दिसंबर 2019 में जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया तो विशेषज्ञों का मानना था कि इससे बच्चों पर गंभीर असर नहीं पड़ेगा। हाल ही में हुई एक स्टडी ने भी यही साबित किया है।
अमेरिका में बच्चों के कोविड अस्पताल में भर्ती होने की बढ़ती संख्या ने दुनियाभर में माता-पिता और विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने राहत की सांस दी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा जारी एक स्टडी पेपर से पता चला है कि बच्चों को कोरोना वायरस से गंभीर खतरा नहीं है और डेल्टा संस्करण गंभीर कोविड का कारण नहीं बनेगा।
शोधकर्ताओं ने 01 मार्च, 2020 और 14 अगस्त, 2021 के बीच देशभर के अस्पताल के रिकॉर्ड का डेटा एकत्र किया और उसका अध्ययन किया। इस डेटा में अमेरिका की लगभग 10 प्रतिशत आबादी शामिल थी।
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डेटा संग्रह के समय, 17 वर्ष की आयु तक के बच्चों का साप्ताहिक अस्पताल में भर्ती होना सबसे कम यानी 0.3 प्रति 100,000 था। 14 अगस्त तक यह बढ़कर 1.4 प्रति 100,000 हो गया। नौ जनवरी को अस्पताल में भर्ती होने का आंकड़ा 1.5 प्रति 100,000 के चरम पर पहुंच गया, जब अमेरिका अल्फा वैरिएंट से जूझ रहा था।
वैज्ञानिकों ने लगभग 3,116 अस्पतालों के आंकड़ों का अध्ययन किया और पाया कि हाल के अध्ययन के नतीजे शुरुआती शोध के जैसे हैं, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि बच्चों में गंभीर कोविड विकसित का प्रतिशत पहले जैसा ही है।
विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सुरक्षा की खातिर वयस्कों को टीका लगवाना चाहिए। इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि 20 जून से 31 जुलाई, 2021 के बीच, जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है, उनके अस्पताल में भर्ती होने का खतरा वैक्सीन लगवा चुके बच्चों की तुलना में 10 गुना ज्यादा था।