‘ऊंट की लूट’ पर सूडान में भड़की हिंसा, 138 मरे, दर्जनों घायल

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सांप्रदायिक हिंसा के चलते हाल के हफ्तों में सूडान के पश्चिमी दारफुर राज्य के तीन अलग-अलग इलाकों में कम से कम 138 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए। वेस्ट दारफुर डॉक्टर्स कमेटी ने बुधवार और गुरुवार को जारी बयान में कहा कि क्रेनिक इलाके में हुई भिड़ंत में 88 लोग मारे गए, जबकि 84 घायल हो गए। इसके अलावा बीहड़ जेबेल मून पहाड़ों में हुई हिंसा में 25 लोग मारे गए और चार घायल हो गए। इसके अलावा सरबा इलाके में हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई और छह घायल हो गए। (Violence Erupts In Sudan)

बताया जा रहा है कि ताजा सांप्रदायिक हिंसा की पहली वारदात 17 नवंबर को जेबेल मून क्षेत्र में हथियारबंद अरब ऊंट चरवाहों के बीच हुई थी। वेस्ट दारफुर के गवर्नर खामिस अब्दुल्ला ने कहा कि हिंसा ऊंटों की लूट पर हुए विवाद से शुरू हुई। उस समय शांति बहाली के लिए सैन्य बलों को भेज दिया गया, जिसके बाद हालात स्थिर हो गए।

लेकिन यह स्थिरता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकी। हिंसा की आग अंदर ही अंदर सुलग रही थी। नतीजतन, 4 दिसंबर को ऑटोमेटेड आधुनिक हथियारों के साथ प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच पश्चिमी दारफुर के केरेनिक क्षेत्र में झड़पें शुरू हो गईं।

डॉक्टर के संघ ने एक बयान में कहा, हिंसा की जानलेवा वारदातों ने अफरातफरी मचा दी है, जान बचाने को बड़ी संख्या में लोग इधर-उधर पनाह लेने काे भाग रहे हैं। कई घायलों की मौत चिकित्सा सुविधा न मिल पाने से हो गई, क्योंकि सुदूर ग्रामीण इलाकों में यह बंदोबस्त न के बराबर है। (Violence Erupts In Sudan)

स्थानीय एनजीओ शरणार्थी और विस्थापन शिविरों की समन्वय समिति ने कहा, ज़मज़म शरणार्थी शिविर को मिलिशिया ने घेर लिया था और उत्तरी दारफुर के डोंकी शाटा क्षेत्र पर भी हमला किया गया।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अकेले जेबेल मून में हुई हिंसा में 10 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से दो हजार लोग सीमा पार के पड़ोसी देश चाड में भागने को मजबूर हो गए।

जनवरी और सितंबर 2021 के बीच विस्थापन पूरे 2020 की तुलना में लगभग सात गुना अधिक रहा है, जो बीते छह वर्षों में सबसे अधिक विस्थापन है। (Violence Erupts In Sudan)

2003 के दारफुर नरसंहार की याद कराती ताजा हिंसा

दारफुर में सांप्रदायिक हिंसा ने 2003 के संघर्ष की याद दिला दी है, जब जातीय अल्पसंख्यक विद्रोहियों ने भेदभाव की शिकायत कर तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर की सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था। तब खार्तूम ने सशस्त्र अरब मिलिशिया जंजावीद ने हत्या, बलात्कार, गांवों को लूटने-जलाने का दोषी मानकर विद्राेह को कुचला। उस वक्त हिंसा से दुनिया की सबसे भीषण मानवीय तबाही हुई। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस अंदरूनी हिंसा-प्रतिहिंसा के दौरान तीन लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 25 लाख लोग विस्थापित हुए।

जनउभार में अल-बशीर की सत्ता को 2019 में उखाड़ फेंका गया। लेकिन तब से सूडान पटरी पर नहीं लौट पाया। अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय बीते एक दशक से ज्यादा वक्त से दारफुर नरसंहार, युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों की सुनवाई कर रहा है।

अल-बशीर के सैन्य निष्कासन के बाद दारफुर में हिंसा बढ़ गई, जिसमें पश्चिमी दारफुर भी शामिल है, जिसे सबसे शांतिपूर्ण माना जाता रहा है। दिसंबर 2019 से पश्चिमी दारफुर में हिंसा की चार लहरें महसूस की गईं, जिनमें तीन राज्य की राजधानी एल-जेनेना या उसके आसपास हुई हैं। (Violence Erupts In Sudan)

ज्यादातर हिंसाओं में देखा गया कि आमतौर पर निहत्थे गैर-अरब नागरिकों के खिलाफ सुरक्षा बलों और अरब समुदायों के सशस्त्र गुटों ने हमलों का रूप ले लिया। इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (FIDH) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हत्या, बलात्कार, अपहरण की वजह से आबादी का व्यापक विस्थापन हुआ है।

अल-बशीर को हटाने के बाद सूडान के नाजुक लोकतांत्रिक संक्रमण पर 25 अक्टूबर को सवाल उठाया गया, जब सेना ने नागरिक सरकार को भंग कर राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और आपातकाल घोषित कर दिया।

प्रदर्शनकारियों पर सख्ती के बावजूद देशभर में लगातार तख्तापलट विरोधी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों को सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान और प्रधान मंत्री अब्दुल्ला हमदोक के बीच हुआ समझौता भी शांत नहीं कर सका।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ के दारफुर में संयुक्त मिशन की वापसी से हिंसा में बढ़ोत्तरी की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय बल के अधिकारियों को नागरिकों सुरक्षा के अपने वादे को पूरा करने में विफल रहने का दोषी ठहराया।

Source: Aljazeera


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