कुम्भ में संतों ने दिया ज्ञानेंद्र शाह को फिर से नेपाल का राजा बनने का आशीर्वाद,शाही स्नान करेंगे

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ज्योति एस, हरिद्वार । राज परिवार की नृशंस हत्या, माओवादियों का हिंसक आंदोलन, फिर राजशाही का ऐलानिया अंत, लोकतंत्र की घोषणा, ये हाल के नेपाल का इतिहास है। कभी एकमात्र हिन्दू राष्ट्र कहलाने वाले नेपाल के आखिरी राजा को अब कुम्भ में फिर राजा बनने का आशीर्वाद मिला है।

नेपाल के आखिरी नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव अपने जीवन में पहली बार कुम्भ नहाने हरिद्वार आये हैं। आये नहीं हैं, उन्हें संतों ने बाकायदा आमंत्रित किया है। रविवार को उनके अभिनंदन समारोह में संतों ने नेपाल में राजशाही की बहाली के साथ ही उन्हें फिर राजा बनने का आर्शीवाद दिया है।

ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव रविवार को कुंभ नगरी हरिद्वार पहुंच गए हैं। वह करीब 10:30 बजे पहुंचे । उन्होंने सबसे पहले दक्षिण काली मंदिर पहुंच कर माई के दर्शन किए और निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज से आशीर्वाद लिया।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उन्हें काली मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना करनी है। उसके बाद अखाड़े के साधु-संतों से उनका मिलने का प्रोग्राम है । सोमवार 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या का शाही स्नान नेपाल के राजा निरंजनी अखाड़े के शाही जुलूस के साथ शामिल होकर हर की पौड़ी पर करेंगे। यह पहला मौका है कि किसी देश का राजा संतो के साथ कुंभ मेले में शाही स्नान करेगा।

कुंभ पर्व के मौके पर हरिद्वार पहुंचे नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र ने अपने आप का सौभाग्यशाली बताते हुए इस आमंत्रण के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि हरिद्वार वह पहले आ चुके हैं लेकिन कुम्भ स्नान का सौभाग्य पहली बार मिल रहा है। उन्होंने नेपाली जनता का भी आभार जताया। पत्रकारों के सवालों का जवाब वह नेपाली भाषा में ही दे रहे हैं। अभिनंदन समारोह में भी उन्होंने अपना संबोधन नेपाली भाषा में दिया।

उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल हमेशा एक साथ थे एक साथ रहेंगे। नेपाल भारत को हमेशा अपने बड़े भाई की तरह तरजीह जो देता है और देता रहेगा। दोनों देशों में जो भी अव्यवस्था फैलाने की कोशिश की गई है उसे समाप्त कर दिया जाएगा। भारत नेपाल का संबंध सनातन संस्कृति का संबंध है और यह कभी टूट नहीं सकता उन्होंने कुंभ मेला की भव्यता और देवता का बखान किया और उसके सफल संपन्न होने की प्रार्थना की।

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