Thursday, October 17, 2024
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बेनजीर भुट्टो की बेटी बख्‍तावर का यूएई के बिजनेसमैन से न‍िकाह, ब‍िलावल ने तस्‍वीरें साझा कर ल‍िखा, मशाअल्‍लाह

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द लीडर : पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बेटी बख्तावर भुट्टो संयुक्त अरब अमीरात (UAE)के महमूद चौधरी की हमसफर बन गई हैं. बख्तावर के भाई और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने ट्वटीर पर शादी की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, कई सालों बाद हमारे घर में खुशियां आई हैं. मेरी बहन की शादी हो गई. ऐसा लगता है कि मेरी मां इन लम्हों को देखकर खुश हो रही होंगी. दोनों को नई जिंदगी की मुबारकबाद.

कौन हैं बख्तावर के शौहर

महमूद चौधरी यूएई के बिजनेसमैन मुहम्मद यूनुस और बेगम सुरैया चौधरी के बेटे हैं. मूल रूप से लाहौर के रहने वाले यूनुस साल 1973 में यूएई चले गए थे. उन्होंने कंस्ट्रक्शन और ट्रांसपोर्ट का बिजनैस खड़ा किया. आज वे बड़े कारोबारियों में शुमार हैं. पिछले साल 27 नवंबर को बख्तावर और महमूद की सगाई हुई थी.

25 जनवरी 1990 को जन्मीं बख्तावर ने यूनिवर्सिटी ऑफ एडनबर्ग से उच्च शिक्षा हासिल की है. जबकि महमूद ने दरहम यूनविर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है. पाकिस्तान के बिलाबल हाउस में दोनों की शादी की रस्में हुईं. इसमें करीब 300 मेहमान शामिल हुए थे. शादी के मद्​देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए थे. यहां तक आसपास के मकानों पर सुरक्षा बल तैनात किया गया था.

2007 में हुई थी बेनजीर की हत्या

पाकिस्तान की दो बार प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 में रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी. भुट्टो वर्ष 1988 से 1990 और 1993 से 1996 तक प्रधानमंत्री रही हैं.

किसान आंदोलन कवर रहे पत्रकार मनदीप की रिहाई के लिए दिल्ली के आइटीओ पर पत्रकारों का प्रदर्शन

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द लीडर : किसान आंदोलन की कवरेज को लेकर पत्रकार, पुलिस के निशाने पर आते जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police)ने स्वतंत्र पत्रकार मनदीप (Mandeep Poniya)पूनिया को सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-186, 323 और 353 के तहत कार्रवाई की है. उनकी रिहाई की मांग को लेकर पत्रकार दिल्ली के आइटीओ पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनदीप को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने के बाद तिहाड़ भेज दिया गया है.

मनदीप के साथ एक और पत्रकार धर्मेंद्र को भी हिरासत में लिया गया था. हालांकि धर्मेंद्र को रविवार सुबह करीब 5:30 बजे छोड़ दिया गया. पुलिस ने इन दोनों पत्रकारों को शनिवार की रात सिंघु बॉॅर्डर से उस वक्त पकड़ा था, जब ये आंदोलन की कवरेज कर रहे थे. इसमें मनदीप का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वो पुलिसकर्मियों से घिरे नजर आ रहे थे.

 


किसान आंदोलन पर जस्टिस काटजू को ऐसा क्यों लगता है क‍ि, विनाश काले विपरीत बुद्धि


 

पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज पत्रकारों ने मनदीप के समर्थन में सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू कर दी. किसान मोर्चा ने भी मनदीप की रिहाई की मांग उठाई. अब मनदीप की फोटो सामने आई है, जिसमें वो पुलिस के बीच बेफिक्र नजर आ रहे हैं.

पुलिस की गाड़ी से सामने आई मनदीप की मुस्कुराती तस्वीर.
एसएचओ से अभद्रता का आरोप

मनदीप पर एसएचओ से अभद्रता का आरोप लगा है. दरअसल, गिरफ्तारी से पहले उन्होंने एक फेसबुक लाइव किया था, जिसमें शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर पहुंची उपद्रवी भीड़ में शामिल नेताओं के बारे में रिपोर्ट की थी. ये भीड़ जबरन आंदोलन हटवाने पहुंची थी.

राजदीप, मृणाल पर मुकदमा

इससे पहले 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड की कवरेज और ट्वीट को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय, जफर आगा समेत छह पत्रकारों के खिलाफ यूपी और मध्यप्रदेश में कसे दर्ज हुए थे. शनिवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों पर देशद्रोह समेत अन्य धाराओं में दर्ज केस वापस लेने की मांग उठाई थी.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में वरिष्ठ पत्रकारों की एक बैठक में पुलिस कार्रवाईयों की सामूहिक निंदा की थी. खास बात ये है कि एडिटर्स गिल्ड की इस निंदा और मांग के चंद घंटों बाद ही पुलिस ने मनदीप को गिरफ्तार कर लिया. ये स्थिति एडिटर्स गिल्ड के लिए झटके जैसी है.

राहुल गांधी बोले-सच से डरते हैं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मनदीप की गिरफ्तारी से जुड़ा एक वीडियो शेयर करते हुए सरकार पर निशाना साध है. उन्होंने लिखा, जो सच से डरते हैं, वे सच्चे पत्रकारों को गिरफ्तार करते हैं.

 

एडिटर्स गिल्ड के, पत्रकारों पर कार्रवाई की निंदा के चंद घंटे बाद पत्रकार मनदीप पूनिया गिरफ्तार

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द लीडर : किसान आंदोलन की कवरेज को लेकर पत्रकार, पुलिस के निशाने पर आते जा रहे हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police)ने स्वतंत्र पत्रकार मनदीप (Mandeep Poniya)पूनिया को सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-186, 323 और 353 के तहत कार्रवाई की है. आज-रविवार को उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सकता है. ( Journalist Mandeep Arrested Editors Guild)

मनदीप के साथ एक और पत्रकार धर्मेंद्र को भी हिरासत में लिया गया था. हालांकि धर्मेंद्र को रविवार सुबह करीब 5:30 बजे छोड़ दिया गया. पुलिस ने इन दोनों पत्रकारों को शनिवार की रात सिंघु बॉॅर्डर से उस वक्त पकड़ा था, जब ये आंदोलन की कवरेज कर रहे थे. इसमें मनदीप का एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें वो पुलिसकर्मियों से घिरे नजर आ रहे थे.


किसान आंदोलन पर जस्टिस काटजू को ऐसा क्यों लगता है क‍ि, विनाश काले विपरीत बुद्धि


 

पुलिस की इस कार्रवाई से नाराज पत्रकारों ने मनदीप के समर्थन में सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू कर दी. किसान मोर्चा ने भी मनदीप की रिहाई की मांग उठाई. अब मनदीप की फोटो सामने आई है, जिसमें वो पुलिस के बीच बेफिक्र नजर आ रहे हैं.

पुलिस की गाड़ी से सामने आई मनदीप की मुस्कुराती तस्वीर.
एसएचओ से अभद्रता का आरोप

मनदीप पर एसएचओ से अभद्रता का आरोप लगा है. दरअसल, गिरफ्तारी से पहले उन्होंने एक फेसबुक लाइव किया था, जिसमें शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर पहुंची उपद्रवी भीड़ में शामिल नेताओं के बारे में रिपोर्ट की थी. ये भीड़ जबरन आंदोलन हटवाने पहुंची थी.

राजदीप, मृणाल पर मुकदमा

इससे पहले 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड की कवरेज और ट्वीट को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडेय, जफर आगा समेत छह पत्रकारों के खिलाफ यूपी और मध्यप्रदेश में कसे दर्ज हुए थे. शनिवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों पर देशद्रोह समेत अन्य धाराओं में दर्ज केस वापस लेने की मांग उठाई थी.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में वरिष्ठ पत्रकारों की एक बैठक ने पुलिस कार्रवाईयों की सामूहिक निंदा की थी. खास बात ये है कि एडिटर्स गिल्ड की इस निंदा और मांग के चंद घंटों बाद ही पुलिस ने मनदीप को गिरफ्तार कर लिया. ये स्थिति एडिटर्स गिल्ड के लिए झटके जैसी है.

किसान आंदोलन पर जस्टिस काटजू को ऐसा क्यों लगता है क‍ि, विनाश काले विपरीत बुद्धि

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बताया गया है कि दिल्ली के गाज़ीपुर, टीकरी और सिंघू बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाओं को अधिकारियों ने बंद कर दिया है. अधिकारी शायद समझते हैं कि ऐसा करने से वे किसानों के आंदोलन को दबा देंगे, लेकिन मेरी राय में यह केवल स्थिति को और भयावह बनाएगा और बिगाड़ेगा .

अधिकारीगण इंग्लैंड के किंग कैन्यूट ( King Canute ) की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जिन्होंने ज्वार की लहरों को चले जाने के लिए कहा था. उन्होंने अपने गोएबेल्सियन ( Goebbelsian) प्रचार द्वारा (जो बेशर्म ‘गोदी मीडिया के माध्यम से फैलाई गया) किसानों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी, माओवादी, देशद्रोही आदि के रूप में चित्रित करने की कोशिश की, लेकिन इसका विश्वास किसी ने नहीं किया किया .

Farmer Movement Shadow Violence
क‍िसान आंदोलन

तब उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठे हुए किसानों पर हमला करने के लिए गुंडे भेजे, लेकिन किसानों ने उनका सामना कर उन्हें वहां से भगा दिया . पुलिसकर्मियों को उन्हें तितर-बितर करने के लिए भी भेजा गया, लेकिन मुझे एक युवा मित्र ने सूचित किया, जो नियमित रूप से किसानों के पास जाते हैं और उन्हें भोजन, पानी की बोतलें आदि की आपूर्ति करते हैं, कि कई पुलिसकर्मियों ने किसानों को गले लगाया और रोए.


भाजपा किसान आंदोलन को हिंदू-सिख का मसला बनाना चाहती है : किसान मोर्चा


 

हालांकि उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे इसका वीडियो न निकालें ताकि उन्हें पीड़ित न किया जाए. आखिरकार, अधिकांश पुलिसकर्मी (और सेना के जवान) किसानों के बेटे हैं, और उनके दिल में उनके प्रति सहानुभूति होगी ही.

यह घटना हमें 25 जुलाई 1830 में फ्रांसीसी राजा चार्ल्स ( Charles X ) द्वारा जारी किये गए सेंट क्लाउड ऑर्डिनेंस ( Saint Cloud Ordinance )की याद दिलाती हैं. ये ऑर्डिनेंस प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने के लिए जारी किया गया था ,जिसका परिणाम हुआ 1830 की जुलाई क्रांति, जिसने 3 दिनों की बैरिकेड लड़ाई के बाद राजा को पदहीन कर दिया.

फरवरी 1917 में रूसी सैनिकों को प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश दिया गया था, जिससे उनमें उल्टा प्रदर्शनकारियों के साथ अपनेपन का एहसास जगा, और परिणामस्वरूप फरवरी क्रान्ति ( February Revolution) हुई, जिससे ज़ारिस्ट ( Czarist ) शासन का पतन हुआ.


गृह मंत्रालय ने किसान आंदोलन स्थलों पर बंद की इंटरनेट सेवाएं


भारत के किसान संख्या में लगभग 75 करोड़ (750 मिलियन) हैं, जो एक बहुत बड़ी ताकत है, और जो अब एक ज्वार की लहर के भाँति उठ खड़ी हो गयी है. नेपोलियन ने चीनी लोगों के बारे में कहा था कि “सोने वाले विशाल जीव को सोने दो, क्योंकि जब वो जागेगा तो दुनिया हिल जाएगी”. आज भारतीय किसानों के बारे में भी यही कहा जा सकता है, जो अब तक कुंभकर्ण की तरह सो रहे थे.

धरने पर बैठे क‍िसान

भारत अब तक प्रगति नहीं कर सका क्योंकि हम जाति और धर्म के आधार पर विभाजित थे, और आपस में लड़ रहे थे. और इस कमजोरी का उपयोग हमारे स्वार्थी राजनेताओं ने समाज के ध्रुवीकरण और जाति और सांप्रदायिक घृणा और हिंसा को उकसाकर अपने लिए वोट बैंक बनाने के लिए किया.

वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन ने जाति और धर्म की बाधाओं को तोड़ कर लोगों को एकजुट कर दिया है, जो एक महान ऐतिहासिक उपलब्धि है. इसके अलावा, इन्होंने राजनेताओं को इस मामले से दूरी बनाये रखने के लिए कहा है.


सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक


 

यह आंदोलन, जो वर्तमान में केवल आर्थिक मांगों के लिए है, जैसे कृषि उपज के लिए उचित मूल्य आदि ,बाद में भारतीय जनता के एक विशाल राजनैतिक और सामाजिक जनसंघर्ष में विकसित होगा, जो 10-15 वर्षों तक चल सकता है. लेकिन अंततोगत्वा इसका परिणाम होगा एक राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था बनाना जिसके तहत भारत तेज़ी से औद्योगिकीकरण करेगा. और भारत को समृद्ध राष्ट्र बनाएगा और भारतीय जनता को उच्च जीवन स्तर और सभ्य जीवन भी देगा.

(जस्टिस मार्केंडेय काटजू प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे हैं. ये लेख उनकी फेसबुक वॉल पर प्रकाशित हुआ है.)

स्मार्ट सिटी इंदौर से मानवता की सबसे गंदी तस्वीर, बेसहारा बुजुर्गों को डंपर में भरकर शहर से बाहर फेंकने भेजा

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द लीडर : इंदौर, मध्यप्रदेश का वो शहर जो पिछले कुछ सालों से देश की स्वच्छता रैंकिंग में पहले पायदान पर बना है. इस ऊंचाई पर बने रहने के जुनून में नगर निगम के अफसर किस हद तक जा सकते हैं. इसकी, एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जिसने मानवता पर यकीन रखने वाले हर इंसान को हिलाकर रख दिया. निगम ने शहर के बेसहारा बुजुर्ग, भिक्षुओं को एक डंपर में भरकर बाहर फिंकवाने भेज दिया. घटना सामने आने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निगम के उपायुक्त समेत दो अन्य कर्मचारियों को निलंबित किया है. (Dirtiest Picture Humanity Indore)

घटनाक्रम गुरुवार का है. नगर निगम के कर्मचारियों ने शहर में बेसहारा बुजुर्ग, महिलाओं को एक डंपर में भरा. कुछ तो ऐसी हालत में थे जो ठीक से बैठ भी नहीं सकते.

जिस तरह से पशुओं को डंपर में भरा जाता है-उतना ही अमानवीय तरीका इन वृद्धजनों के साथ अपनाया गया. कर्मचारी इन्हें डंपर में लादकर शहर से बाहर ले जा रहे थे. शिप्रा नदी के करीब कुछ ग्रामीणों ने डंपर में बुजुर्गों को भरा देखा, तो गड़बड़ी की आशंका हुई.


सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी बोले, किसानों से एक फोन की दूरी है


 

इस पर उन्होंने कर्मचारियों से पूछा कि इन्हें कहां ले जा रहा हैं. जब सही जवाब नहीं मिला तो ग्रामीणों ने डंपर की एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी. जिस किसी ने ये वीडियो देखा-वो सिहर उठा. और निगम की इस करतूत की हर तरफ निंदा होने लगी.

घटना पर कांग्रेस, राज्य सरकार पर हमलावर हो गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसे देखकर रोष से भर गए. उन्होंने कहा, ‘इंदौर में नगर निगम कर्मचारियों द्वारा वृद्धजनों के साथ अमानवीय व्यवहार के संबंध में मुझे जानकारी मिली है.

इस मामले में जिम्मेदार नगर निगम उपायुक्त समेत दो कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और कलेक्टर को बुजुर्गों की समुचित देखभाल करने का निर्देश दिया है. बुजुर्गों के प्रति अमानवीय व्यवहार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मेरे लिए नर सेवा ही नारायण सेवा है. हर वृद्ध को आदर, प्रेम और सम्मान मिलना चाहिए. यही हमारी संस्कृति और मानव धर्म भी.’

बुजुर्गों के सम्मान में कांग्रेस मैदान में

घटना को लेकर कांग्रेस ने सरकार की घेराबंदी की है. शनिवार को कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने बुजुर्गों के सम्मान में कांग्रेस मैदान में का नारा देते हुए विरोध प्रदर्शन किया हैै.

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी बोले, किसानों से एक फोन की दूरी है

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द लीडर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार की सर्वदलीय बैठक में ये साफ किया है कि किसानों के साथ बातचीत का दरवाजा हमेशा खुला है. और किसानों का मसला बातचीत से ही हल होगा. उन्होंने कहा कि वे किसानों से केवल एक फोन दूर हैं. पिछली बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जो प्रस्ताव दिया था. सरकार उस पर चर्चा के लिए तैयार है.

बजट सत्र से पहले सरकार ने ये सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इसमें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में तृणमूल के कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय, अकादली दल से बलविंदर सिंह भूंदड़ समेत अन्य दलों के नेता शामिल हुए.

बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी पत्रकारों ने पत्रकारों से बात की. और बैठक की जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं. अगर आप तैयार हैं तो हम एक फोन कॉल पर हाजिर होंगे. किसानों को दिया गया प्रस्ताव बरकरार है. ऐसा, प्रधानमंत्री ने दोहराया है.

बैठक में प्रधानमंत्री ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में महात्मा गांधी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त किए जाने की भी कड़ी निंदा की है.


गृह मंत्रालय ने किसान आंदोलन स्थलों पर बंद की इंटरनेट सेवाएं


 

दरअसल, कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बैठक हो चुकी है. इसी 11वीं बैठक में कृषि मंत्री ने किसानों को ऑफर दिया था कि वे चाहें तो कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक के लिए होल्ड पर रखा जा सकता है.

एक कमेटी गठित की जाएगी, जो कानूनों पर चर्चा करेगी. किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. ये कहते कि कानून रद होने पर ही वे आंदोलन खत्म करेंगे.

चूंकि बीती 26 जनवरी को किसानों ने जो ट्रैक्टर परेड निकाली थी, उसमें हिंसा हो गई थी. इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे और किसानों को चोटें आई थीं. यहां तक कि यूपी के रामपुर जिले के युवा किसान नवरीत की मौत भी हो गई थी.

इस घटना के बाद आंदोलन के तेवर थोड़े नरम पड़े थे, मगर गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत की एक भावुक वीडियो सामने आने के बाद ये और तेजी से बढ़ने लगा है.

गृह मंत्रालय ने किसान आंदोलन स्थलों पर बंद की इंटरनेट सेवाएं

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द लीडर : गृह मंत्रालय ने किसान आंदोलन स्थल-सिंघु बॉर्डर, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर क्षेत्र की इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं. 31 जनवरी तक ये रोक लागू रहेगी. हरियाणा के कई जिलों में इंटरनेट बंद किया जा चुका है. किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने सरकार के इस कदम की निंदा की है. उन्होंने कहा कि कभी बिजली बंद कर देते हैं तो कभी पानी रोक दिया जाता.

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 66 दिनों से हजारों किसान इन बॉर्डरों पर आंदोलनरत हैं. वे कानूनों को रद किए जाने की मांग उठाए हैं. सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. हालात ये हैं कि अब बॉर्डर स्थलों पर तनाव की घटनाएं सामने आने लगी हैं.


भाजपा किसान आंदोलन को हिंदू-सिख का मसला बनाना चाहती है : किसान मोर्चा


 

सिंघु बॉर्डर पर गुरुवार और शुक्रवार-इन दोनों दिनों में उपद्रवियों की एक भीड़ जबरन आंदोलन हटवाने पहुंची. झड़प के बीच किसान और पुलसकर्मियों को चोटें भी आई हैं. शुक्रवार की रात एक प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा था कि इंटरनेट सेवाएं बंद करके सरकार हमारी आवाज को नहीं दबा सकती है. ये मांग की थी कि इंटरनेट चालू किया जाए.

वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत की भावुक वीडियो सामने आने के बाद ये आंदोलन और गति पकड़ने लगा है. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि कल बागपत में पंचायत के बाद हम दिल्ली के लिए कूच करेंगे.

भाजपा किसान आंदोलन को हिंदू-सिख का मसला बनाना चाहती है : किसान मोर्चा

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द लीडर : सिंघु बॉर्डर पर पिछले दो दिनों से जारी तनाव के बीच शुक्रवार की रात संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कांफ्रेंस की. और ये आरोप लगाया है कि भाजपा किसानों की लड़ाई को सिख बनाम हिंदू का मसला बनाना चाहती है, जिससे उसे बाज आना चाहिए. बॉर्डर क्षेत्र पर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. मगर वो नहीं जानते कि इंटरनेट बंद करके इंकलाब की आवाज नहीं दबाई जा सकती. (BJP Kisan Movement Hindu Sikhs)

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल सिंह ने आंदोलन स्थलों पर नेट बहाल किए जाने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि जैसा कल गाजीपुर बॉर्डर पर घटा. आज सिंघु बॉर्डर पर भी वही हुआ. भाजपा और आरएसएस के लोग आंदोलन में फूट डालने का षड्यंत्र रच रहे हैं. वो इसमें सफल नहीं होंगे.

26 जनवरी को आंदोलन का जो नजारा था. वैसा फिर हो रहा है. मुहाली, लुधियाना से सैकड़ों वाहन बॉर्डर के लिए रवाना हो चुके हैं. उन्होंने देशवासियों से इस शांतिपूर्ण संघर्ष में शामिल होने का आह्वान किया है.


सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक


 

किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने 26 जनवरी को एक साजिश रची थी. जिसमें वो बेनकाब हो चुकी है. हरियाणा से हजारों किसान आंदोलन में शामिल होने आ रहे हैं. अगले दिनों में यहां और किसान आएंगे. और सरकार को मांगें मानने पर मजबूर होना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि आज गुरुद्वारा के सामने भाजपा-आरएसएस के लोगों ने जो प्रदर्शन किया. वो शर्मनाक है. हिंदू-सिख भाई-भाई हैं.

इस देश में सबको शांति से रहने का हक है. सरकार को झूठ, अफवाहें फैलाने से बचा चाहिए. एक अन्य किसान नेता ने कहा कि झूठ की उम्र काफी छोटी होती है. समाज जान चुका है कि सच क्या है. यहां इंटरनेट बंद कर दिया गया है, ताकि लोगों तक सूचनाएं न पहुंच पाएं.

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 65 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, जिसमें कई जगहों पर हिंसा भड़क गई थी.

राजदीप पर केस दर्ज हुआ तो इंडिया टुडे ने 15 दिन के लिए कर दिया ऑफ एयर, एक महीने का काटा वेतन

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द लीडर : किसान आंदोलन की ताप मीडिया संस्थान और पत्रकारों तक पहुंचने लगी है. आंदोलन से जुड़ी एक खबर को लेकर इंडिया टुडे समूह ने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को न सिर्फ 15 दिन के लिए ऑफ एयर किया है, बल्कि एक महीने का वेतन काटने की कार्रवाई की है. वहीं, यूपी पुलिस ने राजदीप समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. जिसकी, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने निंदा कर, केस रद करने की मांग उठाई है.

ये सारी कार्रवाई 26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड से जुड़ी है, जिसमें हिंसा के बीच रामपुर के ट्रैक्टर चालक किसान नवरीत की मौत हो गई थी. राजदीप ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस की गोली से नवरीत की मौत का दावा किया था. यही जानकारी उन्होंने न्यूज बुलेटिन में भी दी थी. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नवरीत की मौत में गोली की पुष्टि नहीं हुई. बाद में राजदीप ने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया था.


सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक


 

इसके बाद इंडिया टुडे ने राजदीप पर ये कार्रवाई की है, जो मीडिया जगत में चर्चा का विषय बनी है. इसी मामले को लेकर यूपी के नोयडा में राजदीप सरदेसाई, कांग्रेस नेता सांसद शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय, पत्रकार जफर आगा, परेशनाथ, अनंतनाथ, विनोद के जोश और एक अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

नोएडा के अभिजीत मिश्रा ने नोएडा पुलिस में एक शिकायत दी थी. जिसमें आरोप लगाया था कि उक्त सातों लोगों ने भ्रामक ट्वीट और सूचनाएं प्रसारित की हैं, ये लिखते हुए कि नवरीत की मौत पुलिस कार्रवाई में हुई. शिकयत में एक सुनियोजित साजिश के तहत दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया है. जिस पर पुलिस ने केस दर्ज किया है. इसी प्रकरण में मध्यप्रदेश में भी इन पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

इसे भी पढ़ें: टिकैत के आंसू बने आन्दोलन की ताकत, गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों की भीड़ जुटी

शुक्रवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक प्रेस नोट जारी कर पत्रकारों पर केस दर्ज करने की निंदा करते हुए कहा कि केस रद किए जाएं. और मीडिया को पूरी आजादी के साथ स्वतंत्र रिपोर्टिंग करने दी जाए.

 

सिंघु बॉर्डर से जबरन किसानों का आंदोलन खाली कराने पहुंची भीड़ का पथराव, हालात नाजुक

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द लीडर : दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर लगातार दूसरे दिन माहौल तनावपूर्ण है. नरेला और बवाना आदि क्षेत्रों के लोग जबरन आंदोलन खत्म कराने पर आमदा हैं. शुक्रकवार फिर को फिर सैकड़ों लोग आंदोलन स्थल पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे. उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों पर पथराव भी किया. इस टकराव में पुलिस, उप्रदवी और किसानों के बीच झड़प हुई. हालात ये हुए कि पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़कर उप्रदवियों को खदेड़ना पड़ा.

इससे पहले गुरुवार को भी करीब 100 लोगों की भीड़ आंदोलन स्थल पर पहुंची थी. जिसने नारेबाजी करते हुए आंदोलन हटाने की मांग की थी. शुक्रवार को दोबारा वही भीड़ पहुंची. उस दौरान आंदोलन स्थल के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था.

इसके बावजूद ये भीड़ प्रदर्शन स्थल पर पथराव करने में सफल रही. झड़प में किसानों की एक वॉशिंग मशाीन तोड़ दी गई. जबिक कुछ किसानों समेत पुलिसकर्मियों को चोटें आई हैं.

सिंघु बॉर्डर पर झड़प के बीच कार्रवाई करती पुलिस.

इस विवाद के बीच किसान नेता अपने लोगों को प्रदर्शन स्थल के और अंदर करने में लगे थे. किसानों का आरोप है कि ये सरकार की भेजी हुई भीड़ है, जो हिंसा के जरिये आंदोलन को मिटाने में लगी है. उन्होंने पुलिस बल की मौजूदगी में उप्रदवियों के प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने पर भी सवाल उठाए हैं.


किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर पानी की आपूर्ति के लिए बोरिंग शुरू की


 

एक दिन पहले गाजीपुर बॉर्डर पर भी कुछ लोगों की भीड़ पहुंची थी. इसके बाद ही किसान नेता राकेश टिकैत का भावुक वीडियो सामने आया था. जिसमें, उन्होंने आरोप भी लगाया था कि भाजपा के एक विधायक व उनके समर्थक किसानों पर जुल्म करना चाहते हैं.