Constitutional crisis in Nepal: तो क्या नेपाली सुप्रीम कोर्ट फिर पलटेगा राष्ट्रपति का फैसला?

0
236

द लीडर हिंदी : प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश मानते हुए प्रतिनिधि सभा (संसद) भंग करने संबंधी नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के फैसले पर एक बार फिर नेपाल की सुप्रीम अदालत को अपना फैसला देना है।

रविवार को नेपाल सुप्रीम अदालत के प्रधान न्यायाधीश ने इसके लिए संविधान पीठ का गठन कर दिया है। सुप्रीम अदालत इसी तरह के मामले में बिद्यादेवी के फैसले को फरवरी में असंवैधानिक घोषित कर चुका है।

प्रधानमंत्री के पी एस ओली
राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी

फरवरी में बहाल नेपाल की संसद में बहुमत जुटाने के लिए प्रधानमंत्री ने कई राजनीतिक दांव खेले। कुछ निलंबित सदस्यों की सदस्यता भी बहाल की, मधेशियों की प्रमुख मांग भी मानी लेकिन बहुमत साबित करने के दो मौके वह भुना नहीं पाए।

पिछले महीने नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के एकजुट होते ही राष्ट्रपति ने देउपा और उनकी सूची में कुछ नाम समान होने का तर्क देते हुए बिना सदन बुलाये दोनों के दावे खारिज कर दिए और 22 मई को प्रतिनिधि सभा भंग कर 12 नवंबर और 19 नवंबर को चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया था।

जाहिर है तब तक ओली के हाथ में ही नेपाल की कमान रहेगी। राष्ट्रपति के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम अदालत में 30 से अधिक याचिकाएं दायर हुई हैं। संविधान पीठ एक फैसले से अब इनका निस्तारण करेगा।

ऐसे बनी संविधान पीठ

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सांविधानिक पीठ की संरचना को लेकर न्यायाधीशों के बीच मतभेदों के कारण अहम सुनवाई में हुई देरी के बाद उच्चतम न्यायालय की ओर से यह पहल की गई है। नेपाल के मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा द्वारा पीठ का गठन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता और विशेषज्ञता के आधार पर किया गया है।

द हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नई सांविधानिक पीठ में न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की, न्यायमूर्ति आनंद मोहन भट्टाराई, मीरा धुंगाना, ईश्वर प्रसार खातीवाड़ा और स्वयं मुख्य न्यायाधीश शामिल है। प्रधान न्यायाधीश राणा ने इससे पहले न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की, आनंद मोहन भट्टाराई, तेज बहादुर केसी और न्यायमूर्ति बाम कुमार श्रेष्ठ को असांविधानिक विघटन के खिलाफ दर्ज 30 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए चुना था।

न्यायमूर्ति बिश्वंभर प्रसाद श्रेष्ठ की बीमारी के बाद, उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति भट्टाराई और खतीवाड़ा को सांविधानिक पीठ में शामिल किया गया था। लेकिन सांविधानिक पीठ के गठन में विवाद के चलते अहम सुनवाई प्रभावित हुई।

देउबा के एक वकील द्वारा नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की एकता और पंजीकरण की समीक्षा के मामले में संवैधानिक पीठ के सदस्यों के रूप में चुने गए दो न्यायाधीशों पर उनके पिछले फैसले पर सवाल उठाए जाने के बाद विवाद छिड़ गया। संवैधानिक पीठ के गठन पर विवाद बढ़ने के बाद न्यायाधीश तेज बहादुर केसी और बाम कुमार श्रेष्ठ ने पीठ नहीं छोड़ने का फैसला किया जबकि दो अन्य न्यायाधीशों ने पीठ से बाहर निकलने का विकल्प चुना।

इसने मुख्य न्यायाधीश राणा को सदन भंग के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पीठ का पुनर्गठन करने को मजबूर किया।उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश के अलावा वर्तमान में हैं 13 वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

विपक्ष का दावा मजबूत

संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत नई सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा समेत भंग सदन के 146 सदस्यों ने भी उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर प्रतिनिधि सभा को फिर से बहाल करने की मांग की है। जाहिर है 146 बहुमत की संख्या है। अगर इनके पक्ष में फैसला हुआ तो फिर से प्रतिनिधि सभा बहाल कर नेता का चुनाव होगा।

इस बीच ओली भी बहुमत जुटाने के लिए प्रयासरत हैं । जाहिर है उन्हें खेमेबंद विपक्ष में सेंध लगानी है। मंत्रिमंडल का पुनर्गठन भी उसी खेल का हिस्सा है। विपक्षी गठबंधन ने शनिवार को संयुक्त बयान जारी कर ओली सरकार द्वारा मंत्रिमंडल में फेरबदल करने की भी निंदा की है। प्रधानमंत्री ओली ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल किया। ओली के नए मंत्रिमंडल में तीन उप-प्रधानमंत्री, 12 कैबिनेट मंत्री और दो राज्य मंत्री हैं।

13 साल में 11 प्रधानमंत्री

गिरजा प्रसाद कोइराला 28/5/2008 से27 /8/2008
पुष्प कमल दहल प्रचंड 28/8/2008 से 25/5/2009
माधव कुमार नेपाल 25/5/2009 से6/2/2011
झलकनाथ खनाल 6/2/ 2011 से 29/82011
बाबू राम भट्टराई 29/8/2011/14/4/2013

खिलराज रेग्मी 14/4/ 2013 से 10 /2/2014
सुशील कोइराला नेपाली कांग्रेस 11/2/2014 से 10/10/2015
खड्ग प्रसाद शर्मा ओली cpnuml 11/10/2015 24/7/2016
पुष्प कमल दहल प्रचंड 4/8 2016 से 31/5/2017
शेर बहादुर देउबा 7/6/2017 से 15/2/2018
खड्ग प्रसाद शर्मा ओली 15/2/2018 से 22/5/2021

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here