देव दीपावली पर 15 लाख दीयों से जगमग होगी काशी, जानिए क्यों खास है देव दीपावली?

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द लीडर। हमारा देश त्योहारों से भरा है और दिवाली के ठीक कुछ दिनों बाद देव दीपावली मनाई जाती है. देव दिवाली एक आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत के उत्तरी भाग में बहुत सारे दीयों के साथ मनाया जाता है. देव दीपावली, जैसा कि नाम से पता चलता है, देवताओं की दिवाली है और कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार है जो मुख्य रूप से वाराणसी में मनाया जाता है. ये हिंदू लूनी-सौर कैलेंडर के कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन नवंबर-दिसंबर महीने के दौरान आता है. ये रोशनी के त्योहार दिवाली के पंद्रह दिनों के बाद आता है. काशी में इस बार देव दीपावली 19 नवंबर को मनाई जा रही है. हर साल की तरह इस बार भी देव दीपावली भव्य और दिव्य होने वाली है. 15 लाख से ज्यादा दीपों की रोशनी से 84 घाट जगमग किए जाएंगे. इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियां अंतिम मुकाम पर है.


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इस साल जो खास होगा, वो है हॉट एयर बैलून की सैर. पर्यटन विभाग की ओर से प्राइवेट कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है. जिसके बाद कंपनी की ओर से पायलट पहुंचे और उन्होंने सफलतापूर्वक इसका ट्रायल भी पूरा किया. ये आयोजन रेती के उस पार होगा, जिसकी जानकारी और टिकट चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल में पर्यटन विभाग से मिलेगी. यानी इस बार देव दीपावली के नयनाभिराम नजारे को आप आसमान से भी निहार सकते हैं. हॉट एयर बैलून से आज यानी 17 नवंबर से शुरू होकर तीन दिन तक 19 नवंबर तक उड़ेंगे. इसके लिए सिगरा स्टेडियम, बीएलडब्लू परिसर, गंगा पार डोमरी और सीएचएस ग्राउंड का चयन किया गया है.

इनका भी उठा सकेंगे लुत्फ़

हॉट एयर बैलून के अलावा लेजर शो और इलेक्ट्रिक आतिशबाजी भी आकर्षण के केंद्र में रहेगी. वहीं दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती भी इस बार भव्य तरीके से होगी तो वहीं राजघाट पर गंगा महोत्सव आयोजित हो रहा है. बता दें कि, धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, वो दिन जब खुद देवता शिवनगरी काशी आकर दीपावली मनाते हैं, उसे देव दीपावली कहा जाता है.

काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं देवता

बता दें कि, हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि, इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दिवाली मनाते हैं. इस वर्ष देव दीपावली 19 नवंबर के दिन मनाई जाएगी. श्रद्धालु 19 नवंबर के दिन गंगा घाट एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर दीप का दान करेंगे. मान्यता है कि, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और इसी खुशी में देवताओं ने दीए जलाकर उत्सव मनाया था. तब से ही देवोत्सव मनाए जाने लगा. कहा जाता है कि इस दिन सारे देवतागण गंगा घाट पर दिवाली मनाने आते हैं.


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क्यों खास है देव दीपावली?

इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर राक्षस का अंत किया था. इसी खुशी में देवताओं ने दीपक जलाकर खुशियां मनाईं थी. ऐसी मान्यता है कि तब से ही ये परंपरा चली आ रही है.

देव दीपावली 2021 शुभ मुहूर्त

देव दीपावली की तिथि और शुभ मुहूर्त देव दीपावली की तिथि-19 नवंबर
देव दीपावली तिथि आरंभ- 18 नवंबर को रात 12 :02
देव दीपावली तिथि समाप्त-19 नवंबर को दोपहर 2 :39

देव दिवाली की पूजा-विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करना चाहिए या घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान किया जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि, गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके बाद भगवान शिव, विष्णु जी और देवताओं का ध्यान करते हुए पूजा करनी चाहिए. शाम के समय किसी नदी या सरोवर पर जाकर दीपदान करना चाहिए. यदि वहां नहीं जा सकते तो किसी मंदिर में जाकर दीपदान करना चाहिए. अपने घर के पूजा स्थल और घर में दीप जलाने चाहिए. इस दिन भगवान गणेश, भोलेशंकर और भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा की जाती है. शाम के समय फिर से भगवान शिव की पूजा की जाती है. भोलेशंकर को फूल, घी, नैवेद्य और बेलपत्र अर्पित करें.


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वाराणसी की देव दीपावली देखने लायक

मुख्य रूप से देव दिवाली काशी में गंगा नदी के तट पर मनाई जाती है. इस दिन काशी नगरी में एक अलग ही उल्लास देखने को मिलता है. हर ओर साज-सज्जा की जाती है और गंगा घाट पर हर ओर मिट्टी के दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं. उस समय गंगा घाट का दृश्य भाव विभोर कर देने वाला होता है. देव दीपावली पर दीये जलाने का महत्व वाराणसी की देव दीपावली वास्तव में देखने लायक होती है. पवित्र शहर का हर घाट और मंदिर मिट्टी के दीयों से जगमगा रहा होता है. ऐसा माना जाता है कि, देवता गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए इस शुभ अवसर पर वाराणसी आते हैं. इसी कारण देव दीपावली का त्योहार इतना लोकप्रिय माना जाता है. देव दीपवाली की रात, हजारों लोग, स्थानीय लोग और पर्यटक समान रूप से नदी के घाटों पर गंगा आरती देखने के लिए आते हैं. सभी जगह हजारों दीए जलाए जाते हैं.

रोग निवारण के लिए

ऐसी मान्यता है कि अगर आप या परिवार का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार हैं तो देव दिवाली के दिन सूर्य देव की मूर्ति या फिर सूर्य यंत्र स्थापित करके उनके आगे दीपक जलाएं. ऐसा करने से रोग से जल्दी छुटकारा मिलेगा.


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