मुसलमानों का ये कारोबारी समुदाय, जो यहूदियों की तरह वैश्विक कारोबार पर अपनी छाप छोड़ रहा

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Business Community Hazrami Jews

खुर्शीद अहमद


आज जब विश्व व्यापार की बात होती है तो हमें सबसे आगे यहूदी नज़र आते हैं. वह बिजनेस में छाए हुए हैं. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था बनाते बिगाड़ते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमेशा ऐसा नहीं था. मुसलमानों में भी एक कम्युनिटी है, जिसने 500 वर्षों से अधिक विश्व व्यापार पर राज किया है. अफ्रीका, मध्यपूर्व, भारतीय उपमहाद्वीप और पूर्वी एशिया के देशों के बाज़ार पर इनका दबदबा कायम था. इन्हीं के दम से देशों की अर्थव्यवस्थाएं बनती बिगड़ती थीं. (Business Community Hazrami Jews )

कुछ राजनीतिक कारणों और कुछ दूसरी वजहों से यह लोग पीछे हो गए. लेकिन एक बार फिर हालात ने पलटा खाया है. और यह कम्युनिटी अपने पुराने स्थान को वापस पाने की ओर आगे बढ़ रही है. इस कम्युनिटी का नाम हज़रमी है. इनका संबंध दक्षिण यमन के राज्य हज़र मौत से है. पर यह लोग यमन से निकलकर पूरी दुनिया में फैल गए थे. और व्यापार जगत में अपना झंडा फहरा दिया था. ब्रुनेई के सुल्तान, सिंगापुर व इंडोनेशिया का अल सक़्क़ाफ परिवार, मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री अब्दुल्लाह बदवी, सऊदी अरब की अल अस्साफ फैमली, बिन लादेन परिवार अल कोसैरी परिवार और अफ्रीका के बड़े बैंकर अल अमूदी परिवार का संबंध हज़रमी लोगों से है.


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यहूदियों के विपरित यह जहां गए स्थानीय लोगों में घुल मिल गए. शादी ब्याह किया. और वहीं के हो कर रह गए. स्पेन में मुस्लिम हुकुमतों के समय इन्होंने काफ़ी तरक्की की. व्यापार के साथ साथ इल्म व सकाफत (शिक्षा व सभ्यता ) के क्षेत्र में भी अपनी हैसियत मनवाई. मशहूर इतिहासकार व समाज शास्त्र के संस्थापक इब्ने खल्दून भी हज़रमी थे.

इसी तरह इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और ब्रुनेई में इस्लाम फैलाने में इन हज़रमी व्यापारियों का हाथ था. ऐसा कहा जाता है कि इन देशों में इस्लाम 9 वलियों (सूफियों) ने फैलाया. यह 9 लोग एक ही परिवार से थे. और हज़रमी थे.


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भारत में भी यह लोग आठवीं शताब्दी में ही आ गए थे. और अरब सागर के किनारे-किनारे इन्होंने अपनी बस्तियां बसा ली थीं. यहां से अफ्रीकी देशों तक कारोबार करते थे. गुजरात के भरूच महाराष्ट्र के थाना व कोंकण कर्नाटक के भटकल क्षेत्र और केरल के कालीकट में यह आबाद हुए. यहां व्यापार किया और यहीं के होकर रह गए. इस तरह कि आज इन्हें पहचान पाना मुश्किल है. भटकल में हजरमियों का अल नवाइत परिवार आबाद हुआ. आज भी वहां अल नवाइत हैं.

जिन के कारोबार यूएई तक फैले हुए हैं. शेरे मैसूर टीपू सुल्तान भी अलनवाइत थे. इस समय लगभग ढाई करोड़ हज़रमी इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, सिंगापुर, फिलिपींस, मालदीव, किनिया, तंजानिया, सोमालिया, सऊदी अरब और यूएई में फैले हुए हैं.

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