किसान महापंचायत: एक दिन पहले ही भर गया मुजफ्फरनगर का GIC मैदान

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मुजफ्फरनगर का जीआईसी मैदान, जैसे देशभर से लोग यहां आ गए हों। कोई भी गुरुद्वारा, होटल या आसपास का बरातघर और ठहरने की लगभग सभी जगह पूरी तरह पैक। हर ओर चहल-पहल का नजारा, उत्साह की झलक। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लेकर जोशीले नारों से गूंजता आसमान। न बारिश की परवाह, न सरकार का खौफ। पांच सितंबर को होने जा रही किसान महापंचायत से एक दिन पहले की यह शाम बता रही थी, कि इस आंधी को रोकने का बूता शायद सरकार के पास नहीं है।

उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए किसान आंदोलन मिशन यूपी-उत्तराखंड का आगाज इसी महापंचायत से करेगा। सिर्फ एक दिन के इस आयोजन की बंदोबस्त का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां एक दिन पहले ही किसानों ने 500 लंगर शुरू कर दिए, जिनमें ट्रैक्टर-ट्रॉली पर मोबाइल लंगर व्यवस्था भी है।

इसके अलावा 100 मेडिकल कैंप लगा दिए और 5000 वालंटियर्स की फौज व्यवस्था संभालने को लगाई गई है। जमावड़ा इतना बड़ा होगा कि जीआइसी मैदान के आसपास के मैदान में भी सीधा प्रसारण किया जाएगा, जिससे पंचायत में शामिल होने वाले सभी किसान शामिल हो सकें।

संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली किसान महापंचायत के माध्यम से किसान-विरोधी भाजपा के खिलाफ आंदोलन खड़ा कर तीन किसान विरोधी कानून रद्द कराने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस कराने और सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पूरी कराने के लिए उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड मिशन की ऐतिहासिक शुरुआत की जाएगी।

महापंचायत में शामिल होने के लिए 15 राज्यों से हजारों किसान चार सितंबर की शाम तक मुजफ्फरनगर पहुंच गए, जबकि आसपास के जिलों से बड़ी संख्या सुबह पहुंचेगी। किसान मोर्चा ने कहा कि महापंचायत आंदोलन के साथ खड़े किसानों, खेत मजदूरों तथा समर्थकों की ताकत का एहसास योगी-मोदी की सरकारों को करा देगी।

यह भी साबित हो जाएगा कि किसान मोर्चा के नेतृत्व में 9 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को समाज की सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों एवं समाज के सभी तबकों का समर्थन हासिल है। पिछले 9 महीने में देश भर में हुई महापंचायतों में मुजफ्फरनगर की महापंचायत अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी।

मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि महापंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा के सभी प्रमुख नेताओं द्वारा संबोधित किया जाएगा। महापंचायत में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव को लेकर कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी और भारत बंद संबंधी महत्वपूर्ण ऐलान भी किया जाएगा।

बताया कि दिल्ली के बॉर्डरों पर किसान आंदोलन 26 नवंबर 2020 को शुरू होने के 3 महीने पहले से पंजाब के 32 किसान संगठन जमीनी स्तर पर आंदोलन चला रहे थे। पंजाब सरकार के द्वारा पिछले कुछ दिनों में आंदोलन के दौरान हजारों किसानों पर सैकड़ों एफआईआर दर्ज की गई हैं। किसान संगठनों ने पंजाब सरकार को 8 सितंबर के पहले किसानों पर लादे गए सभी फर्जी मुकदमे वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में भाजपा के जनप्रतिनिधियों एवं नेताओं का विरोध जारी है। यह अब हिमाचल प्रदेश में भी फैल चुका है। कल हिमाचल प्रदेश में ठियोग में फल उगाने वाले किसानों ने हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर तथा बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का सेब के दामों में तेजी से आ रही गिरावट को लेकर कई घंटों घेराव किया और राष्ट्रीय राजमार्ग भी जाम किया गया।

हिमाचल के किसानों ने 13 सितंबर को कारपोरेट लूट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। उधर नासिक में टमाटर का दाम 2-3 रुपये किलो मिलने से आक्रोशित किसानों ने टमाटर सड़कों पर फेंक कर विरोध प्रदर्शन किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि टमाटर हो या सेब, सभी फलों, सब्जियों, कृषि उत्पादों, वन उपजों, दूध, मछली सभी का एमएसपी पर खरीद की गारंटी की जरूरत है, इसीलिए 600 किसानों की शहादत के बावजूद भी किसान आंदोलन जारी है और मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस द्वारा असम से आए किसानों के जत्थे को धारा 144 की आड़ में ठहरने के लिए धर्मशाला में जाने की निंदा करते हुए कहा है कि असम के किसान तमाम अवरोधों के बावजूद मुजफ्फरनगर पहुंचेंगे।


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