जस्टिस काटजू ने पूछा- ‘क्या योगा से भूखे, कुपोषित, गरीब-बेरोजगारों को भी फायदा होगा!’ बाबा रामदेव बताएं

0
640
Justice Katju International Yoga Day 21 juen 2021 Hunger Malnourished Unemployment Baba Ramdev
धोती में योग गुरु बाबा रामदेव और जस्टिस माकेेंडय काटजू.

द लीडर : सुप्रीमकोर्ट के पूर्व जस्टिस और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे जस्टिस मार्केंडय काटजू ने इंटरनेशनल योग दिवस के बहाने देश के अंदरूनी हालात को टटोलकर कुछ तल्ख सवाल उठाए हैं. इस प्रश्न के साथ कि, ”ऐसा कहा जाता है, योगा करने से सेहत अच्छी होती. दिमाग को शांति और सुकून मिलता है. लेकिन, क्या योग से भूखे-गरीब और बेरोजगारों को भी वैसा ही फायदा मिलेगा? क्या कुपोषित बच्चे और खून की कमी से जूझती महिलाएं सेहतमंद हो पाएंगी? 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. और मैं इस आयोजन को महज एक नौटकी और ड्रामा ज्यादा नहीं समझता.’ (Justice Katju International Yoga Day 21 )

सोमवार को 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा.

जस्टिस काटजू ने कहा, ‘जब 50 प्रतिशत भारतीय बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं. और 50 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जो ऐनिमिक ( खून की कमी ) है. बेरोजगारी अपनी ऐतिहासिक रिकॉर्ड को छू रही है. महंगाई से इंसान की जिंदगी दुश्वार है. आसमान छूती कीमतें के बीच लोगों के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का संकट है.’

“Yoga Day. Tomorrow, 21st June, is International Yoga Day. I regard it as a gimmick and drama. When 50% of Indian children are malnourished, 50% of our women anemic, and there is record unemployment, skyrocketing prices, and almost total lack of proper healthcare for the masses, telling people to do yoga is as vulgar as Queen Marie Antoinette telling people who had no bread to eat cake.”

देश में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है. अंतरराष्ट्रीय भुखमरी सूचकांक में भारत 97वें पायदान पर है.

ये ठीक वैसा है, जैसे आस्ट्रिया की क्वीन मैरी एंटनोट ऐसे लोगों को केक खाने की सलाह दे रही हैं, जिनके पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी तक नहीं है. जस्टिस काटजू कहते हैं कि आज लोग योगा नहीं चाहते हैं. उन्हें भोजन, नौकरी, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम अन्य चीजों की जरूरत है. मेरे ख्याल से भूखे, बेरोजगार महिला और पुरुषों को योग के लिए बताना क्रूरता जैसा है. या एक तरीके से उन्हें बहलाने की चाल है.

“What people want is not yoga but food, jobs, shelter, healthcare, and other necessities. It is a cruel ruse and trick to tell a hungry or unemployed man/ woman to do yoga. It is said that yoga gives good health and a peaceful mind. But will it give this to a man/woman who is poor, hungry, and unemployed ? Will it give it to our malnourished masses and anemic women ?”

जस्टिस काटजू के इन तर्कों से बेशक आप इत्तेफाक रखते हैं या नहीं. लेकिन देश में कुपोषण की स्थिति के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. 2020 की वर्ल्ड भुखमरी सूचकांक रिपोर्ट इसका प्रमाण है. 107 देशों में किए गए अध्ययन पर भारत का 97वां स्थान है. इससे भी परेशानी वाला ये तथ्य है कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका की हालत भी भारत से अच्छी है. इससे पहले 2019 में 102 और 2018 में 103वां स्थान था. पहले के मुकाबले स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है. लेकिन ये कोई उत्साहित होने वाली वृद्धी नहीं है.

मई में बेरोजगारी दर 11.6 फीसद रही है. निकट भविष्य में भी स्थिति अच्छी होने के संकेत नहीं हैं.

इसे भी पढ़ें – सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- मोदी सरकार में लोकतांत्रिक विवेक की कमी, UN में म्यांमार मामले को लेकर भारत का पक्ष चौंकाने वाला


 

बेरोजगारी की हालत देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी सेंटर (CMIE)की पिछले मई महीने की रिपोर्ट है. जो बताती है कि भारत में बेरोजगारी दर 11.6 है. वर्तमान माहौल और लॉकडाउन भी इसका एक बड़ा कारण है. लेकिन इस सबका भुक्तभोगी आजमन ही है.

सोमवार को 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. जिसे पीएम नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे. इस बार की थीम जरा अलग है. वो ये है कि, ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’. हालाल के मद्​देनजर सार्वजनिक आयोजन नहीं होंगे. लेकिन घरों में योग मनाया जाएगा. इस दिन राष्ट्रीय स्तर पर तमाम कार्यक्रम होंगे. जिसमें प्रतियोगिएं भी शामिल हैं. (Justice Katju International Yoga Day 21 )

योग का राजनीतिक हाईजैक

योग पर जस्टिस काटजू ने जो सवाल उठाए हैं. उसको लेकर कई लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आई हैं. इसको लेकर उन्होंने कहा कि मेंने स्वतंत्रा दिवस, होली, दीवाली या बाल दिवस पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया. फिर योग पर क्यों? ये समझना चाहिए कि मैं योग दिवस के खिलाफ क्यों हूं.

उन्होंने कहा कि मैं योग के राजनीतिक एजेंडे के खिलाफ हूं, जिसे हाईजैक कर लिया गया है. रोमन सम्राट कहा करते थे कि लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो सर्कस ही दे दो.

आज भारतीय सम्राटों का कहना है कि, अगर गरीब, बेरोजगार, भूख-महंगाई, स्वास्थ्य सेवा और किसानों की समस्याएं हैं. उनका समाधान नहीं कर सकते तो योग दिवस दे दो.

(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here