योगी सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल उल्लंघन के तीन लाख से ज्यादा मुकदमे लिए वापस

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द लीडर | प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान कोविड प्रोटोकाल व लॉकडाउन उल्लंघन से जुड़े तीन लाख से अधिक दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया है. हालांकि, वर्तमान व भूतपूर्व सांसदों, विधायकों व विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे. विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि योगी सरकार के इस निर्णय से सामान्य नागरिकों को अनावश्यक अदालती कार्यवाही व फौजदारी प्रक्रिया की कार्यवाही से बड़ी राहत मिलेगी. विधि एवं न्याय मंत्री ने पिछले दिनों कोविड प्रोटोकाल उल्लंघन के तहत दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने का एलान किया था. प्रमुख सचिव न्याय प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने मंगलवार को इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं.

तीन लाख से ज्यादा दर्ज हैं मुकदमे

आपदा प्रबंध अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा-188, 269,270, 271 व इससे संबद्ध अन्य कम गंभीर अपराध की धाराओं से संबंधित पूरे प्रदेश में तीन लाख से अधिक अभियोग दर्ज किए गए हैं. अब प्रदेश सरकार और प्रशासन ने इन तीन लाख मुकदमों में से, जिनमें आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल हो गए हैं, उन्हें वापस लिए जाने की अनुमति दे दी है.


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दो वर्ष की सजा और जुर्माने के दर्ज मुकदमे वापस होंगे

अधिकतम दो वर्ष तक की सजा तथा जुर्माने के प्राविधान से संबंधित पूरे प्रदेश में दर्ज मुकदमों को वापस लेने के लिए लोक अभियोजक को न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है. प्रमुख सचिव न्याय ने प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-321 के प्रावधानों पर अमल करते हुए आवश्यक कार्रवाई कराने का निर्देश दिया है.

केंद्र सरकार ने दी मुकदमे वापस लेने की सलाह

विधि एवं न्याय मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों को सलाह दी है कि कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन की वजह से दर्ज आपराधिक मामलों की उपयुक्त समीक्षा कर वापस लेने पर विचार किया जाए. इसके बाद कोविड-19 महामारी से पूरे देश में उत्पन्न अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों ने आपदा प्रबंध अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897 और भारतीय दंड संहिता-1860 आदि के प्रावधानों को लागू किया था.


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महामारी एक्ट में दर्ज हुए थे केस

न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव द्वितीय ने मंगलवार को इस दिशा में विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर दिए. आदेश में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी अधिनियम 1897 व आईपीसी की धारा 188 आदि में प्रदेश भर में तीन लाख से अधिक दर्ज मुकदमे, जिनमें आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, वापस लेने की कार्यवाही शुरू की जाए.

अधिकतम दो साल की सजा का है प्रावधान

गौरतलब है कि सरकार को यह कार्यवाही तीन महीने में पूरी कर अमल रिपोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय को देनी है. अगर इस तरह के मुकदमे वापस नहीं लिए जाएंगे तो संबंधित व्यक्ति को अदालत अधिकतम दो साल की सजा देने व साथ ही जुर्माना लगाने का प्रावधान है.

यूपी की स्थिति नियंत्रण में

जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में प्रमुख सचिव न्याय प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र का हवाला दिया है. इस पत्र में केंद्र सरकार ने कहा था कि कोविड को लेकर जारी दिशा-निर्देशों पर प्रभावी कार्रवाई के कारण कोरोना के केसों पर काफी हद तक लगाम लगी है और स्थिति नियंत्रण में है.


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