श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में मांस-मदिरा की बिक्री पर लगेगी रोक

0
339

द लीडर हिंदी, मथुरा। योगी सरकार मिशन 2022 यानि विधानसभा चुनाव से पहले अपने धार्मिक एजेंडे पर काम कर रही है. इसी के तहत योगी सरकार ने पहले राम मंदिर को लेकर बड़ा फैसला लिया. जिसका सभी ने जोरदार स्वागत किया. वहीं अब योगी सरकार ने श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में मांस मदिरा पर रोक लगाने का आदेश दिया है. श्री कृष्ण की भूमि मथुरा के वृंदावन, गोवर्धन, नंद गांव, बरसाना, गोकुल, महावन और बलदेव में मांस और मदिरा के खरीद-फरोख्त पर पूरी तरीके से रोक रहेगी. सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ये बड़ा फैसला लिया है.


यह भी पढ़ें: UP : 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले का आरोप, 6 सितंबर को लखनऊ में चंद्रशेखर आजाद का प्रोटेस्ट


मथुरा में मांस-मदिरा बैन होगा

बता दें कि, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शराब और मांस का कारोबार करने वालों की काउन्सिलिंग करने का काम करेगी। फिलहाल इसकी शुरूआत भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा से की जाएगी। जहां आसपास के क्षेत्रों वृन्दावन, गोवर्धन, नन्दगांव, बरसाना, गोकुल, महावन और बलदेव में जल्द ही मांस और शराब की बिक्री बंद कर इन कार्यों में लगे लोगों का अन्य व्यवसायों में पुनर्वास किया जाएगा। इन पवित्र स्थलों पर शराब और मांस की बिक्री पर रोक की तैयारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मथुरा में इस बात की घोषणा की है।

धार्मिल स्थलों से लोगों की जुड़ी है आस्थाएं

सीएम योगी ने कहा कि, चार साल पहले जब प्रदेश में भाजपा सरकार का गठन हुआ था तभी वहां के सात पवित्र स्थलों को राजकीय रूप से तीर्थस्थल घोषित किया गया था। अब जनता की कामना है कि, इन पवित्र स्थलों पर शराब और मांस की बिक्री न की जाए, तो मैं आश्वस्त करता हूं कि ऐसा ही होगा। दरअसल, राज्य सरकार की मंशा है ऐसे धार्मिक स्थलों वाले शहरों में मांस मदिरा पर रोक लगे जहां पर लोगों की आस्थाएं जुड़ी हैं। इसलिए शासन चाहता है कि इस व्यवसाय से जुडे लोगों को दूसरे व्यवसाय में लगाया जाना चाहिए। अब जैसे मथुरा के आसपास भगवान श्रीकृष्ण का जहां बचपन व्यतीत हुआ, मांस मदिरा बेचने वालों को उनके इस व्यवसाय से हटाकर उन्हे दुग्धपालन के क्षेत्र में आगे बढाने का काम किए जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वस्त किया है कि, हमारा मकसद किसी को उजाड़ना नहीं है. बस, व्यवस्थित पुनर्वास करना है और व्यवस्थित पुनर्वास के काम में इन पवित्र स्थलों को इस दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है।


यह भी पढ़ें:  सुपरटेक एमराल्ड टावर में क्या है अवैध जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया इसको गिराने का आदेश ?


अखाड़ा परिषद ने फैसले का किया समर्थन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा के सात तीर्थ स्थलों में मांस और शराब पर पूरी तरह से बैन करने का फैसला लिया है. सीएम योगी के इस फैसले का साधु संतो की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने स्वागत किया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि, सीएम योगी आदित्यनाथ का यह कदम बेहद सराहनीय है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि, इसे प्रदेश के सभी तीर्थ स्थलों पर लागू किया जाए और इसके लिए सरकार बाकायदा एक कानून लाए. ताकि तीर्थ स्थलों पर मांस और मदिरा के सेवन के साथ साथ खरीद-फरोख्त पर भी पूरी तरीके से रोक लगाई जा सके. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत गिरि ने कहा कि, पहले से ही साधु-संतों की यह मांग रही है कि तीर्थ स्थलों पर मांस और मदिरा की खरीद-फरोख्त ना हो. जिससे लोगों की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखा जा सके. महंत नरेंद्र गिरी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के इस पहल की सराहना की है.

श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के बारे में जानिए ?

मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक नगर है. मथुरा ऐतिहासिक रूप से कुषाण राजवंश द्वारा राजधानी के रूप में विकसित नगर है. उससे पूर्व भगवान कृष्ण के समय काल से भी पूर्व अर्थात लगभग 7500 वर्ष से यह नगर अस्तित्व में है. यह धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. मथुरा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है. भारतीय धर्म, दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है. आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, चैतन्य महाप्रभु आदि से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है. मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है.


यह भी पढ़ें:  कहीं राहत…कहीं आफत बनकर बरस रहे मेघ, इन राज्यों में मचा हाहाकार


 

मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और भारत की प्राचीन नगरी है. हालांकि उत्खनन द्वारा प्राप्त इस नगर का साक्ष्य कुषाण कालीन है. पुराण कथा अनुसार शूरसेन देश की यहाँ राजधानी थी. पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि. भारतवर्ष का वह भाग जो हिमालय और विंध्याचल के बीच में पड़ता है, जो प्राचीनकाल में आर्यावर्त कहलाता था.

मथुरा के चारों ओर चार शिव मंदिर हैं- पूर्व में पिपलेश्वर का, दक्षिण में रंगेश्वर का और उत्तर में गोकर्णेश्वर का और पश्चिम में भूतेश्वर महादेव का मन्दिर है. चारों दिशाओं में स्थित होने के कारण भगवान शिव को मथुरा का कोतवाल कहते हैं. मथुरा को आदि वाराह भूतेश्वर क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है. वाराह जी की गली में नीलवारह और श्वेतवाराह के सुंदर विशाल मंदिर हैं. श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने श्री केशवदेवजी की मूर्ति स्थापित की थी पर औरंगजेब के काल में वह रजधाम में पधरा दी गई और औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ डाला और उसके स्थान पर मस्जिद खड़ी कर दी. बाद में उस मस्जिद के पीछे नया केशवदेवजी का मंदिर बन गया है.


यह भी पढ़ें:  रचा गया इतिहास : पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एक साथ 9 जजों ने ली शपथ, देखिए लिस्ट