रचा गया इतिहास : पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एक साथ 9 जजों ने ली शपथ, देखिए लिस्ट

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द लीडर हिंदी, नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट में आज यानी मंगलवार को 9 नए जजों ने पदभार संभाल लिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने आज सुबह सभी को पद की शपथ दिलाई। जो 9 लोग आज सुप्रीम कोर्ट जज बने हैं, उनमें से 8 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस या जज हैं। उनके अलावा एक वरिष्ठ वकील भी सीधे सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त हुए हैं।

पहली बार हुआ शपथ ग्रहण कार्यक्रम का लाइव प्रसारण

आमतौर पर चीफ जस्टिस के कोर्ट रूम में होने वाला यह कार्यक्रम इस बार कुछ अलग था। नए जजों का शपथ ग्रहण कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट के नए भवन में बने सभागार में हुआ। इस ऑडिटोरियम में 900 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। साथ ही पहली बार जजों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण भी किया गया।


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भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने न्यायाधीशों को शपथ दिलाई

1. न्यायमूर्ति ए.एस. ओका

न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। उनका मूल उच्च न्यायालय बॉम्बे है। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 25 मई, 2025 तक है।

2. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ को गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। उनका मूल इलाहाबाद उच्च न्यायालय है।

3. न्यायमूर्ति जे.के माहेश्वरी

न्यायमूर्ति जे.के माहेश्वरी को सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। इससे पहले वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। उनका मूल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 29 जून, 2026 तक रहेगा।

4. जस्टिस हिमा कोहली

न्यायमूर्ति हिमा कोहली को तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से पदोन्नत किया गया है। उनका मूल दिल्ली उच्च न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 2 सितंबर, 2024 तक रहेगा।

5. न्यायमूर्ति बी.वी. नागरथना

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना को कर्नाटक उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया है। वह 2027 में भारत की मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत की अपनी पहली महिला मुख्य न्यायाधीश का लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा।


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6. जस्टिस सीटी रविकुमार

न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार केरल उच्च न्यायालय से पदोन्नत हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रविकुमार का कार्यकाल 6 जनवरी 2025 तक रहेगा।

7. न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश

न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश को मद्रास उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया है। उन्हें 31.03.2009 को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 29.03.2011 को मद्रास उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 21 जुलाई, 2027 तक रहेगा।

8. न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी को गुजरात उच्च न्यायालय से पदोन्नत किया गया है। वह गुजरात उच्च न्यायालय से पदोन्नत होने वाली पहली महिला न्यायाधीश हैं। वह वर्तमान में न्यायिक सेवा पृष्ठभूमि से आने वाली सर्वोच्च न्यायालय की एकमात्र न्यायाधीश हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 10 जून, 2025 तक रहेगा।

9. पी.एस. नरसिम्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता

जस्टिस पीएस नरसिम्हा बार से सीधे पदोन्नत किया गया है। एक नामित वरिष्ठ अधिवक्ता, उन्होंने मई 2014 से दिसंबर 2018 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया है। वह इतालवी मरीन मामले, आपराधिक मानहानि की संवैधानिक वैधता, न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित एनजेएसी मामले से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में सरकार की ओर से पेश हो चुके हैं।

उन्हें पहले सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के प्रशासन से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया था। वह अयोध्या मामले में कुछ पक्षकारों के लिए भी पेश हुए थे।


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तीन महिला जजों ने भी ली शपथ

आज सुप्रीम कोर्ट को तीन नई महिला जज मिली हैं। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट की तीसरी सबसे वरिष्ठतम न्यायाधीश नागरत्ना के अलावा गुजरात उच्च न्यायालय की पांचवीं सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी और तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली को भी उच्चतम न्यायालय का जज बनाया गया है।

पीएस नरसिम्हा बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने

पीएस नरसिम्हा सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट के जज बन रहे हैं। नरसिम्हा 1993 में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली के अस्तित्व में आने के बाद बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में आने वाले छठे वकील बन गए हैं।

क्या है जजों की शपथ की परंपरा?

बता दें कि सभी को वरिष्ठ के आधार पर शपथ दिलाई जाती है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, शपथ ग्रहण आयोजन के फौरन बाद सभी जज कोर्ट रूम चले जाते हैं। जाते वक्त भी सीनियरिटी का ध्यान रखा जाता है। शपथ ग्रहण के बाद जजेस लाउंज में नए जजों के स्वागत के लिए सभी जज इकट्ठा होते हैं। परंपरा के मुताबिक, शपथ लेने वाले जज चीफ जस्टिस के साथ उनकी ही बेंच में बैठते हैं।


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कैसे होती है जज की नियुक्ति?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट के परामर्श के बाद की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं और इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं।

मुख्य न्यायाधीश के चयन के बाद जस्टिस अफेयर्स और कानून मंत्री सारा ब्यौरा भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री के हाथ सौंपते हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की मामले में अपनी राय देते हैं।

2027 में जस्टिस नागरत्ना बन सकती हैं पहली महिला CJI

इन जजों में से भविष्य में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बी वी नागरत्ना और पी एस नरसिम्हा भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना हैं। अब तक सुप्रीम कोर्ट में कोई भी महिला चीफ जस्टिस नहीं हुई है। सितंबर 2027 में जस्टिस नागरत्ना के रूप में भारत को पहली महिला चीफ जस्टिस मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट में करीब 2 साल बाद हुई नई नियुक्तियों के बाद जजों के कुल 34 पदों में से 33 इन नियुक्तियों के बाद भर गए हैं।

कौन बन सकता है सुप्रीम कोर्ट का जज?

भारत का नागरिक हो। साथ ही कम से कम पांच साल के लिए हाईकोर्ट का न्यायाधीश या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच सालों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हों। किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुके हों।

वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेक्ता होना चाहिए। साथ ही न्यायाधीश के लिए सेवा का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है। वह 65 वर्ष की आयु के पूरा होने तक अपनी सेवा को जारी रख सकते हैं।


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