चंद्रशेखर जोशी
गर्मी का ये मौसम। कभी तन झुलसे, कभी हलक सूखे। पसीना छूटे, जी ललचाए। कहीं से भी कोल्ड ड्रिंक ली। मेहमाननवाजी हो या घरेलू फंक्शन, इसके बगैर तो मानो स्टेटस ही नहीं बचा। अब इस कदर शौक पाल ही लिया है तो इसके बारे भी जान लीजिए कि कितना फायदा होता है इससे। साथ ही यह भी कि कोल्ड ड्रिंक की शुरुआत कैसे हुई। कारपारेट कंपनियों ने किस तरह इस पेय को उन जगहों तक पहुंचा दिया, जब पानी तक मुश्किल से नसीब होता है। दरअसल इसकी शुरुआत मुश्किल हालातों में हलक तर करने की जुगत के तौर पर ही हुई, फिर इसे खपाने को मुश्किल हालात पैदा करने का सिलसिला शुरू हुआ।
पहले पहल द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैनिकों की प्यास बुझाने के लिए दूर खंदकों में बोतलबंद पानी भेजा गया। बाद में शरीर में इनर्जी यानी ऊर्जा के लिए पानी में मीठा मिलाया गया। विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद इस पेय को बाजार में उतार दिया गया और फिर बाजार फैलाने की रणनीति पर काम हुआ। देखते ही देखते इसका बाजार बढ़ने लगा।
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शुरुआती दौर में कंपनियों ने पहले पानी और शुगर के साथ नीबू मिलाया। जब यह ज्यादा समय तक नहीं टिका तो इसमें कुछ केमिकल मिलाए गए। शीतल पेय का बाजार और बढ़ा तो इसमें रंग मिलाए जाने लगे। यहीं से पेय पदार्थों में केमिकल मिलाने का खतरनाक खेल शुरू हुआ।
भौतिक जगत में हर पदार्थ अब तक खोजे गए 118 रासायनिक तत्वों का योग है। रासायनिक तत्व मिलकर एक खास संरचना (Bond)में बंध जाते हैं। किसी दूसरे तत्व के संपर्क में आते ही इनका बांड टूटता है और इलेक्ट्रान इधर से उधर जाकर एक नए घटक का निर्माण करते हैं। इसी प्रक्रिया से हर अच्छे-बुरे पदार्थ का जन्म होता है।
शीतल पेय की बोतलों में भरे आधा दर्जन से अधिक रायायनिक तत्व शरीर के किसी काम नहीं आते। ये केवल खलबली मचाकर जीवन को मृत्युशैया के करीब पहुंचाते हैं। वैसे तो एल्कोहल के अलावा अन्य सभी पेय पदार्थ शीतल माने गए हैं, लेकिन ये शरीर के लिए एल्कोहल से भी ज्यादा कठोर हैं।
असल में इनका रंग ही कार्बनिक योगिकों से तैयार होता है। इनमें सबसे खतरनाक है कारमेल। यह तत्व पेय पदार्थ में तीखापन भी लाता है। इसे शक्कर और अमोनिया (NH3)के साथ गर्म करके तैयार किया जाता है। इससे शरीर की कोशिकाओं में तेजी से वृद्धि या गिरावट आने लगती है। धीरे-धीरे कोशिकाओं की अनियंत्रित गति कैंसर पैदा करती है।
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पेय पदार्थों को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के लिए इनमें पोटेशियम बेंजोएट (C6H5CooK) और सल्फर डाई आक्साइड मिलाया जाता है। चिकित्सक बताते हैं कि यह कार्बनिक यौगिक शरीर में प्रवेश करते ही अन्य तत्वों के साथ मिलकर कई नए तत्वों का निर्माण करता है।
इससे मुलायम हिस्सों में घाव बनते हैं। कई बार इससे ब्रेन ट्यूमर और थाइराड की समस्या पैदा होती है। बैंजोएट जब खून में प्रवेश करता है तो इसका किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्यादा बैंजोएट से किडनी काम करना बंद कर देती है।
बोतलों में बनावटी मिठास भरी रहती है। इसे डाइट सोडा भी कहते हैं। इसके लिए पानी में चीनी के बजाए अस्पार्टेम (C14H18N2O5) मिलाए जाते हैं। अस्पार्टेम (aspartame)चीनी के मुकाबले 200 गुना ज्यादा मीठास पैदा करता है। इससे सिरदर्द होने लगता है। याददाश्त कम होती और भावनात्मक समस्या पैदा होने लगती है।
इन तत्वों को आंखों के लिए भी खतरनाक माना जाता है। शरीर में अचानक ज्यादा कैलोरी एकत्र होने से ग्लूकोज खून में प्रवेश कर जाता है और इंसुलिन बनने की प्रतिक्रिया बाधित होने लगती है। इसलिए यह शुगर की बीमारी का जनक है।
इसके अलावा ठंडे पेय में एक खनिज अकार्बनिक अम्ल फॉस्फोरिक एसिड (H3PO4) मिलाया जाता है। यह शरीर में कैल्शियम कम कर देता है। कुछ देर बाद शरीर थक जाता है और नींद आने लगती है।
अधिकतर ठंडे पेय में एक स्वाद है, हल्का कड़वापन। बच्चे इस स्वाद के दीवाने हैं। इस फ्लेवर के लिए कैफीन (C8H10N4O2) का इस्तेमाल होता है। कैफीन शरीर के तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। इससे अचानक धड़कनें बढ़ती हैं और हृदय कमजोर होन लगता है। ज्यादा कैफीन से हृदय जवाब देने लगता है।
सॉफ्ट ड्रिंक्स में सबसे खतरनाक कार्बन डाईआक्साइड गैस को पानी में अत्यधिक दाब में डला जाता है। बोतल का ढक्कन खोलते ही इससे झाग बनता है। इसके अलावा आम, संतरे, नीबू के रंग के लिए टारट्रेजाइन और कार्मोजाइन रसायन मिलाए जाते हैं। यह रसायन शरीर में अन्य तत्वों से मिलकर विविध अम्ल और नए अनुपयोगी तत्व बनाते हैं।
शीतल पेय में शरीर के उपयोगी पोषण तत्व शून्य हैं। दुनिया के कई देशों में कृत्रिम रंग व स्वाद वाले शीतल पेय प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। सबसे पहले नार्वे और फिनलैंड में इनको बंद किया गया। इसके बाद अमेरिका और कनाडा में भी प्रतिबंध लगा दिया गया।
हालांकि हमारे देश में पर्याप्त छूट है। टीवी, अखबारों में फिल्मी हीरो, खिलाड़ी इन खतरनाक पेय पदार्थों को अपनी सेहत का राज बताते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और विज्ञान के जानकार हैं, यह उनके निजी विचार हैं)