क्या UP में रोजगार बनेगा चुनावी मुद्​दा? एक लाख भर्ती की घोषणा पर सपा का 10 लाख नौकरियों का ऐलान

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द लीडर : क्या रोजगार (Employment) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) 2022 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है? सवाल इसलिए, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से राजधानी लखनऊ की सड़कों पर युवाओं की हलचल बढ़ गई है. सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) सरकार ने इसकी आहट पर झट से 1 लाख भर्तियों की घोषणा कर डाली. अगले ही पल पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सपा (Samajwadi Party) सरकार बनने पर 10 लाख नौकरियां देने का ऐलान कर दिया. कांग्रेस (Congress) भी आक्रामक हुई. प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू युवाओं के धरना स्थल जा पहुंचे.

राष्ट्रपति के लखनऊ दौरे के बीच 34716 पुलिस भर्ती के सैकड़ों अभ्यर्थियों का विधानसभा के सामने प्रदर्शन हो या फिर 69,000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सरकारी आवास का घेराव. एक बात तो स्पष्ट है कि युवाओं में बेरोजगारी को लेकर एक बार फिर से गुस्सा फूटने लगा है.

राजनीतिक दल हालात को भांप गए. आंदोलनरत के तुरंत बाद बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM YOGI Aditya Nath) ने उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई. और करीब एक लाख (One Lakhs) रिक्त पदों पर भर्ती को मंजूरी दे दी. उधर, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी सोमवार को
ऐलान किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सरकार बनने पर पहली कैबिनेट बैठक में 10 लाख (Ten Lakhs) नौकरियां देने पर मुहर लगेगी.

पहले भाजपा और फिर सपा द्वारा रोजगार को लेकर बड़ी घोषणा की गई. जाहिर है कि राजनीतिक दल रोजगार की पिच पर आ रहे हैं. क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में युवाओं ने भाजपा की जीत और सपा की विदाई में अहम भूमिका निभाई थी.

तब सरकार UPPSC में गड़बड़ी के आरोप में घिरी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने चुनाव अपनी रैलियों में इसे खूब भुनाया था.

फिलहाल, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के करीब चार साल हो चुके हैं. सरकार की ओर से इस दौरान करीब चार लाख युवाओं को रोजगार दिए जाने का दावा किया गया है. लेकिन बेरोजगारी का जो आलम नजर आ रहा है. उससे युवाओं में निराशा है.


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योगी सरकार का दावा

सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मौजूदा सरकार ने 19 मार्च 2021 में चार साल पूरे कर लिए. सरकार की ओर से राेजगार के जो आंकड़ा जारी किए गए, उन्हें यहां देख सकते हैं.

विभागवार भर्ती सूची

  • पुलिस विभाग – 137253
  • बेसिक शिक्षा– 121000
  • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन- 28622
  • यूपी लोक सेवा आयोग– 27168
  • उत्‍तर प्रदेश अधीनस्‍थ चयन बोर्ड- 19917
  • चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण- 8556
  • माध्‍यमिक शिक्षा विभाग– 14436
  • यूपीपीसीएल– 6446
  • उच्‍च शिक्षा– 4988
  • चिकित्‍सा शिक्षा विभाग–  1112
  • सहकारिता विभाग– 726
  • नगर विकास– 700
  • सिंचाई एवं जल संसाधन-  3309
  • वित्‍त विभाग–  614
  • तकनीकी शिक्षा–  365
  • कृषि-     2059
  • आयुष-   1065

कुल –     390194


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दावों में कितनी सच्चाई

2018 में एलटी ग्रेड पेपर आउट मामले को छोड़ दें तो योगी सरकार में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी UPPSC की भर्तियां विवादों में नहीं रही. लेकिन सीटें कम करने, आंसर-की में गलत जवाब और प्रवेश परीक्षा-परिणाम में देरी को लेकर UPPSC पर अक्सर सवाल खड़े होते रहे हैं.

योगी सरकार का दावा है कि सरकारी विभागों में समूह ‘ग’ के पदों पर भर्ती करने वाले UPSSSC ने उनके कार्यकाल में 16708 पदों पर भर्ती की. मगर इनमें शामिल होने अभ्यर्थियों का आरोप है कि UPSSSC ने अब तक केवल 3209 नलकूप चालकों की भर्ती की है. बाकी करीब एक दर्जन भर्तियाें की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में है.

इन भर्तियों को लेकर युवाओं की ओर अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलाकर आक्रोश भी जाया जा चुका है. हालांकि, कब तक भर्ती प्रक्रिया चलेगी? कब अभ्यर्थियों के हाथों में नियुक्ति पत्र पहुंचेगा? और अगर 16708 पदों पर भर्ती हो गई है कौन अभ्यर्थी इसमें कामयाब रहे? इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है.

जब अपने दावे को लेकर हुई थी योगी सरकार की किरकिरी

सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यालय के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से 10 मार्च 2021 को सरकार के चार लाख नौकरी देने दावे को सही साबित करते हुए एक वीडियो शेयर किया गया था. इसमें दुर्गेश चौधरी नाम के एक शख्स को लेखपाल भर्ती के लिए सीएम योगी को धन्यवाद देते हुए दिखाया गया था.

यह वीडियो वायरल हुआ तो सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी. क्योंकि 2015 में आखिरी बार सपा सरकार में लेखपाल भर्ती निकली थी. जो 2016 तक पूरी भी हो गई थी. हजारों युवाओं के वीडियो को रि-ट्वीट करने पर जब मामले ने तूल पकड़ लिया तो योगी सरकार को बैकफुट पर जाते हुए वीडियो हटानी पड़ गई थी.

सरकार का दावा शिक्षक भर्ती पूरी, फिर प्रदर्शन क्यों?

लोकसभा में शिक्षकों के खाली पद को लेकर वर्ष 2020 में एक सवाल पूछा गया था. इसके जवाब में सरकार ने बताया था कि उप्र में शिक्षकों के 2,17,481 पद रिक्त है.

स्कूलों में शिक्षकों के पद भरने के लिए योगी सरकार की ओर से 68,500 और 69000 पदों पर बड़ी भर्ती भी निकाली गईं. लेकिन दोनों भर्तियां आरक्षण, कट-ऑफ और गलत आंसर को लेकर कोर्ट में पहुंच गई.

पिछले दिनों 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने 5844 सीटों के आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के आवास के बाहर धरना भी दिया था. इसके बावजूद सरकार का कहना है कि भर्ती पूरी हो चुकी है.

पुलिस भर्ती में पद खाली होने के आरोप

उप्र सरकार का दावा है कि उनके कार्यकाल में 1 लाख 37 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती की गई. 2018 में निकली 41520 सिपाहियों की भर्ती पूरी हो चुकी है, मगर अभ्यर्थियों का आरोप है कि 36,288 लोगों को ही नौकरी मिल सकी. पांच हजार के आसपास पद खाली रह गए हैं.

वहीं, 49568 सिपाही भर्ती के अभ्यर्थियों के मेडिकल टेस्ट और प्रशिक्षण 2022 तक चलने हैं. इसमें फेल होने वाले अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे और पद रिक्त छूट जाएंगे. अभ्यर्थी का आरोप हैं कि खाली बचने वाले पदों को भी सरकार ने अपने आंकड़ों में जोड़ लिया है.

सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक प्रदर्शन क्यों?

योगी सरकार भले ही चार साल में चार लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कहकर अपनी पीठ थमथपा रही हो, लेकिन भर्तियों में आरक्षण, कट-ऑफ की गड़बड़ियों और सालों की देरी से युवाओं का सब्र जवाब देने लगा है. वहीं, सरकार आरटीआई के जरिये जानकारी मांगने पर सीटों और सफल अभ्यर्थियों का सही ब्योरा नहीं दे रही है इसे लेकर भी नाराजगी है.

लखनऊ में पिछले कुछ दिनों से विधानसभा के सामने से लेकर डिप्टी सीएम के आवास तक चल रहा प्रदर्शन इसी वजह से हो रहा है. वर्तमान में युवा सरकार की ओर से उचित सुनवाई न होने और उनकी समस्याओं के जवाब नहीं मिलने के कारण आंदोलन करने को बाध्य हो रहा है.

प्रदेश के युवाओं को सरकार से काफी उम्मीदें हैं जिन पर खरा उतरना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी भी है. क्योंकि ये वही युवा शक्ति है जो किसी भी दल को सत्ता तक पहुंचा भी करती है और नाराज होने पर कुर्सी छिनकर वापस विपक्ष में बैठा सकती है. इसलिए सरकार भी इनकी नाराजगी का जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं है.

उत्तर प्रदेश सरकार के सेवा योजना पोर्टल के आंकड़े

राेजगार का वर्तमान परिदृश्य : ऊंट के मुंह में जीरा

उत्तर प्रदेश सरकार के सेवा योजना पोर्टल के अनुसार, वर्तमान में करीब 3826917 बेरोजगार युवा पोर्टल पर रजिस्टर्ड है. जिन्हें नौकरी की तलाश है. कोरोना काल में तमाम युवाओं की नौकरी छोड़ने के कारण यह आंकड़ा 36 लाख से बढ़कर 38 लाख के अधिक पहुंच गया है.

जबकि पोर्टल पर नौकरी देने के लिए करीब 20161 कंपनियां रजिस्टर्ड है. लेकिन सबसे बड़ी हैरत की बात यह है कि करीब 20 हजार कंपनियाें से सेवा योजना विभाग के टाइअप के बाद भी सिर्फ 20334 नौकरी ही इस समय बेरोजगार युवाओं के लिए मौजूद है. जो बेरोजगारों की संख्या के हिसाब से ऊंट के मुंह में जारी वाली कहावत चरितार्थ कर रही है.

आगे क्या तैयारी कर रही सरकार

राजधानी लखनऊ की सड़कों पर युवाओं के आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई. इसमें 74 हजार रिक्त पदों पर भर्ती को मंजूरी दे दी है.

बैठक में राज्य लोक सेवा आयोग, यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, यूपी उच्चतर शिक्षा चयन आयोग व यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष भी शामिल हुए थे. मुख्यमंत्री ने सभी से विभिन्न पदों की भर्ती प्रक्रिया तेजी से पूरी किए जाने के आदेश दिए है.

कौन से विभाग में कितने पद खाली

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग  :  30 हजार पद

उच्चतर शिक्षा चयन आयोग   :  17 हजार पद

माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड  :  27 हजार रिक्त पद

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