
द लीडर हिंदी: वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह 7 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करे। साथ ही सख्त निर्देश दिए कि इस दौरान न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और न ही किसी राज्य वक्फ बोर्ड में कोई नई नियुक्ति की जाए।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि उन्हें कुछ जरूरी दस्तावेजों के साथ जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि सिर्फ 5 याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी, बाकी पर विचार संभव नहीं।
‘1995 वाले रजिस्ट्रेशन को नहीं छेड़ सकते’ – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है, तो उसे नहीं छेड़ा जा सकता। कोर्ट अब इस मामले में अंतरिम आदेश के लिए सुनवाई 5 मई को करेगा।
‘वक्फ बाय यूजर’ नहीं हटेगा
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय डीड’ और ‘वक्फ बाय यूजर’ को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी निर्देश दिया कि वे केंद्र के जवाब पर 5 दिन में अपना प्रत्युत्तर दाखिल करें।
ओवैसी बोले – हमने शुरुआत से विरोध किया था
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हम इस कानून को शुरू से असंवैधानिक मानते हैं। मैंने JPC की बैठक में और संसद में इसका खुलकर विरोध किया था। कोर्ट का फैसला बताता है कि सरकार के हर फैसले पर मोहर लगाना जरूरी नहीं।”
डीएम कोर्ट से ऊपर कैसे हो सकता है?
AAP के अमानतुल्लाह खान ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा करता हूं कि उसने धर्म से ऊपर उठकर न्याय किया। केंद्र सरकार ने कहा है कि वक्फ-बाय-यूजर की संपत्तियां वक्फ के पास ही रहेंगी और वक्फ बोर्ड का ढांचा भी बरकरार रहेगा। ये हमारे लिए बड़ी राहत है।”
संसद के दोनों सदनों से हो चुका पास
बता दें कि केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। इस कानून को संसद के दोनों सदनों से तीखी बहस के बाद पारित किया गया। राज्यसभा में 128 वोट इसके पक्ष में और 95 विरोध में पड़े, जबकि लोकसभा में यह आंकड़ा 288 बनाम 232 रहा। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह कानून बन गया।