UN के गोदाम पर हथियारबंद गिरोह का धावा, 1700 टन अनाज लूटा

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सूडान में हथियारबंद गिरोह ने दुनियाभर में कड़ी के रूप में काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के अनाज गोदाम को लूट लिया। राज्य समाचार एजेंसी SUNA ने स्थानीय निवासियों के हवाले से घटनास्थल के पास बड़े पैमाने पर गोलीबारी की भी सूचना दी है। उत्तरी दार्फुर में हुई इस वारदात के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गोदाम में भुखमरी से जूझ रहे लोगों के लिए 1700 टन खाद्यान्न था, जिसे लूट लिया गया है। यह खाद्यान्न विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के तहत मुहैया कराया जाना था। (Gang Looted UN Warehouse)

बुधवार को जारी बयान में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि एक महीने के लिए 7 लाख 30 हजार भूख से जूझ रहे लोगों को खिलाने के लिए 1700 टन से ज्यादा खाद्यान्न राजधानी अल फाशर के गोदाम में रखा गया था।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक खरदियाता लो नदिया ने कहा, “सूडान में हर तीन में से एक व्यक्ति को मानवीय सहायता की जरूरत है। इस तरह का हमला हाशिए के लोगों तक पहुंचने की हमारी क्षमता को गंभीर रूप से बाधित करने वालाा कदम है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।”

उन्होंने कहा, “हम सूडान सरकार से पूरे सूडान में मानवीय परिसरों और संपत्तियों की सुरक्षा की अपील करते हैं।”

ट्विटर पर दारफुर के गवर्नर मिनी मिनावी ने वारदात को “बर्बर कृत्य” करार देकर निंदा की। उन्होंने कहा, लूट के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। (Gang Looted UN Warehouse)

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी लूट की निंदा की। गुटेरेस के एक प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को बयान में कहा, “1700 टन से ज्यादा खाद्य वस्तुएं, जो एक महीने के लिए 7 लाख 30 हजार कमजोर लोगों को खिलाने के लिए थीं, लूट ली गईं।” यह आपूर्ति सूडानी अधिकारियों को नागरिक उपयोग के लिए उपहार में दी गई थी, दुजारिक ने कहा।

गुटेरेस ने सूडानी सरकार से व्यवस्था बहाल करने और सूडानी अधिकारियों से “अल फाशर में संयुक्त राष्ट्र के काम को सुरक्षित कामकाजी माहौल देने के लिए तलब किया है।

Sudanese Gen. Abdel-Fattah Burhan (AP Photo/Hussein Malla)

संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ मिशन UNAMID की वापसी ने पिछले साल दिसंबर में 13 साल के शांति अभियान को समाप्त कर दिया है। इसके बाद से हिंसा में तेजी आई है। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) के मुताबिक, पिछले एक साल में दार्फुर में मारकाट-खूनखराबा होने से हजारों लोग बेघर होकर भागने को मजबूर हुए हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विश्लेषकों ने हथियारबंद गुटों के पनपने को इसका जिम्मेदार ठहराया है, जो 2020 के अंत में कुछ विद्रोही समूहों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से बेचैन थे। इनमें पड़ोसी लीबिया से वापस हुए लड़ाके भी हैं। (Gang Looted UN Warehouse)

इसी क्षेत्र में अक्टूबर के बाद से अब तक जमीन, पशुधन, पानी और चराई के विवादों के कारण चरवाहों और किसानों के बीच लड़ाई में लगभग 250 लोगों की मौत हो चुकी है।

25 अक्टूबर को सैन्य प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान के नेतृत्व में तख्तापलट के समय सूडान राजनीतिक उथल-पुथल से उबरने के दौरान भी हिंसा हुई। जब सेना और संबद्ध मिलिशिया ने 2003 से दार्फुर में सशस्त्र गिरोहों को कुचलने का अभियान चलाया था, तब अनुमानित 3 लाख लोग मारे गए थे और हजारों विस्थापित हुए थे।

मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार, अगले साल 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा सूडानियों को मानवीय मदद की जरूरत होगी। यह बीते एक दशक का उच्चतम स्तर है।

Source: Aljazeera & Agencies


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