक जैसी ही कहानी है. मगर इसके मूल में महिला सशक्तिकरण का सार है.
इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बालिकाओं को एक दिन के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर बिठाने का इरादा किया है. मेधावी छात्राओं को कमिश्नर, डीएम, सीडीओ जैसी जिम्मेदारी दी जाएगी.
मूलरूप से हरिद्वार के दौलतपुर गांव के रहने वाली सृष्टि के पिता एक दुकान चलाते हैं, जबकि मां आंगनवाड़ी कार्यकत्री हैं. बीएसएम कॉलेज से बीएससी कृषि विज्ञान के सातवें सेमेस्टर की ये छात्रा सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर भाग लेती रही हैं. वर्ष 2018 में बाल विधानसभा में उन्हें कानून निर्माता चुना गया था.
जबकि 2019 में वह गर्ल्स इंटरनेशनल लीडरशिप कार्यक्रम के अंतर्गत थाइलैंड में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. इसके साथ ही वो अपने क्षेत्र में शिक्षा को लेकर अभियान चला रही हैं, जिसमें खासतौर से महिला शिक्षा पर उनका जोर है.
रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, सृष्टि को विधानभवन में बाल विधानसभा सत्र के आयोजन के दौरान सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपेंगे.
द लीडर : देश की सबसे प्रतिष्ठित IAS सेवा से अचानक इस्तीफा देकर सुर्खियां में छाने वाले पूर्व ब्यूरोक्रेट और राजनेता शाह फैसल (Shah Faisal) एक बार फिर से चर्चा में हैं. इस बार की चर्चा का सबब है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ, जो कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर शाह फैसल ने की है. अपने एक ट्वीट में फैसल ने लिखा, ‘ये सिर्फ एक टीकाकरण अभियान नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा है. सुशासन, मानव पूंजी और राष्ट्रनिर्माण के अलावा भारत विश्वगुरु के रूप में वैश्विक नेतृत्व संभाल रहा है.’ फैसल के इस ट्वीट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है. (Kashmir Bureaucrat Shah Faisal Modi)
This is more than just a vaccination program.
It's good governance + human capital formation + nation building + India assuming global leadership as a Jagat Guru. https://t.co/g8K6SqKYkK
उनके इस ट्वीट को दिल्ली के भाजपा (BJP) नेता कपिल मिश्रा ने रि-ट्वीट करते हुए लिखा, 370 स्वाहा. एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में शाह फैसल ने कहा कि मैंने राजनीति छोड़ दी है. मेरा ट्वीट प्रधानमंत्री के 1.3 करोड़ नागरिकों के वैक्सीनेशन को लेकर था. पूरी दुनियां भारत के कोविड प्रबंधन की प्रशंसा कर रही है. पीएम के लिए मेरी तारीफ से हैरत क्यों होनी चाहिए.
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के रहने वाले शाह फैसल, संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) के साल 2009 बैच के टॉपर रहे हैं. 25 साल की उम्र में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले फैसल यूपीएससी में टॉप करने वाले पहले कश्मीरी भी हैं. करीब दस साल तक प्रशासनिक सेवा के बाद उन्होंने फरवरी 2019 में इस्तीफा दे दिया था. और 4 फरवरी 2019 को जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के गठन की घोषणा की थी.
इसी बीच केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35-ए खत्म कर दी. 14 अगस्त 2019 को तुर्की जाने के दौरान शाह फैसल को नजरबंद कर लिया गया, जहां वह करीब छह महीने तक बंद रहे. फरवरी 2020 में उनके विरुद्ध यूएपीए के अंतर्गत कार्रवाई हुई.
यूएपीए से रिहा होने के बाद 10 अगस्त 2020 को फैसल ने सियासत को अलविदा कह दिया था. इससे पहले शाह फैसल का नाम जेएनयू की छात्रनेता रहीं शाहिल राशिद के पारिवारिक मामले में घसीटा गया था. हालांकि फैसल ने एक इस विवाद से खुद को अलग रखे जाने की अपील की थी.
द लीडर : देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को दो दिवसीय किसान संसद बुलाई है. इसका मकसद बताते हुए उन्होंने कहा कि जब देश की संसद में कानून और किसानों की समस्याओं पर चर्चा नहीं होने दी जा रही है. तो फिर जनता को एक संसद बुलाकर इस पर चर्चा करनी चाहिए. इसमें मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर, अरुणा रॉय, जस्टिस गोपालन, पी साईनाथ समेत अन्य हस्तियों ने भाग लिया है.
किसान संसद के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी न्यौता भेजा गया था. स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने इसमें शामिल न हो पाने की सूचना ट्वीटर पर साझा की है.
The Kisan Sansad will take place in Delhi for the next two days. I am unable to attend. Here is a letter I wrote to @pbhushan1 saying that I may not be there in person but will be present in spirit. pic.twitter.com/EnfJd2ehgZ
दिल्ली के गुरु तेग बहादुर स्मारक पर आयोजित किसान संसद को संबोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि कृषि कानूनों को संसद में बिना वोटिंग के पास कर दिया गया. इससे पहले कोई सलाह-मशविरा भी नहीं हुआ.
न्यूनतम समर्थन मूल्य-जैसी जायज मांगों को भी तवज्जो नहीं दी गई. उल्टे ऐसे काानून पास कर दिए, जिससे किसान बर्बाद हो जाए. इसीलिए आज इतना बड़ा आंदोलन खड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा, सरकार ने सोचा कि किसानों को भगा देंगे. उन पर वाटर कैनन, टियर गैस के गोले दागे. रास्ते में खाईं खोदी गई. इस सबके बाद भी किसान पहुंचे हैं. दो महीने से शांतिपूर्वक आंदोलन चल रहा है. सरकार ने इनको खालिस्तानी, पाकिस्तानी कहकर बदनाम करने की कोशिश की. अब गणतंत्र दिवस पर आने से रोका जा रहा है.
जबकि किसान कह रहे हैं कि वो गणतंत्र दिवस का जश्न मनाएंगे. ये सब देखते हुए सिविल सोसायट के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. हम सबने तय किया कि इस पर चर्चा की जाए. इसके लिए सभी सांसद, पूर्व सांसद, राजनीतिक और किसान नेताओं के अलावा विशेषज्ञों का न्यौता भेजा.
बोले, ये किसान संसद पहली और आखिरी नहीं है. ये तो शुरुआत है जो पूरे देश में चलनी चाहिए. जहां किसान की समस्या और जरूरतों पर खुली चर्चा की जाए.
द लीडर : किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने अपने एक बयान में कहा था कि, ’26 जनवरी तक आंदोलन को बहुत जिम्मेदारी और संभलकर चलाना होगा.’ जाहिर है कि उनके इस मंतव्य के पीछे साजिश जैसी कोई आशंका छिपी थी. जो दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की तारीख नजदीक आने तक लगभग साफ होती जा रही है. शुक्रवार को किसानों ने हरियाणा के कुंडली बॉर्डर से सोनीपत के एक युवक को पकड़ा था. जिसने मीडिया के सामने हिंसा उकसाने के लिए भेजे जाने की बात स्वीकारी थी. (Farmer Movement Shadow Violence)
अब उसी युवक का एक और वीडियो सामने आया है. जिसमें वो ये कहते सुना जा रहा है कि, ‘मैं अपने मामा के घर आया था. जहां मुझे पकड़ लिया गया. ट्रॉली में मेरे साथ मारपीट की गई. और मीडिया के सामने झूठा बयान देने को कहा गया. मैंने जो कुछ भी बोला-वो दबाव में कहा था.’ अब दिल्ली पुलिस इस मामले की पड़ताल में जुटी है.
युवक के दोनों आरोप बेहद गंभीर हैं. एक वो, जो शुक्रवार को उसने मीडिया के सामने लगाया था, जिसमें चार किसान नेताओं की हत्या तक की बात शामिल थी. दूसरा-अब जो उसका ताजा वीडियो सामने आया है. इसमें वो प्रदर्शनकारी किसानों के दबाव में झूठे बयान देने की मजबूरी जता रहा है.
पिछले करीब 59 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. कृषि कानूनों को खिलाफ उनका ये अहिंसक आंदोलन दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनों में शुमार हो चुका है. सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई. ये अलग बात है कि दोनों पक्ष अपनी बातों पर अड़े रहे. और कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
अब चूंकि किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान कर रखा है. जिसके लिए पंजाब, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे ट्रैक्टर लेकर रवाना भी होने लगे हैं. तब आंदोलन में हिंसा की आशंका ने न सिर्फ किसान नेताओं बल्कि दिल्ली पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है.
दिल्ली पुलिस पहले ही किसानों से साफ कह चुकी है कि उन्हें दिल्ली के अंदर ट्रैक्टर परेड की इजाजत नहीं मिलेगी. क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की चुनौती पैदा हो सकती है. दूसरी तरफ किसानों का मत साफ है-कि वे दिल्ली के अाउटर रिंग रोड पर ही परेड करेंगे.
किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सीमाओं में न आने पाएं. इसको लेकर बॉर्डर पर सीमेंट और कंटीले तारों के बैरिकेड लगाए जा रहे हैं. जबकि किसान ट्रैक्टर परेड के अभ्यास में लगे हैं. किसान नेताओं पर दबाव अधिक है. वो इस बात कहा कि आंदोलन जारी रखने के साथ उन्हें इसकी साख भी बचाकर रखनी है. क्योंकि ताजा घटनाक्रम ने इस आंदोलन के वजूद पर संकट पैदा कर दिया है.
किसानों के साथ 11 दौर की बातचीत असफल होने के साथ ही ये साफ हो गया कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. किसान, 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के अभ्यास में जुटे हैं. इसे रोकने के लिए मोदी सरकार भी जी-जान से लग गई है. टीकरी बॉर्डर समेत अन्य सीमाओं पर सीमेंट के पक्के बैरिकेड लगाए जा रहे हैं. दूसरी तरफ किसानों को पुलिस द्वारा नजरबंद करने की खबरें भी आ रही हैं. देखिए, दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार संदीप रौजी की रिपोर्ट.
रामपुर में आजम खान के घर पहुंचे सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाजपा पर हमलावर दिखे. उन्होंने कहा कि ये सरकार झूठ और नफरत की राजनीति कर रही है. इनसे खुशहाली और पढ़ाई की क्या उम्मीद करेंगे. सुनिए अखिलेश यादव ने और क्या कहा.
द लीडर. कांग्रेस नेताओं और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी की आजम खान को लेकर खास दिलचस्पी के बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शुक्रवार को रामपुर पहुंच गए. पहले वह सांसद मोहम्मद आजम खां के घर पहुंचकर उनकी पत्नी डॉ. तजीन फातिमा, बेटे और बहू से मिले. बाद में जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचकर वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से बात की.
आश्वस्त किया कि फिक्र नहीं करें, यूनिवर्सिटी की जमीन पर कब्जा रोकने की हम कोशिश करेंगे. यहां प्रेस कांफ्रेंस में ये भी साफ कर दिया कि सपा, आजम खां के साथ थी, है और रहेगी. जौहर यूनिवर्सिटी (Jauhar University) को बचाने के लिए विधानसभा के बजट सत्र बाद साइकिल यात्रा निकालेंगे. वह (अखिलेश) खुद भी साइकिल चलाएंगे. पत्रकारों से बातचीत में वह प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ भी खुलकर बोले. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिए बगैर निशाना साधा.
पूर्व मुख्यमंत्री ने आपराधिक घटनाओं खासतौर से बदायूं में आंगनवाड़ी कार्यकत्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को बहुत ही शर्मनाक बताया. किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार डराने में लगी है. जब किसानों का समर्थन किया तो हमारी फ्लीट नहीं निकलने दी. जबकि हम भी मुख्यमंत्री रहे हैं.
इल्जाम लगाया कि इन्हें आता ही यह है कि ठोक दें. मरवा दें, बुल्डोजर चलवा दें. जिन्होंने जिंदगी भर ठोकना और मारना सीखा हो, उनसे पढ़ाई कि उम्मीद ही नहीं की जा सकती. मुख्यमंत्री की भाषा नहीं देखी, विधानसभा में कहते हैं, ठोक देंगे. इसी का परिणाम है कि यूपी में कितने फेक एनकाउंडर हुए.
शर्म आना चाहिए सरकार को, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोटिस लिया, सरकार से मुआवजा देने के लिए कहा, कस्टोडियन डेथ उप्र में सबसे ज्यादा हैं. यह धर्म को लेकर बात करते हैं. हमारा धर्म, हिंदू धर्म ऐसा नहीं है कि दूसरों को कष्ट दे. हमारा धर्म और किताबें यही कहती हैं कि योगी वही हैं जो दूसरों का दुख, दर्द अपना समझें.
सवाल किया कि क्या यह मुख्यमंत्री ऐसे हैं, जो दूसरों का दुख अपना समझें, बल्कि यह दूसरों को दुख देते हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि हम जौहर यूनिवर्सिटी के इसलिए भी साथ हैं क्योंकि आजम खान हमारी पार्टी के नेता हैं. इससे भविष्य बनने वाला है. इसमें अब आजम या उनके परिवार के लोग पढ़ने के लिए थोड़े आएंगे, इसमें आने वाली पीढ़ी पढ़ेगी.
अगर उनके सपने सरकार तोड़ रही है तो जनता सड़कों पर आएगी. सपा मुखिया ने जौहर यूनिवर्सिटी को बचाने की बात तो कही लेकिन आजम खां को रिहा कराने के प्रयास पर कुछ नहीं बोले. ओवैसी के आजम खां से जेल में मिलने जाने की बात का भी सीधा जवाब नहीं दिया. अखिलेश करीब चार घंटे रामपुर में रुककर यह साबित करने में लगे रहे कि वह और उनकी पार्टी हर तरह से आजम खां के साथ है.
अब जहां तक आजम खां और उनकी पत्नी का सवाल है कि वे इस कवायद से कितने संतुष्ट हैं, इसे लेकर उनका अभी कोई बयान नहीं आ है. हां, अखिलेश के रामपुर पहुंचने से इतना जरूर हुआ कि आजम खां के जेल जाने के बाद पहली बार उनके समर्थकों की इतनी ज्यादा भीड़ सड़कों पर दिखाई दी.
द लीडर : चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है… और तूने मुझे बुलाया शेरावालिये…जैसे मशहूर भक्ति गीतों को आवाज देने वाले प्रसिद्ध गीतकार नरेंद्र चंचल का शुक्रवार को निधन हो गया है. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है.
लोकप्रिय भजन गायक नरेंद्र चंचल जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ है। उन्होंने भजन गायन की दुनिया में अपनी ओजपूर्ण आवाज से विशिष्ट पहचान बनाई। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम् शांति!
मूल रूप से अमृतसर के रहने वाले नरेंद्र चंचल ने बॉलीवुड की मशहूर फिल्म बॉबी से अपने करियर की शुरुआत की थी. बाद में उन्होंने दो घुट पिला दे शाकिया…जैसे कई गीतों में अपनी आवाज से जान फूंकी. करीब 80 साल के नरेंद्र का पिछले तीन महीने से दिल्ली के अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था. जहां उनका निधन हो गया.
नरेंद्र चंचल बॉलीवुड के गानों की वजह से कम बल्कि अपने भक्ति गीतों के कारण अधिक जाने जाते थे. उन्हें बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिल चुका है. उनका भक्ति गीत-तूने मुझे बुलाया शेरावालिये-अक्सर ही लोग गुनगुनाते मिल जाते हैं.
द लीडर : तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बरकरार है. शुक्रवार को 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही. केंद्र सरकार ने किसानों को फिर प्रस्ताव दिया कि डेढ़ के बजाय 2 साल तक कानूनों को होल्ड पर रखा जा सकता है. किसानों ने इस प्रस्ताव को भी नकार दिया है. अगली बैठक कब होगी-इसकी कोई तारीख तय नहीं हुई है.
देशभर के हजारों किसान पिछले 58 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं. किसी तरह आंदोलन टल जाए-सरकार इस कोशिश में लगी है. इसी को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है.
शुक्रवार को बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था, उसे हमने अस्वीकार कर दिया. कृषि कानूनों को वापस लेने की बात सरकार ने मंजूर नहीं की. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की तरफ से कहा गया कि डेढ के बजाय दो साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है.
सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया: राकेश टिकैत, किसान नेता #FarmersProtestpic.twitter.com/YnUQo5eqQL
उन्होंने कहा कि अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है. सरकार ने कोई अन्य प्रस्ताव नहीं दिया.
वहीं, दूसरी तरफ किसान 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की तैयारी में जुटे हैं. पुलिस चाहती है कि गणतंत्र दिवस पर किसान ये ट्रैक्टर परेड न करें. इस संबंध में किसान और पुलिस अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है. हालांकि किसानों ने साफ कर दिया कि वे ट्रैक्टर रैली जरूर निकालेंगे.
द लीडर : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने जेल में बंद सांसद आजम खान से जेल में मुलाकात का ऐलान करके उत्तर प्रदेश (UP) की राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है. इससे पहले कि दोनों मुस्लिम नेताओं के बीच मुलाकात हो. समाजवादी पार्टी संभावित नुकसान की भरपाई में लग गई है. सपा मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शुक्रवार को रामपुर पहुंच गए. पहले आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा से घर पहुंचकर मुलाकात की. उसके बाद जौहर यूनिवर्सिटी भी गए. (Owaisi Azam Akhilesh Yadav)
ये जुगत आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुस्लिम वोटरों को साधने की है. इसके केंद्र में हैं रामपुर से सांसद आजम खान, जो पिछले करीब दस महीने से जेल में बंद हैं. उन्हीं, आजम खान को लेकर अचानक से सियासी जमातों की दिलचस्पी बढ़ गई है. कांग्रेस (Congress) से लेकर AIMIM हो या फिर समाजवादी पार्टी. सब आजम नाम जपने लगे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बरेली दौरे पर हैं. पार्टी के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने वे गुरुवार को यहां पहुंचे थे. पत्रकारों ने अखिलेश यादव से आजम खान को लेकर सीधा सवाल पूछा-आपकी पार्टी में आजम खान का अगला विकल्प कौन होगा? अखिलेश यादव ने जवाब दिया-पार्टी, आजम खान और उनके परिवार के साथ खड़ी है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी, आजम खान से जेल में मिलना चाहते हैं? अखिलेश इस सवाल को टाल गए. बोले-पार्टी ने लगातार संघर्ष किया. रामपुर जाना पड़ा हो या फिर विधान परिषद की कार्यवाही स्थगित करानी पड़ी हो.
आजम खान के साथ हम लोकसभा स्पीकर से भी मिले. उन्हें बताया कि यूपी सरकार फंसाने के लिए झूठे मुकदमे लिखवा रही है. दरअसल, ओवैसी यूपी की राजनीति में जगह तलाश रहे हैं. पिछले दिनों वे आजमगढ़ पहुंचे थे.
हाल ही में कांग्रेस नेता और मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी रामपुर स्थित आजम खान के घर गए थे. उन्होंने आजम खान की बीवी डॉ. तंजीन फातिमा से मुलाकात की. साथ भोपाल से विधायक आरिफ मसूद भी थे. इससे जुड़े सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि जब से बरेली में हमारा सम्मेलन हुआ है ,पता नहीं दूसरे दलों को क्या हो गया है.
पत्रकारों पर सवाल उछालते हुए बोले-आप खुद जानते होंगे क्या आजम खान को फंसाने में कांग्रेस के नेता शामिल नहीं थे? क्या कांग्रेस नेताओं ने एफआइआर दर्ज कराने के लिए पत्र नहीं लिखे. क्या रामपुर में भाजपा और कांग्रेस एक नहीं है?
आजम खान पर करीब 84 मुकदमे दर्ज हैं. जिसमें से कई मुकदमों में उन्हें जमानत भी मिल चुकी है. आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान अभी भी जेल में हैं. जबकि उनकी बीवी डॉ. तंजीन फातिमा करीब 9 महीने की जेल काटकर बीते दिसंबर माह में ही रिहा हुई हैं. राज्य सरकार ने मौलाना जौहर अली यूनिवर्सिटी की करीब 70 हेक्टेयर जमीन भी अपने नाम कर ली है.
सबसे मुखर सियासतदानों में से एक आजम खान और उनका परिवार अकेले ही यह लड़ाई लड़ता रहा. आमतौर पर ये चर्चा भी उठी कि समाजवादी पार्टी ने अपने सबसे कद्दावर नेता को इस लड़ाई में अकेला छोड़ दिया.
पत्रकारों ने इसी रूप में सारे सवाल अखिलेश यादव के सामने रखे. यूनिवर्सिटी से जुड़े एक सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि आजम खान ने पीढ़ियों का भविष्य संवारने के लिए यूनिवर्सिटी बनवाई है.
सरकार, भूमि का नक्शा पास न होने का हवाला देकर मकानों पर बुल्डोजर चलवा रही है. एक बार फिर पत्रकारों की तरफ सवाल उछालते हुए कहा-मुख्यमंत्री के आवास का नक्शा पास है या नहीं? आप चेक करवा सकते हैं. सुना है कि गोरखुपर में मुख्यमंत्री एक तालाब पाटकर मेडिकल कॉलेज बनवा रहे हैं.
अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि हम भाजपा को रोकना चाहते हैं. जबकि कांग्रेस बीजेपी से नहीं लड़ना चाहती है. आजम खान हमारे हैं. हमें, दूसरों से ज्यादा उनकी चिंता है. अगर दूसरों को चिंता थी तो ये बताओ कि उन्हें फंसाया किसने. उन्हें मतलब बीजेपी को हटाओगे या नहीं. असल में ये तमात ताकतें बीजेपी से लड़ना ही नहीं चाहतीं.