Thursday, October 17, 2024
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पंचायत चुनाव में सपा ने बीजेपी को दी मात, अयोध्या-मथुरा-काशी तीनों जगह धराशायी हुई बीजेपी

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लखनऊ। पश्चिम बंगाल के नतीजों के बाद बीजेपी की नींद उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के नतीजों ने उड़ा दी है. इन चुनावों में बीजेपी को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगा है. अयोध्या से लेकर मथुरा और काशी सहित प्रदेश भर में सपा ने बीजेपी को करारी मात दी है.

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ये जिले सरकार के एजेंडे में शामिल रहे

यूपी के ये तीनों जिल योगी आदित्यनाथ सरकार के एजेंडे में शामिल रहे हैं. और पिछले चार सालों में इन जिलों पर सरकार काफी मेहरबान रही है. इसके बावजूद अयोध्या-मथुरा-काशी में मिली करारी मात एक बड़ा सियासी संदेश दे रही है.

रामनगरी अयोध्या में बीजेपी हारी

राम की नगरी अयोध्या में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. अयोध्या जनपद में कुल जिला पंचायत सदस्य की 40 सीटें हैं, जिनमें से  24 सीटों पर समाजवादी पार्टी ने परचम फहराया है. यहां बीजेपी को महज 6 सीटें ही मिली हैं. इसके अलावा 12 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की है.

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बीजेपी को यहां अपने बागियों के चलते करारी मात खानी पड़ी है, क्योंकि 13 सीटों पर पार्टी के नेताओं को टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे थे. हालांकि, अयोध्या की सियासत को लेकर बीजेपी कुछ बी दावा करती रही हो, लेकिन सपा का यहां अपना बड़ा जनाधार है. इसके बावजूद बीजेपी का अयोध्या में ऐसे समय हारना जब वहां राममंदिर का निर्माण हो रहा है और बीजेपी उसका क्रेडिट लेती है, कुछ और ही कहानी बयां करता है.

पीएम मोदी के काशी में सपा जीती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी भाजपा की हालत चिंताजनक है. एमएलसी चुनाव के बाद भाजपा को जिला पंचायत चुनाव में भी काशी में करारी मात मिली है. जिला पंचायत की 40 सीटों में से बीजेपी के खाते में महज 8 सीटें आई हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी ने यहां 14 सीटों पर कब्जा किया है.

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बसपा की बात करें तो उसने यहां पांच सीटों पर जीत हासिल की है, हालांकि बनारस में, अपना दल(एस)को 3 सीट मिली हैं. आम आदमी पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी 1-1 सीट मिली है. इसके अलावा 3 निर्दलीय प्रत्याशियों को भी जीत मिली है. 2015 में भी काशी में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन योगी सरकार के बनने के बाद बीजेपी ने जिला पंचायत की कुर्सी सपा से छीन ली थी.

कृष्ण नगरी में बसपा का परचम

भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा जिले की बात करें तो यहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. मथुरा में बहुजन समाज पार्टी ने बाजी मारी है, यहां पर बसपा के 12 उम्मीदवारों ने जीत का परचम फहराया है. बसपा के बाद आरएलडी ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, बीजेपी 8 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. सपा को 1 सीट से काम चलाना पड़ा. 3 निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए. मथुरा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. खुद कांग्रेस जिलाध्यक्ष चुनाव हार गए. माना जा रहा है कि मथुरा बीजेपी की हार किसानों की नाराजगी के चलते हुई है.

पंचायत चुनाव 2022 का लिटमस टेस्ट

बता दें कि, बीजेपी की स्थापना के दौर से ही अयोध्या-मुथरा-काशी एजेंडे में शामिल रहा है. बीजेपी इन जिलों के नाम पर अपनी सियासत यूपी में नहीं बल्कि देश भर में करती रही है. ऐसे में बीजेपी का इन तीनों जिलों में करारी हार होना बड़ा झटका है. वहीं, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में लगातार सपा बीजेपी को मात देती जा रही है. मथुरा में बसपा का नंबर वन पर आना यह बता रहा है कि मायावती का सियासी असर अभी खत्म नहीं हुआ है.

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक आठ महीने पहले पंचायत चुनाव को 2022 का सेमीफाइनल माना जा रहा था. यह चुनाव सत्ताधारी बीजेपी के साथ-साथ विपक्षी समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस के लिए भी अहम है. गांवों की सरकार के लिए हो रहे इस चुनाव में पार्टियों की असली ताकत जिला पंचायत से तय होती है.

सपा एक बड़ी ताकत बनकर उभरी

जिला पंचायत चुनाव के अब तक के नतीजों में सपा एक बड़ी ताकत बनकर उभरी है. और अयोध्या-मथुरा-काशी में बीजेपी की करारी हार योगी सरकार की नींद उड़ा दी है. वहीं, दूसरी ओर राज्य की राजनीति में ये सवाल भी उछाल दिया है कि, सूबे में लगभग अजेय नजर आ रही भाजपा के मुकाबले क्या समाजवादी पार्टी अपनी राजनीति की गति अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों तक बरकरार रख पाएगी?

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कोरोना का सितम, दिल्ली में मौतों का रिकॉर्ड टूटा, 24 घंटे में 448 ने तोड़ा दम

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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना के हालात अब पहले की तुलना में कुछ बेहतर हुए हैं, लेकिन मौत के आंकड़े डराने वाले हैं. दिल्ली में बीते 24 घंटे में जो आंकड़े सामने आए हैं, वह कुछ हद संतोषजनक कहा जा सकता है. बीते 24 घंटे में कोरोना के 18, 043 नए मामले सामने आए हैं. और 448 लोगों की मौत हुई है.

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24 घंटे में 20, 293 लोगों को किया गया डिस्चार्ज

अब दिल्ली में एक्टिव संक्रमित मरीजों की संख्या 89, 592 हो गई है. बीते 24 घंटे में 20, 293 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है. इस समय दिल्ली में 50, 441 लोग होम आइसोलेशन में अपना इलाज करा रहे हैं, जबकि बीते 24 घंटों में दिल्ली में कुल 61, 045 सैंपल की कोरोना जांच की गई है, वहीं मृत्यु दर अब 1.44 % पहुंच गई है. अगर पॉजिटिविटी रेट की बात करें तो वह रविवार से घटने लगा है. सोमवार को भी पॉजिटिविटी रेट 29.56 % था.

दिल्ली में कोरोना की रफ्तार कुछ हद काबू में

बता दें कि, दिल्‍ली में बीते रविवार को कोरोना के नए मामले में कमी आई थी, लेकिन मौत का आंकड़ा बीते कुछ दिनों से लगातार 400 के पार रह रहा है. पिछले दो सप्ताह में पहली बार रविवार को पॉ‌जिटिविटी रेट 30 प्रतिशत से नीचे आया था. रविवार को पॉजिटिविटी रेट 28.33% रहा. लॉकडाउन के बाद ऐसा पहली बार है जब पॉजिटिविटी रेट 30% के नीचे आया. हालांकि, पिछले रविवार को 407 लोगों ने इस संक्रमण के चलते दम तोड़ दिया.

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सीएम लगातार कोविड को लेकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं

सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने होम आइसोलेशन प्रणाली को और मजबूत करने के उद्देश्य से दिल्ली सचिवालय में समीक्षा बैठक की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को होम आइसोलेशन को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए.

कोरोना जांच का स्पष्ट रिकॉर्ड रखा जाए

सीएम अरविंद केजरीवाल ने निर्देश दिए कि, दिल्ली में प्रतिदिन हो रहे कोरोना जांच का स्पष्ट रिकॉर्ड रखा जाए. रिकॉर्ड में यह स्पष्ट किया जाए कि कितने लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और कितने लोग होम आइसोलेशन में घर पर ही अपना इलाज करा रहे हैं.

होम आइसोलेशन को लेकर सरकार ने दिए सख्त निर्देश

सीएम ने यह भी निर्देश दिया कि, होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे लोगों के पास हर हाल में 24 घंटे के अंदर डॉक्टर की कॉल चली जानी चाहिए, ताकि उनकी काउंसलिंग जल्द शुरू की जा सके. साथ ही जिन मरीजों के पास ऑक्सीमीटर नहीं है उन्हें किट के साथ ऑक्सीमीटर भी तत्काल मुहैया कराई जाए.

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अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे लोगों को दी जा रही सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि, होम आइसोलेशन में अपना इलाज करा रहे मरीजों की अच्छी देखभाल की जा रही है. और उनके स्वास्थ्य पर हर पल नजर रखी जा रही है.

नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, बिहार में 15 मई तक के लिए लगा लॉकडाउन

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पटना। बिहार में जारी कोरोना संकट के बीच 15 मई तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है. सरकार के तमाम दावों के बावजूद बिहार में कोरोना के प्रसार पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है, इस कारण खुद सरकार ने लॉकडाउन का फैसला लिया है. इसको लेकर सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट किया है.

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सीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी

सीएम ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, कल सहयोगी मंत्रीगण एवं पदाधिकारियों के साथ चर्चा के बाद बिहार में फिलहाल 15 मई, 2021 तक लाॅकडाउन लागू करने का निर्णय लिया गया। इसके विस्तृत मार्गनिर्देशिका एवं अन्य गतिविधियों के संबंध में आज ही आपदा प्रबंधन समूह को कार्रवाई करने हेतू निर्देश दिया गया है.

राज्य में लॉकडाउन लगाने की उठ रही थी मांग

बिहार में कोरोना से होने वाली मौत की संख्या में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है. ऐसे में कई समूहों व संगठनों से प्रदेश में लॉकडाउन की मांग उठाई जा रही थी. सोमवार को तो पटना हाईकोर्ट ने भी सरकार से पूछा कि, आखिर बिहार में कब लॉकडाउन लगाया जाएगा? जबकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी राज्य में लॉकडाउन लगाने की मांग की थी. इन परिस्थियों के बीच लॉकडाउन पर फैसला लिये जाने की संभावना थी.

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15 मई तक के लिए लगा लॉकडाउन

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में कोरोना छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में बेकाबू हो चुका है. राज्य में दिनों दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि, क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की इस बैठक में बिहार में 15 मई तक लॉकडाउन लगाने का फैसला किया है. हालांकि इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छूट जारी रहेगी.

कोरोना संक्रमण के 11 हजार से अधिक मामले सामने आए

बता दें कि, सोमवार को बिहार में कोरोना संक्रमण के 11407 नए मामले सामने आए. जबकि 82 मरीजों की मौत भी हुई. नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कोरोना के एक्टिव (सक्रिय) मरीजों की संख्या 1,07,667 पहुंच गई. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को राज्य में संक्रमण के 11,407 नए मामलों की पुष्टि हुई.

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राजधानी पटना में 2,028 नए संक्रमित मिले

राजधानी पटना में सर्वाधिक 2,028 नए संक्रमित मिले, जबकि गया में 662, बेगूसराय में 510, वैशाली में 1,035, पश्चिमी चंपारण 549 तथा मुजफ्फरपुर 653 नए कोरोना संक्रमित मिले. राज्य में एक दिन में कुल 72,658 नमूनों की जांच की गई.

रिजर्व बैंक ने ICICI बैंक पर लगाया इतने करोड़ रुपये का जुर्माना, जानिए आपके पैसे पर क्या पड़ेगा असर ?

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक पर 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि, यह जुर्माना 1 जुलाई 2015 को जारी मास्टर सर्कुलेशन- प्रूडेंशियल नॉर्म फॉर क्लासिफिकेशन वैल्यूएशन एंड ऑपरेशन ऑफ इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बाय बैक्स के जरूरी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के कारण लगाया गया है.

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केंद्रीय बैंक ने कहा कि, ये एक्शन रेगुलेटरी कंपल्यांस में गड़बड़ियों की वजह से लिया गया है.

इन प्रावधानों के तहत लगाया गया जुर्माना

आईरबीआई के मुताबिक, बैंक को सिक्योरिटीज को एक कैटेगरी से दूसरे कैटेगरी में शिफ्ट करने के मामले में रिजर्व बैंक के निर्देशों के उल्लंघन का दोषी पाया गया है. इस बीच, आईसीआईसीआई बैंक ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि, मई 2017 में कुछ निवेशों को एचटीएम श्रेणी से एएफएस श्रेणी में डालने पर बैंकिंग नियमन अधिनियम,1949 के प्रावधानों के तहत उस पर जुर्माना लगया गया है.

आईसीआईसीआई बैंक को जारी किया गया था नोटिस

रिजर्व बैंक ने कहा कि, स्पष्ट मंजूरी के बिना मई 2017 में दूसरी बार प्रतिभूतियों को दूसरी जगह पर डालना उसके निर्देशों का उल्लंघन है. इस मामले में आईसीआईसीआई बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

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बैंक पर नॉन-कप्लायंस आरोप सही- रिजर्व बैंक

नोटिस पर बैंक के जवाब और सुनवाई में दिए गए मौखिक जवाब के बाद रिजर्व बैंक ने यह फैसला लिया कि, बैंक पर नॉन-कप्लायंस आरोप सही है. बैंक पर पेनाल्टी लगाना चाहिए. मंगलवार को निफ्टी में आईसीआईसीआई बैंक के शेयर 3.75 अंक (0.62%) गिरकर 596.75 रुपए पर बंद हुए.

जानिए आपके पैसे पर पड़ेगा क्या असर ?

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि, बैंक में जमा किए गए ग्राहकों के पैसों पर कोई असर नहीं होने वाला. RBI के मुताबिक, बैंकों के खिलाफ लिया गया इस तरह का एक्शन नियामकीय अनुपालनों में कमियों पर आधारित है. इसका मकसद बैंकों और ग्राहकों के बीच किसी तरह के ट्रांजेक्शन या करार की वैधता पर फैसला देने का नहीं है.

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ऐसे में स्पष्ट है कि, इन इस बैंक के ग्राहकों के पैसों पर इस कार्रवाई का कोई असर नहीं पड़ने वाला है. यह बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किसी लेन-देन या समझौते की वैधता पर फैसला नहीं है.

#CoronaVirus: कई देशों से मदद आना जारी, 282 सिलेंडर, 60 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के साथ कुवैत से आई सप्लाई

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नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अलग-अलग देशों से मदद आना जारी है. इस बीच कुवैत ने भारत की मदद की है. भारत में कुवैत से 282 सिलेंडर, 60 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, वेंटिलेटर और अन्य मेडिकल सप्लाई वाली फ्लाइट मंगलवार सुबह आई.

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कुवैत ने भारत के लिए भेजी मदद

देश में बीते 1 हफ्ते से ज्यादा वक्त से 3 लाख से ज्यादा मामले आ रहे हैं. और हर रोज हजारों की मौत हो रही है. कहीं अस्पतालों में बेड नहीं है, तो कहीं ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हो रही है. इस बीच कुवैत ने भारत की मदद की है.

भारत के लिए 3 टैंक ले जाने के लिए रवाना जहाज

भारत में कुवैत के राजदूत ने जानकारी दी कि, आज एक जहाज भारत के लिए 3 टैंक ले जाने के लिए रवाना हुआ है. इसमें कुल 75 मीट्रिक टन गैस और 40 लीटर के 1000 गैस सिलेंडर और अन्य राहत सामग्री है.

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3500 वर्ग मीटर में बनाया गया ‘जीवोदय गोदाम’

बता दें कि, दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पिछले पांच दिनों में 25 उड़ानें 300 टन कोविड-19 राहत सामग्री लेकर पहुंची हैं. हवाई अड्डे के संचालक डेल्ही इंटरनेशल एयरपोर्ट लिमिटिड (डायल) ने सोमवार को एक बयान में बताया कि, हवाई अड्डे ने राहत सामग्री को अंतरिम रूप से रखने व वितरण करने के लिए 3500 वर्ग मीटर में ‘जीवोदय गोदाम’ बनाया है.

बयान के मुताबिक, 28 अप्रैल से दो मई के बीच, पांच दिनों में करीब 25 उड़ानें दिल्ली हवाई अड्डे पहुंची जिनमें करीब 300 टन सामान था.

इन देशों से भी आई मदद

बयान में बताया गया है कि, ये उड़ानें अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, थाइलैंड, जर्मनी, कतर, हांगकांग और चीन आदि जैसे विभिन्न देशों से आई थी. उसमें कहा गया है कि, अधिकतर राहत उड़ानों का संचालन भारतीय वायुसेना के विमानों ने किया है. जिनमें आईएल-76, सी-130, सी-130, सी-5, सी-17 शामिल हैं. बकौल बयान, ये उड़ानें 5500 ऑक्सीजन कंसंटेटर, 3200 ऑक्सीजन सिलेंडर, 9,28,000 से अधिक मास्क, 1,36,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर आई हैं.

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फाइजर ने सात करोड़ डॉलर की दवा दान की

दूसरी ओर वैश्विक दवा विनिर्माता फाइजर के चेयरमैन और सीईओ अल्बर्ट बूर्ला ने कहा कि कंपनी अपने अमेरिका, यूरोप और एशिया स्थित वितरण केंद्रों से सात करोड़ डॉलर (करीब 510 करोड़ रुपये) की दवाएं भारत के लिए भेज रही है.

 

देश में कोरोना से हाहाकार, 2 करोड़ के पार पहुंची मरीजोंं की संख्या

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नई दिल्ली। देश में कोरोना मरीजों की संख्या 2 करोड़ के पार हो गई. भारत ऐसा दूसरा देश है, जहां 2 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण का शिकार हुए हैं. पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना के 3 लाख 69 हजार 230 नए मामले सामने आए हैं. बीते 24 घंटे में 3,421 लोगों की कोरोना से जान गई है.

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2 करोड़ के पार पहुंचे मामले

संक्रमण की रफ्तार इतनी तेज है कि, महज 137 दिन में मामले एक करोड़ से 2 करोड़ के पार पहुंच गए. पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना के 3 लाख 69 हजार 230 नए मामले सामने आए हैं. वहीं, सोमवार को 2.99 लाख लोग ठीक भी हुए हैं.

देश में कोरोना की ताजा स्थिति

  • कुल कोरोना केस- दो करोड़ 2 लाख 82 हजार 833
  • कुल डिस्चार्ज- एक करोड़ 66 लाख 13 हजार 292
  • कुल एक्टिव केस- 34 लाख 47 हजार 133
  • कुल मौत- 2 लाख 22 हजार 408

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 2 करोड़ 2 लाख 75 हजार 543 पर पहुंच गई है, जो संक्रमण के कुल मामलों का 17.13 प्रतिशत है.

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अब तक 1.62 करोड़ लोग वायरस को मात देकर ठीक हुए

देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2 लाख 22 हजार 666 हो गई है. अब तक 1.62 करोड़ लोग इस वायरस को मात देकर ठीक हो चुके हैं. कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 34 लाख 44 हजार 548 हो गई है.

मौतों में भारत ने मैक्सिको को पीछे छोड़ा

सबसे ज्यादा मौतों वाले देशों में भारत मैक्सिको को पीछे छोड़कर तीसरे नंबर पर आ गया है. यहां अब तक 2 लाख 18 हजार 945 लोग दम तोड़ चुके हैं. इस मामले में अमेरिका पहले नंबर पर है. यहां 5.92 लाख और ब्राजील में 4.07 लाख मौतें हो चुकी हैं. चौथे नंबर पर पहुंचे मैक्सिको में अब तक 2.17 लाख मौतें दर्ज की गई हैं.

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12 राज्यों में सबसे ज्यादा एक्टिव केस, डेथ रेट 1% के आसपास

स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने बताया कि देश में 12 राज्य ऐसे हैं, जहां एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं. सात राज्यों में 50 हजार से एक लाख के बीच और 17 राज्यों में 50 हजार से भी कम एक्टिव केस है. उन्होंने बताया कि देश में कोरोना से डेथ रेट 1% के आसपास है. दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में केस कम हो रहे हैं. महाराष्ट्र में 12 जिलों में नए केसों में कमी आई है.

अब तक 81.77% मरीज ठीक हो चुके

लव अग्रवाल ने कहा कि, देश में एक और पॉजिटिव ट्रेंड है. देश में अब तक 81.77% मरीज ठीक हो चुके हैं. रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है. 2 मई को यह 78% था. 3 मई को 82% हो गया.

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क्या है सऊदी क्रांउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान का विजन 2030 और इसमें शियाओं का योगदान, पढ़िए उनके इंटरव्यू की खास बातें

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खुर्शीद अहमद


पिछले सप्ताह सऊदी पत्रकार अब्दुल्ला अल-मुदिफर के साथ अपने साक्षात्कार के दौरान, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा: “जब हम एक निश्चित स्कूल या विद्वान के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हैं, तो इसका मतलब है कि हम इंसानों को बदनाम कर रहे हैं. सर्वशक्तिमान ईश्वर ने स्वयं और लोगों के बीच एक बाधा नहीं डाली. उन्होंने कुरान और पैगंबर (उस पर शांति) का खुलासा किया. और इसे लागू किया, व्याख्या के लिए स्थान स्थायी रूप से खुला है.”

ये शब्द मॉडरेशन की अवधारणा के प्रति क्राउन प्रिंस के दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं और धार्मिक प्रवचन जिसे वे स्थापित करना चाहते हैं-“संप्रदायवादी बहुलवाद” पर आधारित एक प्रवचन और विविध इस्लामी समुदायों के लिए सम्मान.

सऊदी अरब में चार मुख्य सुन्नी मुस्लिम संप्रदाय हैं. जिनमें हनबली, हनफी, शफी और मलिकी शामिल हैं, जो सूफी विधियों को भूल गए हैं. तीन मुख्य शिया मुस्लिम संप्रदाय भी हैं: जाफरी, इस्माइली और जैदी. इस संप्रदायवादी बहुलवाद के परिणामस्वरूप व्यापक सिद्धांत और हठधर्मिता न्यायशास्त्र है, जो हार्ड-लाइनर्स को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि “शुद्ध इस्लाम” का एक भी दृष्टिकोण लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. ताज के राजकुमार ने इसे खारिज करते हुए कहा: “विचार के कोई निश्चित स्कूल नहीं हैं और कोई अचूक व्यक्ति नहीं है. हमें कुरान, ग्रंथों की निरंतर व्याख्या में संलग्न होना चाहिए और वही पैगंबर की सुन्नत के लिए जाता है.”


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मुकुट राजकुमार समझता है कि कट्टरता समाज की प्रगति के लिए एक बड़ी बाधा है, और यह कि विजन 2030 को कट्टरता से दूर एक प्रबुद्ध, उदार और सामाजिक वातावरण की आवश्यकता है. इसलिए, अपने साक्षात्कार में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “हम विकास नहीं कर सकते, हम पूंजी को आकर्षित नहीं कर सकते हैं. हमारे पास पर्यटन नहीं हो सकता है. हम सऊदी अरब में इस तरह की चरमपंथी सोच के साथ प्रगति नहीं कर सकते हैं.”

मॉडरेशन और संप्रदायवादी बहुलवाद एक अस्थायी कार्य नहीं है, लेकिन किंगडम के विजन 2030 का एक स्तंभ और प्रबुद्धता प्रक्रिया का हिस्सा है. सऊदी अरब के विविध इस्लामी संप्रदायों के अनुयायियों में इस साहसिक दृष्टिकोण को सकारात्मक रूप से प्रतिबिंबित किया गया है. वे हार्ड-रीली मौलवियों के डर के बिना, अपने अनुष्ठानों का अधिक स्वतंत्र रूप से अभ्यास कर रहे हैं.

उदाहरण के लिए, अगर हम सऊदी शियाओं को लेते हैं, तो वे अपने सबसे शानदार ऐतिहासिक चरणों का गवाह बनते हैं, जब राज्य को कानून के बल पर रोक दिया जाता है, तो उनके खिलाफ भड़काने वाले काम या मस्जिदों या बर्बरता, जो लक्ष्य थे एक से बढ़कर एक दहशतगर्द आतंकवादी हमले.


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साम्राज्य में शिया आज खुद को “संप्रदाय” के रूप में पेश करते हैं, न कि “शियाओं” को, अपने संप्रदायवादी पहचान को छुपाये बिना. इसका मतलब है कि राष्ट्रीय पहचान स्पष्ट हो गई है और उनके लिए गर्व का स्रोत है. वे उन समस्याओं को हल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जो 2011 में पूर्वी क्षेत्र में प्रदर्शनों के बाद, विशेष रूप से कातिफ शासन, और कुछ ही समय बाद सशस्त्र प्रकोष्ठों द्वारा शुरू किए गए आतंकवादी अभियानों के लिए. ये अराजकता का कारण बने और अधिकांश नागरिकों, धार्मिक विद्वानों और बुद्धिजीवियों द्वारा निंदा की गई. सुरक्षा बनाए रखने के महत्व में उनकी धारणा से बाहर और यह कि हथियार राज्य के नियंत्रण से बाहर नहीं होने चाहिए.

अप्रैल 2018 में द जेफरी गोल्डबर्ग में द अटलांटिक के संपादक के साथ अपने साक्षात्कार के दौरान, ताज राजकुमार ने जोर देकर कहा कि “शिया सामान्य रूप से सऊदी अरब में रह रहे हैं. हमें शियाओं और शियावाद से कोई समस्या नहीं है. ‘उस समय उनके साक्षात्कार को व्यापक रूप से ध्यान मिला, क्योंकि उन्होंने शिया नागरिकों के बारे में खुलकर और पारदर्शी तरीके से बात की थी. यह देखते हुए कि “आपको मंत्रिमंडल में एक शिया मिल जाएगा. आप सरकार में शियाओं को पाएंगे. सऊदी अरब में सबसे महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय शिया के नेतृत्व में है. इसलिए हम मानते हैं कि हम मुस्लिम स्कूलों और संप्रदायों का मिश्रण हैं.”


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यह “सांप्रदायिक विविधता” है कि जिस राजकुमार के बारे में बात की गई थी. वो सऊदी समाज की शक्ति का एक प्रमुख स्तंभ है. जिसे हार्ड-लाइनर्स मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. मार्च 2018 में मिस्र के कई मीडिया आंकड़ों के साथ एक बैठक के दौरान, ताज राजकुमार को अल-मैसी अल-यूएम अखबार ने यह कहते हुए उद्धृत किया था: “मेरे पास शिया दोस्त हैं, नेतृत्व के पदों पर शिया हैं. और कई नेताओं के नेता हैं किंगडम की दिग्गज कंपनियां शिया हैं.”

NEOM को सऊदी अरब और पूरी दुनिया में अग्रणी परियोजनाओं में से एक माना जाता है. परियोजना की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नधमी अल-नस्र हैं, जिन्होंने तेल दिग्गज अरामको में कई वर्षों तक काम किया. और बादशाह अब्दुल्ला द्वारा किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई, जो किंगडम के सबसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्रों में से एक है.

अल-नस्र सायत से एक सऊदी शिया राष्ट्रीय है. उन्होंने कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया है. इसलिए नहीं कि वह शिया हैं, बल्कि अपने अनुभव और योग्यता के कारण. अल-नस्र की नियुक्ति एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश था: यह दक्षता एकमात्र और एकमात्र आवश्यकता है कि सऊदी नेतृत्व नागरिकों के बीच अंतर नहीं करता है. और यह कि सभी सिद्धांतों का सम्मान किया जाता है.

किंगडम की मुख्य आर्थिक कंपनी अरामको का नेतृत्व अमीन नासर कर रहे हैं. वह पूर्वी तट पर स्थित सफवा का एक सऊदी नागरिक है, जहां उनके रिश्तेदार अभी भी रहते हैं. नासिर की शिया पृष्ठभूमि है और वह एक ऐसे शहर से हैं, जहां सुन्नी और शिया दशकों तक साथ रहे हैं. ताज राजकुमार संप्रदाय बहुलतावाद और विविध इस्लामी समुदायों के प्रति सम्मान के आधार पर एक प्रवचन स्थापित करना चाहते हैं.


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हसन अल-मुस्तफा पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड, जिसके बोर्ड की ताजपोशी राजकुमार द्वारा की जाती है, ने जनवरी में फहद अल-सैफ को कॉर्पोरेट फाइनेंस का प्रमुख नियुक्त किया. अल-सैफ एक प्रमुख सऊदी विचारक डॉ. तौफीक अल-सैफ के रिश्तेदार हैं, जिन्होंने धार्मिक प्रवचन में सुधार और राज्य और स्वतंत्रता की अवधारणा को विकसित करने पर कई किताबें प्रकाशित की हैं.

इसके अलावा, सऊदी लेखक और शोधकर्ता कामेल अल-खती को कतीफ में अकाफ विभाग और इस्लामिक इनहेरिटेंस विभाग में एक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है. विभाग की न्यायिक प्रणाली को विकसित करने और इसे परिष्कृत शरीर में बदलने की दिशा में अपनी शक्तियों का विस्तार करने के साथ नागरिकों की सेवा करता है, उच्च दक्षता के साथ.

ये सऊदी आंकड़ों के उदाहरण हैं, जो सुधार प्रक्रिया में योगदान करते हैं. एक राष्ट्रीय प्रवचन को अपनाते हैं. और मानते हैं कि वे “सऊदी पहले” हैं, जिसने उन्हें पूरे राज्य में व्यापक रूप से सम्मानित किया है.


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सऊदी शियाओं के बीच सकारात्मक बदलाव मुकुट राजकुमार के विचारों की प्रभावशीलता के दर्जनों उदाहरणों में से एक हैं. और वे सिर्फ नारे नहीं हैं, बल्कि व्यावहारिक कार्यक्रम हैं जो दिन पर दिन सच होते हैं.

अर्थव्यवस्था को विकसित करने के अलावा, आय के स्रोतों में विविधता लाने और बेरोजगारी दरों को कम करने के लिए, विज़न 2030 को पूरा करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात एक समावेशी सऊदी राष्ट्रीय पहचान बन सकती है. एक आधुनिक उदार नागरिक पहचान जो स्वतंत्र रूप से और बिना किसी भय के दुनिया के साथ बातचीत करती है.

(हसन अल-मुस्तफा एक सऊदी लेखक और शोधकर्ता हैं जो इस्लामिक आंदोलनों, धार्मिक प्रवचन के विकास और खाड़ी सहयोग परिषद के राज्यों और ईरान के बीच संबंधों में रुचि रखते हैं. खुर्शीद अहमद ने उनके अरबी आलेख का अनुवाद करते हुए ये विष्लेषण किया है.)

अमेरिका और ब्रिटेन ने भारत में भेजी ऑक्सीजन, हरियाणा में लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों से लगवाई बैठकी

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द लीडर : विश्व के दूसरे सबसे बड़े ऑक्सिजन उत्पादक भारत में दुनिया भर से ऑक्सिजन भेजी जा रही है. मंगलवार को अमेरिका से ऑक्सिजन के 545 कंसट्रेटर भारत पहुंचे हैं. जबकि ब्रिटेन से 450 कंसट्रेटर चेन्नई आए हैं. इसी तरह संयुक्त अरब अमीरात समेत अन्य देश पहले ही भारत की मदद को हाथ बढ़ा चुके हैं. भारत में ऑक्सिजन के संकट के कारण बड़े पैमाने पर लोगों की मौतें हो चुके हैं. अस्पतालों में अभी भी ऑक्सिजन की किल्लत बनी है.

कोरोना की दूसरी लहर देश पर आफत बनकर छाई है. रोजाना कोरोना के तीन लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. इसलिए राज्यों में अब ज्यादा सख्ती बरती जाने लगी है. मध्यप्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य में कोरोना कर्फ्यू लागू है. हरियाणा में लॉकडाउन के उल्लंघन पर पुलिस ने सख्ती बरतते हुए उठा बैठक लगवाई हैं.

यूपी में ज्यादा कड़ाई की उम्मीद

यूपी में पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं. और परिणाम भी जारी हो गया है. इससे गांवों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में ये संभावना जताई जा रही है कि यूपी में कोरोना कर्फ्यू का अब ज्यादा कड़ाई से पालन कराया जाएगा.


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छत्तीसगढ़ में हवाई यात्रा से आने वाले यात्रियों को अब अपनी आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव दिखाने पर ही यात्रा का मौका मिलेगा. संक्रमण के फैलाव के मद्देनजर राज्य सरकार ने ये फैसला किया है. जो मंगलवार से लागू हो गया है.

एअरलिफ्ट कर दिल्ली ले जाते समय बरेली के एसडीएम की मौत, कोरोना के थे लक्षण

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द लीडर : बरेली के नवनियुक्त एसडीएम सदर डॉ प्रशांत कुमार आखिरकार कोरोना से जिंदगी की जंग हार गए. एयर एम्बुलेंस से दिल्ली ले जाते वक्त उन्होंने दम तोड़ दिया.

कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उनकी हालत निरंतर बिगड़ रही थी. वह श्रीराम मूर्ति मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे. सर गंगाराम हॉस्पिटल ले जाने के लिए दो दिन से एयर एंबुलेंस नहीं मिल रहीं थीं. सोमवार को उनको एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया मगर रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.

डॉ प्रशांत 2020  बैच के पीसीएस अधिकारी थे. बरेली में उनकी पहली पोस्टिंग हुई थी वह एसडीम सदर पद पर तैनात थे.

बताया जा रहा है कि डॉ प्रशांत मैं कोविड-19 के लक्षण थे मगर उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही थी.

हालत बिगड़ने पर उन्हें बरेली के श्री राम मूर्ति मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था जहां उनका इलाज चल रहा था मगर इसके बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था.

हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए एयर एंबुलेंस की मांग की गई थी. सोमवार को एयर एंबुलेंस से उन्हें दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा था मगर रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.

डॉ प्रशांत की मौत पर बरेली के प्रशासनिक अमले मैं हड़कंप मच गया. पीसीएस अधिकारी की मौत पर शासन ने दुख व्यक्त किया है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीसीएस अधिकारी डॉ प्रशांत कुमार की कोविड-19 से मौत पर शोक व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री कार्यालय के ऑफिशियल टि्वटर अकाउंट से मुख्यमंत्री का शोक संदेश भी जारी किया गया है इसने सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीसीएस अधिकारी की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है.

डॉ. प्रशांत कुमार मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले थे. उनके पिता धर्मवीर सिंह बरेली जिले में एडीजी रह चुके हैं. वे अपने पीछे परिवार में पत्नी प्रीति मिश्रा और एक साल बेटेे को छोड़ गए.

प्रदेश में मुफ्त वैक्सीन को लेकर युवाओं में खुशी, बोले- थैंक्यू योगी जी

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लखनऊ। देश के कई हिस्सों में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान का तीसरा चरण शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश में भी 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को  योगी सरकार मुफ्त में वैक्सीन का डोज मुहैया करा रही है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दे रहे हैं।

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कानपुर में वैक्सीन की पहली डोज लेकर आई शगुफ्ता ने कहा कि, वो प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देना चाहती हैं, जिन्होंने प्रदेश के युवाओं के लिए मुफ्त वैक्सीनेशन की व्यवस्था की है।

मुफ्त वैक्सीन के लिए धन्यवाद योगी जी

दरअसल, उत्तर प्रदेश के सात जिलों में वैक्सीनेशन के तीसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है। इन सात जिलों में 85 केंद्र बनाए गए हैं, जहां 18 वर्ष से अधिक वाले लोग जाकर वैक्सीन का डोज लगवा सकते है। इसी क्रम में प्रदेश के युवाओं का केंद्रों पर पहुंचना शुरु हो गया है। शगुफ्ता की तरह ही कानपुर के रहने वाले अरुणेंद्र तिवारी ने कहा कि, कोरोना वायरस से बचने का एक मात्र उपाय वैक्सीनेशन है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने हमारे जैसे युवाओं को मुफ्त में वैक्सीन दिए जाने का फैसला किया है। इसके लिए मैं धन्यवाद कहता हूं।

युवाओं ने की प्रदेश सरकार के कदमों की सराहना

वहीं वैक्सीन की पहली डोज लेकर आए प्रभात दीक्षित ने प्रदेश सरकार द्वारा कोविड को लेकर उठाए गए कदमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि, सरकार ने वैक्सीनेशन अभियान का तीसरा चरण शुरु किया है। ऐसे में प्रदेश के युवाओं बढ़चढ़ इन चरण का प्रतिभागी बनना चाहिए और वैक्सीन की डोज लेनी चाहिए।

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वैक्सीन से किसी तरह की कोई समस्या नहीं हुई

ऐसे ही कानपुर के अमित मिश्रा ने बताया कि, उन्होंने वैक्सीन की पहली डोज ले ली है और उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि, प्रदेश और समाज तभी सुरक्षित होगा जब सभी लोग वैक्सीनेशन अभियान से जुड़कर वैक्सीन लगवाएंगे।

वैक्सीनेशन अभियान को लेकर युवाओं में जोश

वहीं अपर मुख्य सचिव स्वास्थ अमित मोहन ने बताया कि, प्रदेश में शनिवार से शुरु हुए 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन अभियान में युवाओं में काफी जोश देखने मिला है। अगले हफ्ते प्रतिदिन 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों का टीकाकरण सात जनपदों में कराया जाएगा।

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प्रदेश में 1 करोड़ 27 लाख से ज्यादा को दी गई डोज

वहीं अब तक प्रदेश में एक करोड़ तीन लाख 54 हजार 904 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज और 23 लाख 74 हजार 880 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है। इस तरह प्रदेश में कुल 1 करोड़ 27 लाख 29 हजार 784 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है।