मदीना में सिनेमाघर खोलने से नाराज भारत के मुसलमान, 23 को मुंबई में रजा एकेडमी का प्रोटेस्ट

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Indian Muslims Madina Cinema
मदीना में सिनेमाघर खोले जाने के फैसले पर विरोध दर्ज कराने को लेकर बैठक करते रजा एकेडमी के पदाधिकारी.

द लीडर : सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की अगुवाई में सऊदी अरब तमाम आधुनिक तौर-तरीके अपना रहा है. करीब 38 साल बाद दोबारा सिनेमाघर खोले जा रहे हैं. इसको लेकर भारत में हंगामा बरपा है. भारतीय मुस्लिम संगठन सऊदी सरकार के इस फैसले से नाराज हैं. खासतौर से मदीना में सिनेमाघर खोलने को लेकर, जोकि दुनियाभर के मुसलमानों की अकीदत का सबसे पवित्र स्थान है. (Indian Muslims Madina Cinema)

सऊदी में 1983 से 2018 तक आई-मैक्स का एकमात्र थियेटर खोबर में रहा है. सरकार की इजाजत पर 18 अप्रैल 2018 को रियाद में पहला सिनेमाघर खोला गया. इसकी स्थापना के साथ ही एएमसी ग्रुप ने पांच सालों में 40 सिनेमाघर खोलने की योजना बनाई. सरकार को उम्मीद है कि 2030 तक सऊदी में 300 थिएटर हो जाएंगे.

भारतीय मुसलमान सऊदी सरकार से मदीना में सिनेमाघर न खोलने की गुजारिश कर चुके हैं. इसी को लेकर मुंबई की रजा एकेडमी ने 23 सितंबर को विरोध-प्रदर्शन की रणनीति बनाई है. उसी दिन सऊदी डे भी है.

प्रोटेस्ट को लेकर रजा एकेडमी के अध्यक्ष सईद नूरी ने उलमा और मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बैठक की है. इसमें कहा गया कि सऊदी हुकूमत दुनिया के 200 करोड़ मुसलमानों के जज्बात को महसूस करे. और एक मुक़द्​दस जगह को नापाक करने का इरादा छोड़ दे.


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सईद नूरी ने कहा कि, हरमैन शरीफेन में सिनेमाघरों की इजाजत नहीं दी जा सकती है. मक्का और मदीना से केवल सऊदी नहीं बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों की अकीदत जुड़ी है. हरमैन के सेवक का मतलब, हाकिम नहीं होता है.

सऊदी सरकार इसका ख्याल रखे. उसे इन मुकद्​दस जगहों की खिदमत यानी सेवा करने का मौका हासिल हुआ है. ये उसकी खुशकिस्मती है. अगर सऊदी अमेरिका और इजरायल को खुश करने के लिए इन पाक जगहों का तमाशा बनाएगा, तो इस हरकत को मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. (Indian Muslims Madina Cinema)

मौलाना महमूद आलम राशिदी ने कहा कि इस्लाम-कुरान व हदीस में उम्मत को बचाने का फरमान है. गाना-बजाना, तमाशा. इसकी सख्ती से मनाही है. इसके बावजूद सऊदी सरकार इसे बढ़ावा दे रही है. इस्लाम विरोधी ताकतें उसे जो हुक्म देती हैं, वो उसे करने में जुट जाता है.द्

1970 तक आबाद रहे कई थियेटर

सऊदी अरब में 1970 तक तमाम थियेटर हुआ करते थे. जो सांस्कृतिक नियमों का पालन करते थे. उस वक्त तक वहां के थियेटरों को गैर-इस्लामिक घोषित नहीं किया गया था. 1980 में मक्का, जद्​दाह समेत अन्य जगहों पर कुछ आधुनिक थियेटर स्थापित हुए.

जहां भारतीय, तुर्किश फिल्में सरकार के बिना हस्तक्षेप के ऑन स्क्रीन होती रहीं. इसी वक्त थियेटर और फिल्मों को लेकर सऊदी में विरोध बढ़ चला. और ये इस्लामिक पुनरुथान आंदोलन में बदल गया.

बढ़ते राजनीतिक दबाव के बाद आखिरकार सरकार को थियेटर बंद करने का फैसला लेना पड़ा. तब से सऊदी में सिनेमाघर-थियेटर बंद थे. जिन्हें प्रिंस सलमान ने दोबारा खोलने की इजाजत दी है. (Indian Muslims Madina Cinema)

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