द लीडर। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में संचालित एंबुलेंस सेवा 108 के चालकों को सरकार के अहंकार और अन्याय का शिकार करार देते हुए रविवार को कहा कि, इनमें से तमाम लोगों की नौकरी जाने से उनके परिवार दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि, एंबुलेंस चालकों को सरकार के अहंकार और अन्याय की वजह से अपने जीवन में तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं. तमाम चालकों की नौकरी जाने से उनके परिवार दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं, जनहित में नई एंबुलेंस की खरीद के साथ चालकों की भी भर्ती होनी चाहिए.
एंबुलेंस चालकों को कई आरोपों में बर्खास्त किया
गौरतलब है कि, प्रदेश की 108 एंबुलेंस सेवा के 570 चालकों को जुलाई 2021 में अनुशासनहीनता और गलत तरीके से हड़ताल करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था. उसके बाद से अब तक करीब 9000 एंबुलेंस चालकों को अलग-अलग आरोपों में बर्खास्त किया जा चुका है.
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सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा के पीछे बीजेपी सरकार की अकर्मण्यता और पूंजीपरस्त नीतियां भी है. अखिलेश यादव ने कहा कि, सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था और असुविधाएं हैं. वहां चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की भी कमी है.
दूसरी ओर निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की संख्या में रोज-ब-रोज बढ़ोतरी हो रही है. बीजेपी की पूंजीपरस्त मानसिकता के चलते गरीब आदमी की कहीं पूछ नहीं है. सरकार सम्पन्न लोगों की जिंदगी खुशहाल बनाने के सभी इंतजाम करने में ही लगी है.
गरीब और किसान हितैषी होने के झूठे दावों की पोल खुली
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि, भाजपा सरकार के गरीब और किसान हितैषी होने के झूठे दावों की पोल खुल गई है. चुनाव से पहले किसानों की आय दुगनी करने, उनका सम्मान करने तथा गरीबों के चूल्हें ठण्डे न होने देने के बड़े-बड़े एलान किए गए थे.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेवाई) में गेहूं का कोटा रद्द करने का निर्णय हो गया है. जून महीने से गरीबों को गेहूं की जगह चावल बंटेगा. अभी तक 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल बांटने का ढिंढोरा पीटा जा रहा था. चुनाव खत्म होने के बाद किसानों से सम्मान निधि की राशि वापस किए जाने की नोटिसें जारी हो रही हैं.
उद्योगपतियों के लाभ को पहली प्राथमिकता दी गई
भाजपा ने इस बार गेहूं खरीद में किसानों के हितों के ऊपर उद्योगपतियों के लाभ को प्राथमिकता दी गई. गेहूं की सरकारी खरीद की जगह 5 बड़ी कम्पनियों को गेहूं बिकवा दिया गया. उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद का लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन था जबकि मात्र 2.35 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई.
खरीद केन्द्र पर कम खरीद के अलावा गेहूं उत्पादन कम होने की भी खबर है. इसके परिणाम स्वरूप बाजार में आटा और महंगा होगा. इससे बड़े उद्योगपतियों और उनकी कम्पनियों का मुनाफा बढ़ेगा. भाजपा की मंशा किसानों को फायदा पहुंचाने की न कभी थी, और न है.
भाजपा अपने जन्मकाल से ही किसान विरोधी रही है
अगर गेहूं का लाभकारी मूल्य देना चाहती तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कम से कम 2500 रुपए प्रति कुंतल होना चाहिए था. सरकारी क्रय केन्द्रों पर किसानों को परेशान किया जाता रहा.
आम लोगों की रोटी पर आटा माफियाओं का गैर कानूनी कब्जा होता जा रहा है. भाजपा गरीब को ही मिटाने की चाल चल रही है। भाजपा के आर्थिक एजेण्डे में न किसान है और न गरीब उपभोक्ता.भाजपा अपने जन्मकाल से ही किसान विरोधी रही है.
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