सुपरटेक एमराल्ड टावर में क्या है अवैध जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया इसको गिराने का आदेश ?

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द लीडर हिंदी, नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला दो टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला वाले दो टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था. ये निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है. अब सुपरटेक को अपनी लागत पर दो महीने के भीतर भीतर दोनों टावरों को ध्वस्त करना होगा. नोएडा प्राधिकरण इसकी निगरानी करेगा.


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क्या है मामला?

सुपरटेक बिल्डर ने नोएडा के सेक्टर-93 में एमरल्ड कोर्ट नाम के बिल्डिंग परिसर में 40 और 39 मंजिल के 2 नए टावर खड़े कर दिए. 950 फ्लैट वाले दोनों टावर बनाते समय वहां पहले से रह रहे लोगों की सहमति नहीं ली गई. नक्शे के हिसाब से यह निर्माण सोसाइटी के खुले क्षेत्र में उस जगह किया गया, जहां से पार्क में जाने का रास्ता था. इस विशाल निर्माण से इमारतों के बीच की दूरी बहुत कम हो गई. पहले से रह रहे लोगों को रोशनी और हवा पाने में भी समस्या होने लगी.

सोसाइटी के आरडब्ल्यूए ने नोएडा ऑथोरिटी से निर्माण के बारे में जानकारी मांगी, तो उन्हें मना कर दिया गया. एमरल्ड कोर्ट निवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट ने अप्रैल 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार दिया. उन्हें गिराने का आदेश दे दिया. हाईकोर्ट ने कहा था कि एपेक्स और सियान नाम के इन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन किया गया है. इसी फैसले के खिलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.


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सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि –

  • दोनों टावर को 3 महीने में गिराया जाए
  • इस काम का पूरा खर्च सुपरटेक उठाए
  • CBRI या किसी अन्य एक्सपर्ट एजेंसी की निगरानी में निर्माण गिराया जाए
  • फ्लैट खरीदारों को 2 महीने में पैसे वापस दिए जाएं. 12 फीसदी ब्याज मिले
  • इतने साल तक मुकदमा लड़ने के लिए एमरल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए के भी खर्च की भरपाई की जाए. बिल्डर उन्हें 1 महीने में 2 करोड़ रुपए दे.

पैसा कैसे वापस मिलेगा?

  •  जिस भी व्यक्ति का फ्लैट है उसे सुपरटेक बिल्डर के ऑफिस में संपर्क करना होगा
  • वो सारे डॉक्यूमेंट आपको ले जाने पड़ेंगे जो बुकिंग के समय मिले थे. मसलन, पेमेंट रसीदें और एग्रीमेंट आदि
  • बिल्डर से कोर्ट ने कहा है दो महीने में पैसा वापस करना है
  • जितना पैसा आपका फंसा है उस पर 12% का सालाना ब्याज मिलेगा
  • जिस दिन बुकिंग हुई थी और जिस दिन पैसा वापस मिलेगा, उस दिन तक का पूरा ब्याज मिलेगा
  • सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर से कहा है कि सभी की पाई-पाई वापस करे
  • तो आप जाएं और जल्द से जल्द अपना पैसा वापस ले लें

कौन सी बिल्डिंग टूटेंगी?

दोनों बिल्डिंग्स को ट्विन टावर्स बोला जाता है. दोनों इमारतें, सेक्टर 93 यानी एक्सप्रेसवे की तरफ हैं. इनका नाम है, एमरल्ड कोर्ट ट्विन टावर्स. सुपरटेक के एक अधिकारी के मुताबिक दोनों टावर्स में करीब 1000 फ्लैट हैं. 633 फ्लैट बुक हुए थे. इसमें से 133 लोग दूसरे प्रोजेक्ट में मूव कर गए. 248 ने पैसा वापस ले लिया, जबकि 252 लोगों का पैसा अभी भी फंसा हुआ है. उन्हें उम्मीद थी कि शायद एक दिन उनका पैसा वापस मिल जाए.


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टावरों की ऊंचाई 73 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर करना वैध है या नही

सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था जब एमराल्ड कोर्ट हाउजिग सोसायटी के बाशिदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश 2014 में आया. 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है. अदालत ने नोएडा प्राधिकरण की हरकतों को ‘सत्ता का आश्चर्यजनक व्यवहार’ करार दिया.

हरित क्षेत्र में किया गया निर्माण

टावर नंबर-17 का निर्माण हरित क्षेत्र में हुआ. मूल योजना में बदलाव के लिए फ्लैट खरीदारों की सहमति जरूरी है. लेकिन इस मामले में बिना उनकी सहमति के ही 40 मंजिल का टावर खड़ा कर दिया गया. साथ ही दो टावरों के बीच की दूरी के नियम का भी पालन नहीं हुआ है. जबकि फ्लैट खरीदार से पूर्व अनुमति के मामले में बिल्डर ने कहा कि जब इस योजना को अंजाम दिया गया था उस वक्त वहां कोई पंजीकृत आरडब्ल्यूए नहीं थी, ऐसे में उसके लिए सभी खरीदारों से सहमति लेना संभव नहीं था.

RWA ने किया विरोध

सेक्टर-93 ए के परिसर में 11 मंजिल वाले 15 टावरों के बीच जब दो ऊंचे टावर बनने शुरू हुए तो रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन यानी आरडब्ल्यूए ने आपत्ति दर्ज कराई. मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट दायर की गई. तर्क था कि जिस एरिया में ग्रीनरी बताई थी, वहां पर ये टावर बनाए गए.

इसके साथ यह भी कहा गया कि यूपी अपार्टमेंट एक्ट की शर्तों के तहत 60 पर्सेंट बायर्स की बिना सहमति के रिवाइज्ड प्लान को अप्रूवल नहीं दिया जा सकता था. इसकी एनओसी नहीं ली गई. आरडब्लूए ने कहा कि बिल्डिंग का निर्माण 24 मंजिल के हिसाब से किया गया है, उसे अब 40 मंजिल का बनाया जा रहा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी पैरवी की गई थी.


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24 की मंजूरी लेकर 40 फ्लोर बनाए

नोएडा प्राधिकरण ने 2006 में सुपरटेक को 17.29 एकड़ (लगभग 70 हजार वर्ग मीटर) जमीन सेक्टर-93 ए में आवंटित की थी. इस सेक्टर में एमेराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 15 टावरों का निर्माण किया गया था. प्रत्येक टॉवर में 11 मंजिल बनी थीं. 2009 में नोएडा अथॉरिटी के पास सुपरटेक बिल्डर ने रिवाइज्ड प्लान जमा कराया.

इस प्लान में एपेक्स व सियान नाम से दो टावरों के लिए एफएआर खरीदा. बिल्डर ने इन दोनों टावरों के लिए 24 फ्लोर का प्लान मंजूर करा लिया. इस पर बिल्डर ने 40 फ्लोर के हिसाब से 857 फ्लैट बनाने शुरू कर दिए. इनमें 600 फ्लैट की बुकिंग हो गई. ज्यादातर ने फ्लैट की रकम भी जमा करानी शुरू कर दी.

साल 2014 में ही दिया गया था गिराने का आदेश 

सुप्रीम कोर्ट में सुपरटेक के 40 मंजिला दो टावरों को भवन मानदंडों का उल्लंघन करने पर ध्वस्त करने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध बताते हुए गिराने का आदेश दिया था.

इन 40-40 मंजिला 2 टावरों में 950 फ्लैट बने हैं. हालांकि, बड़ी संख्या में लोग प्रोजेक्ट से अपने पैसे वापस ले चुके हैं. एमरल्ड कोर्ट परिसर में रह रहे लोगों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर सुपरटेक ने पैसों के लालच में सोसाइटी के ओपन एरिया में बिना अनुमति के यह विशाल टावर खड़े कर दिए.


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