सावधान ! जानिए कैसे अपने आप को जीका वायरस से बचा सकते हैं ? कानपुर में संदिग्ध लक्षण वाले 9 मरीज मिले

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द लीडर। देश और दुनिया में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे है. जिससे लोगों में भय का माहौल देखने को मिल रहा है। वहीं यूपी में सीएम योगी के प्रयासों से कोरोना अभी कंट्रोल में है. लेकिन अन्य वायरस जैसे, डेंगू, मलेरिया, वायरल फीवर जैसे बीमारियां फैल रही है. इसके साथ ही अब जीका वारयस भी लोगों की परेशानियों को बढ़ा रहा है। बता दें कि, कानपुर में एयरफोर्स कर्मी में जीका वायरस संक्रमण की पुष्टि होने के बाद से ही विशेषज्ञों वाली स्वास्थ्य टीमों ने कानपुर में डेरा जमाया हुआ है. लगातार सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है. इस बीच विशेषज्ञों की टीमों ने जीका वायरस के संदिग्ध लक्षण वाले 9 व्यक्तियों की पहचान करते हुए उनके सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा है.


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डब्लूएचओ की टीम जीका वायरस संक्रमण के जांच में जुटी

बताया जा रहा है कि, सभी संदिग्ध पोखरपुरवा और पर्देवनपुरवा निवासी हैं और हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे हैं. इसके अलावा 16 गर्भवती महिलाओं की भी मॉनिटरिंग की जा रही है. इतना ही नहीं केंद्रीय जांच टीम के अलावा डब्लूएचओ की टीम भी ज़ीका वायरस संक्रमण के जांच में जुटी है. उधर, जीका वायरस संक्रमण की सूचना के बाद स्वास्थ्य महकमा अलर्ट पर है. दिल्ली से आई विशेषज्ञों की टीम ने यूपी स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर एक माइक्रोप्लान तैयार किया है. इसके तहत जीका वायरस से संक्रमित पेशेंट के घर को केंद्र बिंदू मानकार तीन किलोमीटर की रेंज में आने वाले लगभग 55 हजार घरों का सर्वे कराया जा रहा है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने 70 टीमों को लगाया गया है. ये टीमें 14 दिनों में दो बार घरों का सर्वे करेंगी. इसके साथ विशेषज्ञों की टीम जीका वायरस की टै्रवल हिस्ट्री का पता लगाएगी. इसी सर्वे के तहत 9 संदिग्ध लक्षणों वाले मरीजों के सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है.

मरीजों की मांगी गई लिस्ट

बता दें कि, जाजमऊ पोखरपुर में रहने वाले एयरफोर्स कर्मी में जीका वायरस की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद एयरफोर्स कर्मी के सपंर्क में आने वाले 31 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. बावजूद इसके पिछले 15 दिनों में बुखार से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की हिस्ट्री हैलेट अस्पताल से मांगी गई है. साथ ही यह भी जानकारी मांगी गई है कि, पिछले दिनों कितने ऐसे बच्चे पैदा हुए जो कि, न्यूरो की माइक्रोसेपली समस्या से ग्रसित हैं. इसके अलावा उन लोगों की भी रिपोर्ट मांगी गई है जिनने बंदरों ने काटा है. क्योंकि बंदरों के काटने से भी जीका वायरस फैलता है.


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क्या है जीका वायरस ?

जीका वायरस संक्रमण एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण है. यह मच्छरों की एडीज प्रजाति द्वारा फैलता है, आमतौर पर एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. एडीज मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस भी फैलाते हैं. जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति के खून को खाने से मच्छर संक्रमित हो जाता है. मच्छर तब अपने काटने से दूसरे लोगों में वायरस फैलाने में सक्षम होता है. जीका वायरस गर्भवती होने पर संक्रमित महिलाओं से पैदा हुए बच्चों में माइक्रोसेफली पैदा कर सकता है. माइक्रोसेफली एक दुर्लभ जन्म दोष है जिसमें बच्चे का सिर अपेक्षा से छोटा होता है, जो मस्तिष्क के विकास की समस्याओं से संबंधित हो सकता है.

कैसे फैलता है जीका वायरस ?

जीका वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. ये मच्छर आमतौर पर दिन में काटते हैं. एक बार जब कोई व्यक्ति मच्छर के काटने से संक्रमित हो जाता है, तो जीका वायरस कुछ दिनों के लिए या कुछ लोगों में लंबे समय तक उनके रक्त में पाया जा सकता है. जब कोई दूसरा मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस दूसरे लोगों में फैल सकता है. जीका वायरस अन्य माध्यमों से फैल सकता है, जैसे किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क, या दूषित रक्त स्रोतों से.


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जीका वायरस के लक्षण

  • बुखार

  • सिरदर्द

  • शक्ति की कमी

  • मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द

  • शारीरिक कमजोरी

  • लाल आंख

आप अपने आपको कैसे बचा सकते हैं जीका वायरस से?

  • जीका वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दिन और शाम को मच्छरों के काटने से बचाव एक महत्वपूर्ण उपाय है। गर्भवती महिलाओं, प्रजनन आयु की महिलाओं और छोटे बच्चों में मच्छरों के काटने की रोकथाम पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

  • व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों में ऐसे कपड़े पहनना जो हल्के रंग के हों, जो शरीर के अधिक से अधिक हिस्से को ढक सकते हो, खिड़की के पर्दे और बंद दरवाजों और खिड़कियों जैसे भौतिक अवरोधों का उपयोग करना और उत्पाद लेबल निर्देशों के अनुसार डेट, आईआर3535 या आईकरिडीन युक्त त्वचा या कपड़ों पर कीट विकर्षक लगाना।

  • एडीज मच्छर घरों, स्कूलों और कार्यस्थलों के आसपास पानी इकट्ठा होने से पैदा होते हैं। इन मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करना महत्वपूर्ण है, जिनमें शामिल हैं: पानी के भंडारण कंटेनरों को ढंकना, फूलों के बर्तनों में जमा पानी को हटाना, कचरा और इस्तेमाल किए गए टायरों को साफ करना।

  • मच्छरों के प्रजनन स्थलों को कम करने के लिए स्थानीय सरकार और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए सामुदायिक पहल आवश्यक है। स्वास्थ्य अधिकारी मच्छरों की आबादी और बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए लार्विसाइड और कीटनाशकों के उपयोग की सलाह भी दे सकते हैं।


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