द लीडर : Former IAS Officer सूर्य प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश सरकार के निशाने पर आ गए हैं. शनिवार को यूपी पुलिस ने उनके आवास पर छापा मारा. करीब 4 घंटे तक पूछताछ की. हाल के दिनों में सिंह के खिलाफ करीब आधा दर्जन केस दर्ज हुए हैं. छापेमारी को लेकर उन्होंने कहा, “आज फिर एहसास हुआ कि अगर यूपी में सबसे बड़ा कोई अपराधी है, तो वो सूर्य प्रताप सिंह है. ”
ताजा विवाद ट्वीटर से जुड़ा है. पिछले दिनों एक ऑडियो वायरल हुआ था. जिसमें ये कहते सुना जा रहा था कि, ‘मुख्यमंत्री के समर्थन में ट्वीटर पर ट्रेंड चलाना है. कुल 20 ट्वीट करने होंगे. 2 रुपये प्रति ट्वीट की दर से भुगतान किया जाएगा.’ ये ऑडियो बड़ी तेजी से वायरल हो गया.
इस मामले में 31 मई को अतुल कुशवाहा ने कानपुर में एफआइआर दर्ज कराई. जिसमें सूर्य प्रताप सिंह, पुनीत सैनी और हिमांशु सैनी को आरोपी बनाया. उन भ्रामक सूचना फैलाने का इल्जाम में कार्रवाई. इस घटनाक्रम से राज्य सरकार की काफी फजीहत हुई थी.
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दरअसल, सूर्य प्रताप सिंह राज्य सरकार के कड़े आलोचक हैं. वे शासन-प्रशासन के कामकाज पर प्रश्न उठाए हैं. जनता की समस्या, कानून व्यवस्था के मुद्दों पर प्रश्न पूछते हैं. कोरोना की दूसरी लहर में उन्होंने गंगा में शव बहाए जाने, वैक्सीन और ऑक्सीजन संकट के मामलों को उठाया. इस मामले में भी उनके खिलाफ उन्नाव और अन्य जिलों में केस दर्ज हुए थे. जिसमें उन्नाव मामले में उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल चुकी है.
पिछले कई मामलों को लेकर ही पुलिस उनके घर पूछताछ के लिए पहुंची थी. करीब 4 घंटे की लंबी पूछताछ को लेकर प्रताप ने कहा-‘मामला माननीय उच्च न्यायालय में है, इसलिए सामान्य पूछताछ पर मैं सार्वजनिक बयान देना नहीं चाहता हूं.”
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एक ट्वीट में उन्होंने कहा, “मैं संस्कारों से बाध्य, परवरिश से मजबूर हूं. सत्य की राह कितनी भी कठिन हो, चलूंगा तो उसी राह पर. एफआइआर करिए, प्रताड़ित कीजिए, गिरफ्तार करें या सूली पर चढ़ा दीजिए. मेरी राह नहीं बदलेगी. अगर मैं झुका तो ये मेरे पिताजी और गुरुओं से मिले संस्कार का अपमान होगा.”
https://twitter.com/suryapsingh_IAS/status/1401144807292956672?s=20
इस बीच ट्वीटर ने सूर्य प्रताप सिंह को उनके ट्वीटर हैंडल के बारे में प्राप्त शिकायतों से खबरदार किया है. इस पर सिंह ने कहा- ‘उत्तर प्रदेश सरकार मेरे ट्वीटर एकाउंट पर लीगल नोटिस भेजकर कार्यवाही करवाना चाहती है. मंशा क्या है? एकाउंट सस्पेंड करवाना है? मेरी अभिव्यक्ति की आजादी को दबाना है. सवाल पूछने वालों को डराना है? आप आलोचक से इतना डरते क्यूं हैं? क्यूं आप अलोकतांत्रिक सोच का बीज अंकुरित कर रहे हैं.’
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