पूरी दुनिया में भारत अपनी सेना पर खर्च करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बना

0
299

द लीडर | बेशक दुनियाभर के तमाम बड़े देश युद्ध से दूर रहने और शांति की बात करते हों, लेकिन खुद युद्ध को लेकर पूरी तैयारी रखते हैं. युद्ध को लेकर वह कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा एक रिपोर्ट से पता चलता है जिसमें दुनिया के प्रमुख देशों द्वारा किए गए सैन्य खर्च का ब्यौरा दिया गया है. इस आंकड़े के मुताबिक, वैश्विक सैन्य खर्च वित्त वर्ष 22 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है और भारत सबसे ज्यादा खर्च करने वालों की सूची में तीसरे नंबर पर शामिल है.

SIPRI की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च में वास्तविक रूप से 0.7% की वृद्धि हुई है. इसमें कहा गया है कि 2021 में 5 सबसे बड़े खर्च करने वाले देशों में अमेरिका, चीन, भारत, यूके और रूस थे. इन सबका कुल व्यय मिलाकर 62% था. अगर 2022 की बात करें तो  भारत का कुल सैन्य खर्च 76.6 बिलियन डॉलर है, जो दुनिया में तीसरे स्थान पर है. यह 2020 से 0.9% और 2012 से 33% अधिक है.


यह भी पढ़े –सीएम योगी के एक महीने का कार्यकाल पूरा : जानिए सरकार के 4 हफ्ते में 40 अहम फैसले


रूस ने सैन्य बजट बढ़ाया

रूस ने 2021 में अपने सैन्य खर्च को 2.9 प्रतिशत बढ़ाकर 65.9 अरब डॉलर कर दिया. इस दौरान रूस यूक्रेनी सीमा पर अपनी सेना को बढ़ा रहा था. रूस द्वारा सैन्य खर्च में यह लगातार तीसरे साल वृद्धि रही.

अमेरिका सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश

SIPRI के अनुसार, साल 2021 में सशस्त्र बलों को आवंटित 801 अरब डॉलर के साथ, पूरी दुनिया में अमेरिका अब तक का सबसे बड़ा खर्च करने वाला देश बना हुआ है. जबकि, पिछले दशक में वैश्विक सैन्य व्यय का 38 प्रतिशत सिर्फ अमेरिका ने ही किया था. एसआईपीआरआई के शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा मार्कस्टीनर के अनुसार, भले ही दुनियाभर के देशों ने हथियारों की खरीद को कम कर दिया है, लेकिन एक नया ट्रेंड देखने को ये मिल रहा है, कि अब दुनियाभर के कई देशों ने हथियारों के रिसर्च पर में पैसा निवेश करना बढ़ा दिया है. जिससे पता चलता है कि, अमेरिका अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है.

चीन, ब्रिटेन, अमेरिका सैन्य खर्च

अमेरिका ने वैश्विक सैन्य खर्च का 38 प्रतिशत और चीन ने लगभग 14 प्रतिशत का योगदान दिया है. जबकि ब्रिटेन ने 2021 में 68.4 बिलियन डॉलर खर्च करते हुए अपना स्थान दो रैंक बढ़ाया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का सैन्य खर्च लगातार 27 वें वर्ष बढ़ा है. वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ नान तियान ने एसआईपीआरआई द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकडज़ों पर कहा कि, “दक्षिण और पूर्वी चीन समुद्र में और उसके आसपास चीन की बढ़ती मुखरता ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों को सैन्य खर्च बढ़ाने के लिए मजबूर किया है’.

रूस ने भी बढ़ाया सैन्य खर्च

इसी तरह रूस ने भी लगातार तीसरे साल अपने सैन्य खर्च में बढ़ोतरी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि, साल 2016 से 2019 के बीच में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद अपने सैन्य खर्च को बढ़ाया है. 2014 में यूक्रेन पर हमला करने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए थे, बावजूद इसके रूस ने अपने सैन्य खर्च में कटौती नहीं की. हालांकि, साल 2021 में रूस का सैन्य खर्च कम जरूर हुआ, लेकिन ये अभी भी 5.6 अरब डॉलर था, जो रूस की कुल जीडीपी का 3.2 प्रतिशत हिस्सा है.

जंग में रोज का कितना नुकसान?

युद्ध के पहले पांच दिनों में रूस को 7 बिलियन डॉलर की मार पड़ी. ये डाटा सेंटर फॉर इकोनॉमिक रिकवरी की नई स्टडी के मुताबिक है. युद्ध में जिस तरह जानमाल का नुकसान हो रहा है केवल उसी से आने वाले समय में रूसी जीडीपी पर 2.7 बिलियन डॉलर का बोझ बढ़ेगा. रूस को सैन्य साजोसामान, खाद्यान्न, मिसाइलें, गोला-बारूद, ईंधन, रॉकेट लॉन्चर आदि सब कुछ मुहैया कराना होगा. शोधकर्ताओं के मुताबिक, रूस को इस युद्ध में हर दिन की कीमत 20 बिलियन डॉलर से अधिक की चुकानी होगी.


यह भी पढ़े –पश्चिम बंगाल में बम बलास्ट : बम को गेंद समझकर खेल रहे थे बच्चे… हुए गंभीर घायल


यूक्रेन युद्ध के बीच रूस का हाल

इसी तरह रूस ने भी लगातार तीसरे साल अपने सैन्य खर्च में बढ़ोतरी देखी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 और 2019 के बीच रूस के क्रीमिया पर कब्जा करने के जवाब में पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण सैन्य खर्च में गिरावट के बावजूद, उच्च तेल और गैस राजस्व ने मास्को को 2021 में अपने खर्च को बढ़ावा देने में मदद की. यूक्रेन में, हालांकि सैन्य खर्च 2021 में गिरकर 5.9 बिलियन डॉलर हो गया, फिर भी यह उसके सकल घरेलू उत्पाद का 3.2 प्रतिशत था. रिपोर्ट कहती है कि कोरोना महामारी ने जहां दुनिया भर की आर्थिक व्यवस्था को जर्जर कर दिया वहीं दुनिया में सैन्य खर्च में कहीं से भी कमी नहीं आई है. साल 2021 में दुनिया के तीन देश भारत, चीन और अमेरिका ने सैन्य खर्च में कोई कटौती नहीं की.

यूरोप में बढ़ेगा सैन्य खर्च

SIPRI के सैन्य खर्च और हथियार उत्पादन कार्यक्रम के निदेशक लूसी बेरौद-सुद्रेउ ने एक हिंदुस्तान टाइम्स से टेलीफोन पर दिए गये इंटरव्यू में कहा कि, ‘यूरोप पहले से ही एक बढ़ती सैन्य खर्च प्रवृत्ति की तरप था, लेकिन, यूक्रेन युद्ध के बाद सैन्य खर्च की प्रवृति में काफी ज्यादा इजाफा आएगी’. उन्होंने कहा कि, ‘आमतौर पर परिवर्तन धीरे-धीरे होता है, जब तक आप संकट में नहीं होते हैं, और तब परिवर्तन वास्तव में होता है. मुझे लगता है कि अब हम उस स्थिति में पहुंच चुके हैं’.