तीन चेहरों वाला आरिफ: नाम, जन्मतिथि और पहचान बदलकर बनवाए तीन पासपोर्ट, चौथे में हुआ भंडाफोड़ जांच में जुटी खुफिया एजेंसियां

रामपुर/बरेली – फर्जीवाड़े का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें रामपुर निवासी एक युवक ने अपनी पहचान और दस्तावेजों से ऐसा जाल बिछाया कि पासपोर्ट विभाग भी वर्षों तक धोखा खाता रहा। आरोपी युवक आरिफ खान ने तीन बार अलग-अलग विवरण देकर पासपोर्ट बनवाए और चौथी बार उसकी चालाकी ने खुद ही उसे बेनकाब कर दिया।

मामला पहली बार सुर्खियों में तब आया, जब क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, बरेली में आरिफ के चौथे आवेदन में उसकी जन्मतिथि पिछले पासपोर्ट से 16 साल अलग पाई गई। इस विसंगति ने अधिकारियों को चौकन्ना कर दिया और गहराई से जांच शुरू की गई। परिणामस्वरूप, एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया, जिससे अब खुफिया एजेंसियां तक सतर्क हो चुकी हैं।

 

तीन पासपोर्ट, तीन पहचान

जांच में सामने आया कि आरिफ खान, निवासी तालबपुर, थाना भोट (रामपुर), ने पहली बार 2011 में पासपोर्ट बनवाया था, जिसमें उसका नाम व जन्मतिथि क्रमशः आरिफ खान और 15 जनवरी 1983 थी। इस पासपोर्ट की वैधता 2021 तक थी जिसे बाद में नवीनीकृत कर 2031 तक बढ़ा लिया गया।

2023 में उसने दूसरी बार आवेदन किया, इस बार नाम रखा गया आलिम और जन्मतिथि बदलकर 15 मार्च 1999 कर दी गई। नया आधार और दस्तावेज प्रस्तुत कर वह पुलिस सत्यापन में भी पास हो गया और उसे नया पासपोर्ट जारी कर दिया गया।

आखिरकार चौथी बार खुल गया भेद

2024 में, चौथी बार आवेदन करते समय उसने फिर नाम, माता-पिता का नाम, जन्मतिथि और पता तक बदल डाले। लेकिन इस बार जांच रामपुर के उसी भोट थाने से हुई जहां उसका पुराना रिकॉर्ड मौजूद था। फोटो समान पाए गए, लेकिन जन्मतिथि में बड़ा फर्क मिलने पर मामला संदेहास्पद लगने लगा। गहन छानबीन में उसके पहले के सभी पासपोर्ट उजागर हो गए और फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

अब सवाल उठ रहे हैं – आखिर मंशा क्या थी?

यह स्पष्ट नहीं है कि आरिफ इस तरह बार-बार पासपोर्ट क्यों बनवा रहा था। क्या वह किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा है? किन देशों की यात्रा की? क्या उसका उद्देश्य पहचान छिपाकर विदेश यात्रा करना था? इन सभी सवालों के जवाब अब जांच के दायरे में हैं।

इस मामले ने पासपोर्ट कार्यालय और पुलिस के सत्यापन तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर कैसे हर बार एक ही थाने से अलग-अलग पहचान पर अनुकूल सत्यापन मिल गया?

क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने कहा, “यह मामला मेरी तैनाती से पहले का है। जब जांच में अनियमितता दिखी तो तुरंत एसपी रामपुर को सूचना दी गई। पुलिस को सभी दस्तावेज सौंप दिए गए हैं और रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है।”

अब पूरा मामला पुलिस और खुफिया एजेंसियों के हवाले है। आने वाले समय में यह साफ हो पाएगा कि यह सिर्फ एक फर्जीवाड़ा था या इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र छिपा है।

  • Abhinav Rastogi

    पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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