द लीडर : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत ने राज्य का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. महापंचायत से ऐलान हो रहे हैं कि यूपी चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करना है. लाखों किसान इसका एक सुर में समर्थन कर रहे हैं. मंच पर गुलाम मुहम्मद जौला, जो कि किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के मंच संचालक हुआ करते थे-मौजूद हैं. जो जाटलैंड में हिंदू-मुस्लिम एकता का दोबारा बनते समीकरण का संकेत दे रहा है. (Farmers Protest Muzaffarnagar Mahapanchayat)
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल 2020 से किसान आंदोलनरत हैं. हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्ड पर डेरा डाले हुए हैं. सरकार कानून वापस न करने पर अड़ी है, जबकि किसान ऐलान कर चुके हैं कि कानून वापस न होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

हाल ही में हरियाणा के करनाल में ड्यूटी मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा के आदेश पर पुलिस ने किसानों पर लाठियां भांजकर सिर फोड़ डाले थे. एक किसान की मौत भी हो गई थी. इस घटना से किसानों में और ज्यादा उबाल है. यही वजह है कि महापंचायत में देशभर के किसान जुटे हैं.
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पिछले दिनों किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव लखनऊ पहुंचे थे. इस घोषणा के साथ कि बंगाल के बाद किसान यूपी समेत पांच राज्यों में भाजपा की नीतियों के बारे में जनता को बताएंगे. यानी भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे. उसी समय मुजफ्फरनगर महापंचयत का भी ऐलान किया गया था.
रविवार को मुजफ्फरनगर के ऐतिहासिक जीजीआइसी मैदान में किसानों का भारी हुजूम उमड़ा है. कॉलेज मैदान से लेकर आस-पास के इलाकों में पैर रखने की जगह नहीं है. मंच से भाषण हो रहे हैं.
विपक्षी दलों के नेता-समर्थक भी इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं. किसानों के खाने-पीने के लिए ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर सामान पहुंचाया जा रहा है. एक तरीके से किसानों ने सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है.
और इसका पहला पड़ाव है-यूपी चुनाव. जहां अगले साल 2020 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. कांग्रेस, सपा और दूसरे दल भी कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और किसानों पर की गई बलपूर्वक कार्यवाही के खिलाफ हैं. (Farmers Protest Muzaffarnagar Mahapanchayat)