मुस्लिम लीग ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, CAA के खिलाफ दायर की याचिका ,तत्काल रोक लगाने की मांग

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द लीडर हिंदी : देशभर में सोमवार को लागू हुए CAA के खिलाफ मुस्लिम लीग ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.मुस्लिम लीग ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.जिसमें उन्होंने तत्काल रोक लगाने की मांग की.केंद्र सरकार द्वारा सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2019 (CAA) का नोटिफिकेशन किए जाने के एक दिन बाद ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने इस पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पहली नजर में यह एक्ट गैर संवैधानिक है और ऐसे में CAA पर रोक लगाई जाए.याचिका में कहा गया है कि नागरिकता कानून के तहत कुछ धर्मों के लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी, जो संविधान के खिलाफ है.

याचिका में मुस्लिम लीग ने दिया ये तर्क, रोक की मांग
बता दें लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने सोमवार को ही सीएए कानून लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया है. गौरतलब है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सीएए को चुनौती देते हुए रिट याचिका भी दायर की थी.वही आईयूएमएल ने सीएए के खिलाफ दायर अपनी रिट याचिका में अंतरिम आवेदन दिया, जिसमें आईयूएमएल ने तर्क दिया कि किसी कानून की संवैधानिकता तब तक लागू नहीं होगी, जब तक कानून स्पष्ट तौर पर मनमाना हो. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कहा है कि वह शरणार्थियों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है, लेकिन उनका विरोध इसमें मुस्लिम धर्म के लोगों को बाहर रखने को लेकर है.

सीएए कानून का क्यों हो रहा है विरोध?
बतादें 2019 में उठी सीएए एनआरसी की आग में कितने लोग जल गए थे.लोग सीएए का विरोध लगातार कर रहे है.बता दें सीएए कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक तौर पर प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई वर्ग के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

वही सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान है. मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है.

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