द लीडर। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद जैसे अफगानिस्तान में तालिबान ने अपने कानून लागू कर दिए है ठीक वैसे ही अब पाकिस्तान भी तालिबान के नक्शे कदम पर शरिया कानून लागू करने जा रहा है। बता दें कि, अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान के कब्जे के पहले और बाद से उसके मुरीद बने पाकिस्तान पीएम इमरान खान तालिबानी तरीके से ही अपने देश में भी इस्लाम का शरिया कानून लागू करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पहल भी कर दी है। रविवार को इमरान खान ने रहमतुल लील आलमीन अथॉरिटी के गठन की घोषणा की है। इमरान खान ने इसका उद्देश्य भी बताया है। उन्होंने कहा है कि, इस अथॉरिटी का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की शिक्षा प्रणाली को शरिया कानून के अनुसार बनाना है। इस फैसले से इमरान ने अपने मंसूबों को स्पष्ट कर दिया है कि वो देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।
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पाक में औपचारिक तरीके से तालिबानी कानून की बुनियाद रखी
इमरान खान सरकार के इस फैसले को लेकर कहा जा रहा है कि, पाकिस्तान में भी औपचारिक तरीके से तालिबानी कानून की बुनियाद रख दी है। पीएम इमरान खान ने कहा कि, यह विभाग अध्ययन करेगा कि, कोई पैगंबर के जीवन से किस तरह सीख सकता है। इमरान खान ने इस्लामाबाद में अशरा-ए-रहमत-उल-लिल-अलामिन सम्मेलन को संबोधित किया और इस दौरान उन्होंने कहा कि इस नई अथॉरिटी में विद्वानों को शामिल किया जाएगा और इनको इस बात पर शोध करने का काम सौंपा जाएगा कि बच्चों और वयस्कों के बीच पैगंबर की शिक्षाओं को कैसे फैलाया जाए। साथ ही दुनिया को यह बताना होगा कि असल में इस्लाम क्या है? पाक पीएम इमरान खान ने कहा कि, इस अथॉरिटी के जरिए स्कूलों के पाठ्यक्रम की निगरानी की जाएगी। साथ ही अथॉरिटी का हिस्सा होने वाले विद्वान ये हमें बताएंगे कि क्या पाठ्यक्रम को बदलने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि कि इस अथॉरिटी के जरिए दूसरे धर्मों की भी शिक्षा दी जाएगी।
इस्लाम शांति और इंसानियत का मजहब है…
इमरान ने आगे कहा कि, मैं खुद मेंटर बनूँगा, मगर हमने एक ऐसे शख्स की तलाश शुरू कर दी है जिसने तफ़सीर की किताबें लिखी हों, जिसकी इस्लाम पर पकड़ हो और वह एक विद्वान हो। इमरान ने कहा कि, उनके ऊपर एक अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड होगा, जिस पर हम मुस्लिम जगत के शीर्ष विद्वानों को लाएंगे– हमने कई नाम देखे हैं और उनसे संपर्क भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, इस्लाम शांति और इंसानियत का मजहब है और पश्चिम इसे नहीं समझता है। इसलिए अथॉरिटी के पास विश्व के सामने इस्लाम की व्याख्या करने का भी काम होगा। उन्होंने आगे कहा कि, ‘जब वे विश्व को पैगंबर के जीवन के बारे में बताएँगे, तब लोग समझेंगे कि इस्लाम मानवता का धर्म है।’
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छात्र संगठन के रूप में हुई थी तालिबान की शुरुआत
अगर तालिबान के इतिहास की बात करें तो तालिबान एक कट्टरपंथी संगठन है इसकी शुरुआत भी छात्र संगठन के रूप में हुई थी, ये भी खुद को इस्लाम का पैरोकार और शरिया का पालनकर्ता बताते हैं। वहीं इमरान ने कई जगहों पर अहिंसा का समर्थन किया है लेकिन शरिया के नाम पर क्रूरता करने वाले संगठन की इमरान तारीफ करते देखे गए हैं। इससे साफ पता चलता है कि वह अपने देश को भी तालिबान के रास्ते पर ले जाता चाहते हैं।
कार्टून दिखा रहे विदेशी संस्कृति
इमरान खान ने कहा कि, अथॉरिटी को अपनी संस्कृति के मुताबिक कार्टून बनाने का काम भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि, कार्टून हमारे बच्चों को विदेशी संस्कृति दिखा रहे हैं। हम उन्हें रोक नहीं सकते हैं, लेकिन उन्हें विकल्प दे सकते हैं।
साथ ही कहा इमरान खान ने कहा कि अथॉरिटी पाकिस्तानी समाज पर पश्चिमी सभ्यता के फायदे नुकसान का भी आकलन करेगा। उन्होंने कहा कि जब आप देश में पश्चिमी सभ्यता लाते हैं, इसका आकलन करने की भी जरूरत है कि इसका हमें क्या नुकसान हो रहा है। बता दें कि, शरिया कानून दुनिया का सबसे खतरनाक कानून है इसमें चोरी करने वाले इंसान के दोनों हाथ काट दिए जाते हैं।
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शरिया शब्द का मतलब
शरिया के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो इसका मतलब “पानी का एक स्पष्ट और व्यवस्थित रास्ता” होता है. वहीं शरिया कानून इस्लामिक कानूनी व्यवस्था है. इसे कुरान और इस्लामी विद्वानों के फैसलों यानी फतवों को मिलाकर तैयार किया गया है.
क्या कहता है शरिया कानून
शरिया कानून जीवन जीने का रास्ता बताता है. सभी मुसलमानों से इसका पालन करने की उम्मीद की जाती है. इसमें प्रार्थना, उपवास और गरीबों को दान करने का निर्देश दिया गया है. एक मुसलमान के दैनिक जीवन के हर पहलू, यानी उसे कब क्या करना है और क्या नहीं करना है का रास्ता शरिया कानून है. किसी समस्या के आने पर वह सलाह के लिए शरिया विद्वान से मदद ले सकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अपने धर्म के कानूनी ढांचे के भीतर वह क्या करे? इसके अलावा दैनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों में जहां मुसलमानों को मार्गदर्शन की जरूरत हो, वह शरिया कानून से ले सकते हैं. इसमें पारिवारिक कानून, वित्त और व्यवसाय सभी शामिल हैं.
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शरिया कानून में अपराध की श्रेणियां
शरिया कानून अपराधों को दो श्रेणियों में विभाजित करता है. पहली श्रेणी ‘हद’ है. इसमें गंभीर अपराध आते हैं और इसके लिए कठोर सजा तय की गई हैं और अपराध की दूसरी श्रेणी ‘तज़ीर’ है. इसमें न्यायाधीश के विवेक पर सजा छोड़ दी जाती है. हालांकि सभी मुस्लिम देश ‘हद’ अपराधों के लिए ऐसी सजा नहीं देते हैं. ऐसे अपराधों के लिए कठोर दंड देने को लेकर मुसलमानों की राय बहुत बंटी हुई है. कुछ इस्लामी संगठनों ने तर्क दिया है कि ‘हद’ की सजा से बचने के लिए कई तरह के सुरक्षा उपाय भी हैं, साथ ही अपराध साबित करने के लिए काफी सबूतों की जरूरत होती है. वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ ने पत्थर मारकर मौत की सजा देने का विरोध किया है. उसके अनुसार, यह दंड यातना या क्रूरता, अमानवीय या अपमानजनक सजा है. इसलिए यह स्पष्ट तौर पर प्रतिबंधित है.
शरिया कानून के सिद्धांत कहां से आते हैं?
शरिया कानून प्रणाली भी अन्य कानून प्रणाली की तरह ही काफी जटिल है. इस कानून का लागू होना इस बात पर पूरी तरह से निर्भर करता है कि जानकारों के गुण और उनकी शिक्षा कैसी है?इस्लामी कानूनों के न्यायधीश मार्गदर्शन और निर्णय जारी करते हैं. मार्गदर्शन को फतवा कहा जाता है. इसे औपचारिक तौर पर कानूनी निर्णय माना जाता है.
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कौन-कौन से देश मानते हैं शरिया कानून ?
वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू डॉट कॉम के मुताबिक, शरिया कानून का पालन करने वाले देशों की इसको लेकर अपनी-अपनी व्याख्याएं हैं. इसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि जरूरी नहीं है कि दो मुल्कों के शरिया कानून एक जैसे हों. जिन देशों में शरिया कानून लागू हैं वे धर्म निरपेक्ष नहीं हैं. कुछ ऐसे देश जहां सभी जगह शरिया कानून लागू हैं वे इस प्रकार से हैं :-
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अफगानिस्तान
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मिस्र
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इंडोनेशिया
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ईरान
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इराक
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मलेशिया
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मालदीव
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मॉरिटानिया
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नाइजीरिया
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पाकिस्तान
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कतर
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सऊदी अरब
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संयुक्त अरब अमीरात
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यमन
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बहरीन
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ब्रूनेई
अफ्रीका के कई देश शरिया कानून का पालन करते हैं, जिनमें नाइजीरिया, केन्या और इथियोपिया शामिल हैं. सूडान ने सितंबर 2020 में लगभग 30 साल शरिया कानून का पालन करने के बाद इसको समाप्त कर दिया, सूडान ने ऐसा तब किया जब वह आधिकारिक रूप से एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बन गया.
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