ईरान का सऊदी को दोस्ती का पैगाम-इजराइल के पीएम नेफ्टाली ने राष्ट्रपति रईसी को बताया तेहरान का जल्लाद

0
338

द लीडर : दक्षिणपंथी विचार के कट्टरवादी नेता और इजराइल के नए प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट अपना रंग दिखाने लगे हैं. उन्होंने ईरान के नव निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की जीत ऐसी प्रतिक्रिया दी है, जिसने मध्यपूर्व में राजनीतिक गहमागहमी बढ़ा दी है. नेफ्टाली ने कहा कि राष्ट्रपति रईसी ईरान में क्रूर जल्लाद का शासन स्थापित करेंगे.

दरअसल, राष्ट्रपति बनते ही ईरान ने सऊदी को दोस्ताना पैगाम भेजा है. इससे पहले ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई फिलिस्तीन के मुद्​दे पर इजराइल पर हमलावर रहे हैं. लेकिन सऊदी से ईरान की दोस्ती की नई पेशकश ने इजराल को बेचैन कर दिया है. और उसने रईसी के शासन को क्रूरता से जोड़ा है.

नेफ़्टाली ने कहा कि ईरान के साथ परमाणु समझौते से दुनिया को आगाह करने में लगे हैं. इस तर्क के साथ कि ये जागने का समय है. ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की अनुमत‍ि कभी नहीं देनी चाहिए।’
उन्‍होंने कहा कि इस बारे में इसराइल की स्थिति नहीं बदलेगी. वह रविवार को कैबिनेट की पहली बैठक को संबोधित कर रहे थे.

शुक्रवार को हुए थे राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 

ईरान में शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हुए थे. इतिहास में पहली बार ईरान में इतना कम मतदान हुआ. महज 48 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था. इसमें 62 फीसद वोट पाकर इब्राहिम रईसी राष्ट्रपति चुने गए थे.

रईसी ईरान के सबसे बड़े न्यायाधीश है. साथ ही सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई के बेहद करीबी बताए जाते हैं. रईसी को एक कट्टर रूढ़िवादी माना जाता है.


Tripura Mob Lynching : उत्तर से पूर्वोत्तर तक लिंचिंग का खौफ, त्रिपुरा में सैफुल, जायेद और बिलाल को भीड़ ने मार डाला


 

1988 में ईरान-इराक़ युद्ध के बाद राजनीतिक क़ैदियों को सामूहिक फांसी देनी वाली चार सदस्यीय स्पेशल कमीशन के रईसी सदस्य थे. इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मानते हुए अमेरिका ने इब्राहिम रईसी पर कई प्रतिबंध लगाए थे.

अब उनके ईरान का नया राष्ट्रपति चुने जाने पर दुनिया भर के कई देशों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी है. ईरान के चिर-परिचित विरोधी इसराइल ने रईसी को लेकर तीखी टिप्पणी की है.

बता दे कि रईसी अगस्त में मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी के स्थान पर पदभार संभालेंगे.

क्या कहा इसराइल ने

इसराइल के येरूशलम में रविवार को कैबिनेट की बैठक हुई. इस दौरान इसराइल के नए प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट ने कहा कि ‘ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने तेहरान के जल्लाद रईसी को चुना है, जो ईरानियों के बीच में बदनाम है.

रईसी सालों तक मौत की समितियों का नेतृत्व करते रहे और अब तक हजारों ईरानी नागरिकों को मार चुके हैं’

परमाणु समझौते पर नहीं बनी बात

चीन, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और ईरान के वरिष्ठ राजनयिकों के बीच ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना के एक होटल में रविवार को 2015 में हुए परमाणु समझौते को बहाल करने को लेकर बातचीत हुई, लेकिन फिलहाल कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, परमाणु समझौते पर कुछ बिंदुओं को लेकर अब तक सहमति नहीं बन सकी है, इनका समाधान किया जाना है.


क्रांतिकारियों के परिजनों ने भेजा बरेली के DM को पत्र, लिखी है यह अहम बात


 

ईरान के उप विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागची ने ईरान के एक सरकारी टीवी चैनल से बातचीत में बताया कि, “परमाणु समझौते को लेकर पहले की तुलना में सभी दस्तावेजों को लेकर बेहतर बातचीत हुई, लेकिन अभी भी कुछ ऐसे मतभेद हैं जिन्हें दूर किए जाने का काम नहीं किया गया है.

वियना में एक हफ़्ते तक चली बातचीत के बाद अब सभी देशों के राजनायिक वापस लौट गए हैं. सभी देश इस पर विचार विमर्श के बाद दोबारा बातचीत करेंगे. हालांकि, फिर कब बैठक होगी, इसकी कोई तारीख़ तय नहीं हो सकी है.

रईसी का परमाणु समझौते पर पक्ष

2015 में हुआ परमाणु समझौता मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी के शासनकाल में ही टूट गया था. अब ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी जो पश्चिमी देशों के आलोचक रहे हैं उनके नेतृत्व में परमाणु समझौते की रहा इतनी आसान नहीं लग रही.

रईसी को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई का कट्टर समर्थक माना जाता है. उनकी जीत में भी सुप्रीम लीडर की प्रमुख भूमिका रही है. ऐसे में वह उनकी सहमति के बिना कोई कदम उठा सकेंगे, इसकी उम्मीद नहीं दिखती.


जस्टिस काटजू ने पूछा- ‘क्या योगा से भूखे, कुपोषित, गरीब-बेरोजगारों को भी फायदा होगा!’ बाबा रामदेव बताएं


 

फिलहाल, ईरान के लगभग सभी बड़े निर्णय सुप्रीम लीडर ही लेते हैं. आशंका जताई जा रही है कि रईसी परमाणु समझौते में अड़ंगा लगा सकते हैं.

परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के बाद बिगड़े थे रिश्ते

वर्ष 2020 में पहले ईरान की कुद्स फ़ोर्स के प्रमुख सैन्य अधिकारी क़ासिम सुलेमानी और फिर शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की हत्या कर दी गई. इसके बाद ईरान के इसराइस और अमेरिका से रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे.

बता दें कि ईरान ने यूरेनियम संवर्धन के कार्य में तेजी लाई, मगर अभी हथियार बना पाने से दूर है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कुछ शर्तों के साथ परमाणु समझौते में दोबारा शामिल होने की इच्छा जताई है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here