उत्तर प्रदेश में 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रोजाना बचत, जानिए कैसे ?

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन के हाहाकार को लगभग नियंत्रित कर लिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रभावी रणनीति और पल-पल की निगरानी के कारण प्रदेश में ऑक्सीजन आपूर्ति 350 मीट्रिक टन से तीन गुना ज्यादा 1050 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है.

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हर उस विकल्प पर काम किया, जो कम से कम समय में संभव था

इसके लिए हर उस विकल्प पर काम किया गया, जो कम से कम समय में संभव था. ऑक्सीजन की आपूर्ति में सबसे बड़ी चुनौती झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) लाने की और फिर उसे जिलों तक पहुंचाने की थी. इसके लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायुसेना की मदद से एलएमओ लाने में 40 फीसदी समय की बचत हुई.

सामंजस्य बनाने की रणनीति अपनाई

सीएम योगी के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग को देखते हुए तकनीकी के इस्तेमाल से आपूर्ति में सामंजस्य बनाने की रणनीति अपनाई. इसके तहत देश में पहली बार ‘ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर यूपी’ डिजिटल प्लेटफॉर्म लागू किया गया और ऑक्सीजन टैंकर को जीपीएस आधारित प्रणाली से जोड़ा गया, ताकि उनकी रियल टाईम लोकेशन का पता चल सके.

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सीएम की पहल पर ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शुरुआत

केंद्र सरकार ने एलएमओ का आवंटन झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में किया था. ऐसे में कम से कम समय में एलएमओ लाने के लिए सीएम योगी की पहल पर देश में पहली बार ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शुरुआत हुई. साथ ही वायुसेना की मदद से खाली टैंकरों को भरने के लिए आगरा, हिंडन और लखनऊ जैसे हवाई अड्डों का उपयोग किया गया.

इन मार्गों पर किया गया ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों का उपयोग

दूरी का ध्यान रखते हुए समय बचाने के लिए झारखंड और पश्चिम बंगाल से आई ऑक्सीजन की पूर्वांचल में और हरियाणा, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से आवंटित ऑक्सीजन की आपूर्ति वेस्ट यूपी में की गई. ऑक्सीजन टैंकरों को ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों का उपयोग लखनऊ और बरेली से बोकारो, दुर्गापुर से वाराणसी और कानपुर, जमशेदपुर से लखनऊ, दिल्ली से जामनगर के मार्गों पर किया गया है.

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22 अप्रैल से 12 मई तक ऑक्सीजन एक्सप्रेस से आए 133 टैंकर

लखनऊ और बरेली से बोकारो के लिए 22 अप्रैल से 11 मई तक 18 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों पर 57 टैंकरों को ले जाया गया. चार मई से 11 मई के बीच जमशेदपुर से लखनऊ के लिए छह ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों में 48 टैंकरों को लाया गया. हर टैंकर की क्षमता आठ मीट्रिक टन थी. चार ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों पर दुर्गापुर से वाराणसी और कानपुर के लिए आठ से 11 मई तक 10 टैंकर पहुंचाए गए. हर टैंकर की क्षमता 20 मीट्रिक टन थी. छह ऑक्सीजन एक्सप्रेस दिल्ली से जामनगर के बीच तीन से 12 मई तक 18 टैंकर लाए गए.

1050 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति कर रही सरकार

प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से 894 मीट्रिक टन रोजाना कोटा आवंटित किया गया है. इसके बावजूद प्रदेश सरकार मौजूदा वक्त में करीब 1050 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति कर रही है. ऑक्सीजन टैंकरों की संख्या 34 से बढ़ाकर 89 की गई है. जिले स्तर पर भी मांग की आपूर्ति को लेकर रणनीति बनाई है.

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पांच प्रमुख हब की पहचान की गई

गाजियाबाद (मोदीनगर), आगरा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी को पांच प्रमुख हब के रूप में, बरेली और गोरखपुर को दूसरे हब के रूप में चुना गया है. इन जगहों पर हवाई अड्डे संचालित थे. इनका उपयोग जामनगर, जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर, हल्दिया और बंगाल के कुछ अन्य केंद्रों से एलएमओ को लाने के लिए किया गया.

परिवहन में समय बचाने के लिए ग्रीन कारिडोर बनाए गए

सभी शिपिंग केंद्र हवाई अड्डों के ईयरशॉट के भीतर भी हैं. एयरलिफ्ट ने समय में 40 प्रतिशत की बचत की. हब के भीतर आने वाले सभी टैंकरों को क्षेत्रीय केंद्रों के भीतर भेजना और निर्धारित स्थानों पर ऑक्सीजन वितरित करके, हवाई अड्डों पर 10 घंटे के भीतर पहुंचने की रणनीति बनाई गई. परिवहन में समय बचाने के लिए ग्रीन कारिडोर बनाए गए.

30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रोजाना बचत हुई

चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि, मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन के उपयोग को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी. इसके अलावा आडिट शुरु होने के बाद मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की औसतन खपत करीब 10 फीसदी कम हुई है. और करीब 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रोजाना बचत हुई है.

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वह कहते हैं कि, आठ मई को 302 मीट्रिक टन, नौ मई को 308 मीट्रिक टन, 10 मई को 259 मीट्रिक टन, 11 मई को 278 मीट्रिक टन, 12 मई को 255 मीट्रिक टन और 13 मई को 283 मीट्रिक टन आपूर्ति हुई है.

ऑक्सीजन ऑडिट लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तर प्रदेश

ऑक्सीजन के वेस्टेज को रोकने के लिए आईआईटी कानपुर ने साफ्टवेयर तैयार किया है. इसमें आईआईएम लखनऊ, आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू वाराणसी, एकेटीयू, लखनऊ, एमएमएमटीयू गोरखपुर, एचबीटीयू कानपुर, एनएनआईटी, प्रयागराज और एसजीपीजीआई का ऑक्सीजन आडिट में सहयोग लिया गया है. साथ ही प्रदेश में बंद ऑक्सीजन प्लांट को शुरू करने से लेकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया. ऑक्सीजन आडिट लागू करने वाला देश में पहला राज्य उत्तर प्रदेश है.

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