चुनाव में वोट देने के बाद जो स्याही अंगुली पर लगाई जाती है, वह महीनों नहीं मिटती. यह स्याही भारत के हर चुनाव में इस्तेमाल होती है। खास बात यह है कि यह स्याही कोई नकली बना नहीं सकता और नकल करने पर गंभीर कानूनी कार्रवाई में फंसना तय है. (Know About Election Ink)
भारत में शुरूआती चुनावों में इस स्याही का इस्तेमाल नहीं होता था, पर बाद में फर्जी मतदान की शिकायतें आने पर सन 1962 से इस स्याही का इस्तेमाल होने लगा. चुनाव आयोग ने भारतीय कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ मिलकर इस स्याही को तैयार किया था. (Know About Election Ink)
इसका फॉर्मूला गोपनीय है और इसका पेटेंट राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के पास है. मोटे तौर पर सिल्वर नाइट्रेट से तैयार होने वाली यह स्याही त्वचा पर एक बार लग जाए तो काफी दिन तक इसका निशान रहता है. इतना ही नहीं, यह त्वचा पर पराबैंगनी (अल्ट्रा वॉयलेट) रोशनी पडऩे पर चमकती भी है, जिससे इसे छिपाना संभव नहीं.
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कर्नाटक सरकार के सरकारी प्रतिष्ठान मैसूर पेंट्स एवं वार्निश लिमिटेड द्वारा बनाई जाने वाली इस स्याही के ग्राहकों में दुनिया के 28 देश शामिल हैं. इस स्याही को खासतौर से चुनाव के लिए ही बनाया गया है. इसलिए इसे लोकतांत्रिक स्याही भी कहते हैं. इसका कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं है. (Know About Election Ink)
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