आज के दिन शहंशाह अकबर ने बैन कर दी थी जजिया कर वसूली

0
1502

मुगल सल्तनत का सबसे मशहूर शहंशाह, जिसने हिंदुस्तान की नब्ज को समझा और जिम्मेदारी के साथ निभाने की कोशिश की। जिसके किस्सों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि किवदंतियों की शक्ल में छोटे बच्चे तक जानते हैं। मुगल बादशाह अकबर का जन्म 25 अक्टूबर 1942 को उमरकोट में हुआ था और इंतकाल फतेहपुर सीकरी में 27 अक्टूबर 1605 को हुआ। (Emperor Who Prohibited Jaziya)

14 फरवरी को महज 13 साल की उम्र में शहंशाह के तख्त पर ताजपोशी हुई। इसके बाद जो हुआ, वह हिंदुस्तान के इतिहास का अहम हिस्सा है। उस दौर का भूमि बंदोबस्त आज भी पुराने रिकॉर्ड जांचने के काम आता है।

यहां बात हो रही है शहंशाह अकबर की। काफी कम उम्र में उनकी ताजपोशी के पीछे खास वजह रही। दरअसल, दिल्ली पर दोबारा 1555 में अधिकार करने के कुछ महीने 48 साल की उम्र में ही अकबर के पिता हुमायूं का आकस्मिक निधन नशे की हालत में पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरने के कारण हो गया।

हुमायूं के खास सिपहसालार बैरम खां ने साम्राज्य के हित में इस मृत्यु को कुछ समय तक छुपाए रखा और इस बीच अकबर को उत्तराधिकार के लिए तैयार किया। इसके बाद, 14 फ़रवरी 1556 को 13 वर्षीय अकबर का कलनौर, पंजाब में सुनहरे वस्त्र तथा एक गहरे रंग की पगड़ी में एक बने मंच पर राजतिलक हुआ। यह सब मुगल साम्राज्य से दिल्ली की गद्दी पर सिकंदर शाह सूरी से चल रहे युद्ध के दौरान ही हुआ। (Emperor Who Prohibited Jaziya)

वयस्क होने तक अकबर का राजकाज बैरम खां के संरक्षण में चला। मुगल साम्राज्य तब काबुल से दिल्ली तक था। ताजपोशी के दस साल बाद 1566 में एक जानलेवा हमले से उबरने पर अकबर ने शासन की बागडोर पूरी तरह अपने हाथ में ले ली। फिर अकबर ने अपने राज्य का विस्तार करना शुरू किया।

गुजरात को 1572 में, बंगाल को 1574 में, काबुल को 1581 में, कश्मीर को 1586 में और खानदेश को 1601 में मुग़ल साम्राज्य के अधीन कर लिया। अकबर ने इन राज्यों में एक-एक राज्यपाल नियुक्त किया। दिल्ली जगह मुग़ल राजधानी को फतेहपुर सीकरी ले जाया गया, जो साम्राज्य के बीच में थी।

कुछ ही समय के बाद अकबर को राजधानी फतेहपुर सीकरी से हटानी पड़ी। कहा जाता है कि पानी की कमी ऐसा करने की वजह बनी। फतेहपुर सीकरी के बाद अकबर ने एक चलित दरबार यानी ‘मोबाइल कोर्ट’ बनाया जो कि साम्राज्यभर में घूमता रहता था। इस तरह साम्राज्य के सभी कोनों पर बराबर का ध्यान देना संभव हो पाया।

सन 1585 में उत्तर पश्चिमी राज्य के सुचारू प्रशासन के लिए अकबर ने लाहौर को राजधानी बनाया। अपनी मृत्यु के पहले अकबर ने सन 1599 में वापस आगरा को राजधानी बनाया और आखिर तक यहीं से शासन संभाला। (Emperor Who Prohibited Jaziya)

अकबर ने आमेर के शासकों से समझौता कर राजपूत राजाओं, ईरान से आने वालों को मदद देकर और कुशल बर्ताव से भारतीय मुसलमानों को साथ ले लिया। यही नहीं, धार्मिक सहिष्णुता की मिसाल पेश की – 1563 में हिंदू तीर्थ स्थानों पर लगा जज़िया कर हटा लिया। जबर्दस्ती युद्धबंदियों का धर्म बदलवाना भी बंद करवा दिया।

हिंदू राजकुमारियों के मुस्लिम राजाओं से विवाह प्रकरण अकबर के समय से पहले काफी हुए थे, लेकिन ज्यादातर मामलों में दोनों परिवारों के आपसी संबंध अच्छे नहीं रहे और न ही राजकुमारियां कभी वापस लौट कर घर आईं। (Emperor Who Prohibited Jaziya)

अकबर ने इस मुश्किल को भी हल करने की कोशिश की। हिंदू परिवारों से आईं रानियों के भाइयों या पिताओं को शादी के बाद मुस्लिम ससुराल वालों जैसा ही सम्मान मिला दिया, सिवाय उनके संग खाना खाने और इबादत करने के।

कई राजपूतों को रिश्तेदारी के बाद अकबर के दरबार में अच्छे स्थान मिले। दरबार के प्रमुख लोगों में कई भरोसेमंद लोगों में हिंदू रहे। कुछ राजपूत राजा ऐसे भी रहे, जिन्हाेंने विवाह प्रस्ताव नहीं स्वीकारा, फिर भी उनको राज्य देकर सम्मानित किया गया।

दरबार के हिंदू और मुस्लिम दरबारियों के बीच संपर्क बढ़ने से आपसी विचारों का आदान-प्रदान हुआ और दोनों धर्मों में सौहार्द और समभाव बढ़ा। (Emperor Who Prohibited Jaziya)

राजपूत मुगलों के सर्वाधिक शक्तिशाली सहायक बने, राजपूत सैन्याधिकारियों ने मुगल सेना में रहकर अनेक युद्ध किए और जीते। धार्मिक सहिष्णुता की नीति ने शाही प्रशासन में सभी के लिए नौकरियों और रोजगार के अवसर खोल दिए, जिससे अकबर का प्रशासन मजबूत होता चला गया।


यह भी पढ़ें: धार्मिक बंटवारे से फैलेगी अराजकता, देश को एकजुट रखेगी अकबर की सुलेह-ए-कुल नीति : जस्टिस काटजू


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here