द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। देश में कोरोना के खिलाफ और तीसरी लहर की आहट के बीच अच्छी खबर सामने आई है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की स्टडी में सामने आया है कि, कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन असरदार है.
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डेल्टा प्लस वेरिएंट बेहद खतरनाक और संक्रामक है
ऐसा कहा जा रहा था कि, भारत में मौजूद कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट बेहद खतरनाक और संक्रामक है. लेकिन सरकारी पैनल इंसाकाग (INSACOG) ने साफ करते हुए कहा है कि, डेल्टा से पैदा हुआ डेल्टा प्लस वेरिएंट डेल्टा के मुकाबले कम संक्रामक हो सकता है.
COVAXIN effective against Delta Plus variant of COVID19, says Indian Council of Medical Research (ICMR) study pic.twitter.com/8DxlqXixt5
— ANI (@ANI) August 2, 2021
85 देशों में मिल चुका है डेल्टा वेरिएंट
इंसाकाग ने यह भी कहा कि, एवाई.3 को डेल्टा के नए उप-स्परूप के रूप में चिन्हित किया गया है. इस म्यूटेंट के बारे में अभी कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं है, लेकिन इसपर लगातार नजर रखी जा रही है. डेल्टा वेरिएंट का 85 देशों में पता चल चुका है.
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डेल्टा वेरिएंट से मामले बढ़ने की चेतावनी
कोविड की इस लहर की आशंका के बीच विशेषज्ञों ने अब चेतावनी दी है कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं. यह चिकनपॉक्स की तरह आसानी से फैलता है. इंडियन Sars-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टियम (INSACOG) के आंकड़ों के अनुसार मई, जून और जुलाई में हर 10 कोविड -19 मामलों में से लगभग 8 मामले अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के थे.
मिक्स्ड डोज़ पर अध्ययन के लिए मंजूरी की सिफारिश
ICMR की एक विशेषज्ञ समिति ने इस बात की सिफारिश की है कि, वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) को कोविड-19 के दो टीकों कोवैक्सीन और कोविशील्ड के मिश्रण के क्लिनिकल परीक्षण की इजाजत दी जाए. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है.
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समिति ने भारत बायोटेक को उसके कोवैक्सिन और प्रशिक्षण स्तर के संभावित एडेनोवायरल इंट्रानैसल टीके बीबीवी154 के परस्पर परिवर्तन पर अध्ययन करने के लिए मंजूरी देने की भी सिफारिश की, लेकिन हैदराबाद स्थित कंपनी को अपने अध्ययन से ‘परस्पर परिवर्तन’ शब्द हटाने को कहा है और मंजूरी के लिए संशोधित प्रोटोकॉल जमा कराने को कहा है.